खोज

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

ईश्वर के साथ हमारा घर निर्माण हेतु पोप का प्रोत्साहन

रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि चालीसा काल की यात्रा में हम प्रार्थना, भरोसा और निकटता के माध्यम से ईश्वर एवं भाई बहनों के साथ अपने रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार, 2 मार्च 2024 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 3 मार्च को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

संत पापा ने कहा, “आज का सुसमाचार पाठ एक कठोर दृश्य को प्रस्तुत करता है : येसु मंदिर में बिक्री करनेवालों को निष्काषित करते हैं। (यो. 2:13-25) येसु बेचनेवालों को भगा देते हैं, सर्राफों की दुकानें उलट देते, और सब को यह कहकर चेतावनी देते हैं, “मेरे पिता के घर को बाजार मत बनाओ।” (16)

संत पापा ने कहा, “आइए, घर और बाजार के बीच अंतर पर ध्यान दें: ये वास्तव में ईश्वर के सामने खुद को रखने के दो अलग-अलग तरीके हैं।”

बाजार और घर की मानसिकता

मंदिर को एक बाजार के रूप में ईश्वर के लिए प्रयोग करने का मतलब था; एक मेमना खरीदना, उसके लिए भुगतान करना और वेदी के अंगारों पर उसे भस्म करना। खरीदना, भुगतान करना, भस्म करना और फिर अपने अपने घर चले जाना।

हमारे घर के रूप में मंदिर

मंदिर को एक घर के रूप में प्रयोग अलग होता है, लोग प्रभु से मिलने जाते थे ताकि उनके साथ संयुक्त हो सकें और भाई-बहनों के साथ मिल-जुलकर रह सकें, उनके साथ अपने आनन्द और दुःख बांट सकें।  

इसके अलावा, मंदिर में कीमत का खेल खेला जाता है, घर में हिसाब नहीं किया जाता, बाजार में फायदा देखा जाता है लेकिन घर में मुफ्त दिया जाता। और येसु आज कठोर हैं क्योंकि उन्हें यह स्वीकार नहीं है कि मंदिर, घर के बदले बाजार बन जाए। वे स्वीकार नहीं करते हैं कि ईश्वर के साथ रिश्ता घनिष्ठ और भरोसेमंद होने के बजाय दूर और व्यावसायिक हो जाए। वे नहीं मानते हैं कि दुकान, परिवार की जगह ले ले, गले लगाने की जगह कीमत ले ले और दुलार की जगह सिक्के ले ले।

येसु इसे क्यों स्वीकार नहीं करते? क्योंकि इसके द्वारा ईश्वर और मनुष्य के बीच एक घेरे का निर्माण होता है जबकि ख्रीस्त एकता, करूणा और सामीप्य लेकर आये हैं, अर्थात् निकटता लाने के लिए क्षमाशीलता लाना है।

ईश्वर के साथ अपने घर का निर्माण  

संत पापा ने कहा, “आज मैं हमारे चालीसा काल की यात्रा के लिए भी निमंत्रण देता हूँ कि हम अपने अंदर और आसपास एक घर बनायें और बाजार का स्थान कम करें। सबसे पहले ईश्वर के प्रति। खूब प्रार्थना करते हुए, बच्चों की तरह जो पूरे भरोसे के साथ पिता का द्वार खटखटाते हैं, कंजूस और अविश्वासी व्यापारियों की तरह नहीं। इसलिए, पहला है खूब प्रार्थना करना और उसके बाद भाईचारा का प्रचार करना। भ्रातृत्व की अति आवश्यकता है। आइए, उस शर्मनाक, अलग-थलग, यहाँ तक कि कभी-कभी शत्रुतापूर्ण चुप्पी के बारे में सोचें जिसका सामना हम कई जगहों पर करते हैं।”

प्रार्थना और दूसरों के पास पहुँचना

आइये, हम अपने आप से पूछें : सबसे पहले, मेरी प्रार्थना कैसी है? क्या यह चुकाने लायक कीमत है या क्या यह आत्मविश्वास से भरे त्याग का क्षण है, जहाँ क्या मैं घड़ी की ओर नहीं देखता? और दूसरों के साथ मेरे रिश्ते कैसे हैं? क्या मैं जानता हूँ कि प्रतिदान की प्रतीक्षा किये बिना कैसे देना है? क्या मैं जानता हूँ कि खामोशी की दीवारों और दूरियों के खालीपन को तोड़ने के लिए पहला कदम कैसे उठाना है? इन प्रश्नों को हम अपने आप से पूछें।

माता मरियम हमें हमारे बीच और हमारे आस-पास ईश्वर के साथ "घर बनाने" में मदद करें। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

03 March 2024, 15:01

दूत-संवाद की प्रार्थना एक ऐसी प्रार्थना है जिसको शरीरधारण के रहस्य की स्मृति में दिन में तीन बार की जाती है : सुबह 6.00 बजे, मध्याह्न एवं संध्या 6.00 बजे, और इस समय देवदूत प्रार्थना की घंटी बजायी जाती है। दूत-संवाद शब्द "प्रभु के दूत ने मरियम को संदेश दिया" से आता है जिसमें तीन छोटे पाठ होते हैं जो प्रभु येसु के शरीरधारण पर प्रकाश डालते हैं और साथ ही साथ तीन प्रणाम मरियम की विन्ती दुहरायी जाती है।

यह प्रार्थना संत पापा द्वारा रविवारों एवं महापर्वों के अवसरों पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में किया जाता है। देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा एक छोटा संदेश प्रस्तुत करते हैं जो उस दिन के पाठ पर आधारित होता है, जिसके बाद वे तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हैं। पास्का से लेकर पेंतेकोस्त तक देवदूत प्रार्थना के स्थान पर "स्वर्ग की रानी" प्रार्थना की जाती है जो येसु ख्रीस्त के पुनरूत्थान की यादगारी में की जाने वाली प्रार्थना है। इसके अंत में "पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो..." तीन बार की जाती है।

ताजा देवदूत प्रार्थना/स्वर्ग की रानी

सभी को पढ़ें >