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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

स्वर्ग की रानी प्रार्थना: भले गड़ेरिये येसु खुली बाहों से हमारा इंतजार करते हैं

भले गड़ेरिये को समर्पित रविवार को स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व संत पापा ने अपने संदेश में, याद दिलाया कि येसु हमें असीमित प्रेम करते हैं, वे हमें अपना जीवन अर्पित करते हैं। उन्होंने प्रार्थना की कि हम प्रभु से मिलने जा सकें और हमारे भले चरवाहे की प्रेमी बाहों में खुद को स्वागत किये एवं उठाये जाने दें।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार 21 अप्रैल 24 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 21 अप्रैल को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया, स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।

यह रविवार भले चरवाहे येसु को समर्पित है। आज के सुसमाचार में (यो.10:11-18), वे बतलाते हैं कि “भला गड़ेरिया अपनी भेड़ों के लिए अपने प्राण दे देता है।”(पद 11) वे इस बात पर इतना जोर देते हैं कि इसे तीन बार दोहराते हैं। (पद.11, 15, 17) लेकिन गड़ेरिया किस अर्थ में अपनी भेड़ों के लिए अपना प्राण देता है?

असीम प्रेम

दरअसल, गड़ेरिया बनना, खासकर येसु के समय में, सिर्फ एक नौकरी नहीं थी, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका था। यह कोई व्यवसाय नहीं था जिसमें कुछ समय निर्धारित हो, बल्कि इसका मतलब भेड़ों के साथ पूरे दिन रहना था और यहाँ तक कि रातें भी उन्हीं के साथ बितानी थी। अर्थात् उनके साथ सहजीवन में रहना था। वास्तव में, येसु समझाते हैं कि वे कोई भाड़े के व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें भेड़ों की परवाह न हो, बल्कि वे भेड़ों को जानते हैं। इस प्रकार प्रभु, हम सभी के चरवाहे, हम प्रत्येक को पहचानते हैं, हमें नाम से पुकारते हैं और, जब हम खो जाते हैं, तो वे तब तक हमें खोजते हैं जब तक कि हमें दोबारा नहीं पा लेते। (लूक. 15,4-5) और उससे भी बढ़कर: येसु सिर्फ एक अच्छे चरवाहे नहीं हैं जो झुंड के साथ अपना जीवन साझा करते हैं; येसु एक ऐसे भले चरवाहे हैं, जिन्होंने हमारे लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया है और पुनर्जीवित होकर हमें अपनी आत्मा दी है।

असीम कीमत के योग्य

भले चरवाहे की छवि के साथ प्रभु हमें यही बताना चाहते हैं: कि वे न केवल मार्गदर्शक हैं, झुंड के मुखिया हैं, बल्कि सबसे बढ़कर हम में से प्रत्येक के बारे सोचते हैं, और हमें अपने जीवन के प्रेम के रूप में सोचते हैं।

आइए, हम इसपर चिंतन करें: कि मैं ख्रीस्त के लिए महत्वपूर्ण हूँ, वे मेरे बारे सोचते हैं, मैं अपूरणीय हूँ, मैं उनके जीवन की असीम कीमत के लायक हूँ। और यह बोलने का कोई अलंकारिक तरीका नहीं है: उन्होंने सचमुच मेरे लिए अपना जीवन दे दिया है, वे मर गये और मेरे लिए फिर जी उठे, क्यों? मुझे लग सकता है कि यह एक अच्छा विचार है, लेकिन मुझे इससे कोई फायदा नहीं। परन्तु वे मुझसे प्यार करते हैं और मुझमें वह सुंदरता पाते हैं जो मैं अक्सर नहीं देख पाता।

अपने जीवन के अर्थ क पुनः खोज

संत पापा ने कहा, भाइयो और बहनो, आज कितने लोग अपने आप को अपर्याप्त या गलत मानते हैं! हम कितनी बार सोचते हैं कि हमारा मूल्य उन उद्देश्यों पर निर्भर करता है जिन्हें हम प्राप्त करते हैं, दुनिया की नज़रों में हमारी सफलता पर, दूसरों के निर्णय पर! और कितनी बार हम छोटी-छोटी चीज़ों के लिए खुद को बर्बाद कर देते हैं! आज येसु हमें बताते हैं कि हम हमेशा उनके लिए बहुत मूल्यवान हैं। और इसलिए, खुद को फिर से खोजने के लिए, सबसे पहली बात की ज़रूरत है, खुद को उनकी उपस्थिति में रखना, अपने अच्छे चरवाहे की प्रेमपूर्ण बाहों द्वारा स्वागत किये और उठाये जाने देना।

संत पापा ने विश्वासियों को चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “आइए, हम खुद से पूछें: क्या मैं हर दिन उस निश्चितता को अपनाने के लिए एक क्षण ढूंढ़ पाता हूँ जो मेरे जीवन को मूल्य देता है? क्या मैं जानता हूँ कि प्रार्थना, आराधना, स्तुति का एक क्षण कैसे ढूंढ़ूं, ख्रीस्त की उपस्थिति में कैसे रहूँ और खुद को उनके द्वारा दुलारे जाने दूँ?

भले चरवाहे हमें बताते हैं कि यदि हम ऐसा करते हैं, तो हम जीवन के रहस्य को फिर से खोज पायेंगे: हम अच्छे चरवाहे को याद करेंगे, जिन्होंने हमारे लिए अपना जीवन दे दिया है।

तब माता मरियम से प्रार्थना करते हुए कहा, “हमारी माता मरियम हमें येसु में वह खोजने में मदद करें जो जीवन के लिए आवश्यक है।”

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना के दौरान संत पापा का संदेश - 21 अप्रैल 2024

 

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21 April 2024, 13:38

स्वर्ग की रानी क्या है?

स्वर्ग की रानी गीत (अथवा स्वर्ग की रानी) मरियम के चार गीतों में से एक है (अन्य तीन गीत हैं- अल्मा रेदेनतोरिस मातेर, आवे रेजिना चेलोरूम, प्रणाम हे रानी)।

संत पापा बेनेडिक्ट 15वें ने सन् 1742 में, पास्का काल अर्थात् पास्का रविवार से लेकर पेंतेकोस्त तक, देवदूत प्रार्थना के स्थान पर इसे खड़े होकर गाने का निर्देश दिया था जो मृत्यु पर विजय का प्रतीक है।

देवदूत प्रार्थना की तरह इसे भी दिन में तीन बार किया जाता है, प्रातः, मध्याह्न एवं संध्या ताकि पूरे दिन को ख्रीस्त एवं माता मरियम को समर्पित किया जा सके।

एक धार्मिक परम्परा के रूप में यह पुरानी गीत छटवीं से दसवीं शताब्दी की हो सकती है, जबकि इसके प्रसार को 13वीं शताब्दी में दस्तावेज के रूप पाया गया है जब इसे फ्राँसिसकन दैनिक प्रार्थना में शामिल किया था। यह चार छोटे पदों से बना है जिनमें हरेक का अंत अल्लेलूया से होता है। इस प्रार्थना में विश्वासी मरियम को स्वर्ग की रानी सम्बोधित करते हैं कि वे पुनर्जीवित ख्रीस्त के साथ आनन्द मनायें।   

संत पापा फ्राँसिस ने 6 अप्रैल 2015 को ठीक स्वर्ग की रानी प्रार्थना के दौरान पास्का के दूसरे दिन बतलाया था कि इस प्रार्थना को करते समय हमारे हृदय में किस तरह का मनोभाव होना चाहिए।

...हम मरियम की ओर निहारें और उन्हें आनन्द मनाने का निमंत्रण दें क्योंकि वे ही हैं जिन्होंने उन्हें गर्भ में धारण किया था वे अब जी उठे हैं जैसा कि उन्होंने प्रतिज्ञा की थी और हम उनकी मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें। वास्तव में, हमारा आनन्द माता मरियम के आनन्द का प्रतिबिम्ब है क्योंकि वे ही हैं जिन्होंने विश्वास के साथ येसु की देखभाल की और उनका लालन-पालन किया। अतः आइये, हम भी इस प्रार्थना को बाल-सुलभ मनोभाव से करें जो इसलिए प्रफूल्लित होते हैं क्योंकि उनकी माताएँ आनन्दित होते।"   

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