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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

देवदूत प्रार्थना में पोप : अपने शब्दों से नहीं कार्यों से पीड़ित लोगों के पास पहुँचें

रविवार को 32वें विश्व रोगी दिवस के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि वे पीड़ित लोगों को सुनें और येसु के तरीके को अपनाने की सलाह दी जो केवल अपने शब्दों से नहीं बल्कि ठोस कार्यों से पीड़ित लोगों के पास पहुँचते थे।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार, 11 फरवरी 2024 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 11 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।  

संत पापा ने कहा, “आज का सुसमाचार पाठ एक कोढी की चंगाई को प्रस्तुत करता है (मार.1,40-45) रोगी व्यक्ति उनसे आग्रह करता है, और येसु जवाब देते हैं, “मैं यही चाहता हूँ तुम शुद्ध हो जाओ! (41) वे एक सरल शब्द का उच्चारण करते हैं, जिसको वे तुरन्त पूरा भी करते हैं। और उसी क्षण उस व्यक्ति का कोढ़ दूर हो जाता है।”

संत पापा ने कहा, “पीड़ित लोगों के लिए येसु का यही तरीका है : थोड़े शब्द और ठोस कार्य।”

सुसमाचार में हमने कई बार येसु को पीड़ित लोगों के साथ ऐसा करते देखा है : बहरे और गूँगे, अर्धांग रोगी और कई अन्य जरूरतमंद लोगों के साथ। वे हमेशा ऐसा करते हैं। वे कम बोलते एवं तुरन्त अपने कथन को कार्य रूप देते हैं। वे झुकते, अपना हाथ बढ़ाते एवं चंगा करते हैं। वे भाषणों या पूछताछ में देर नहीं करते, धर्मपरायणता और भावुकता को बिल्कुल जगह नहीं देते, बल्कि, वे एक ऐसे व्यक्ति की गंभीर विनम्रता को प्रदर्शित करते हैं जो ध्यान से सुनता और तुरंत कार्य करता है, अधिमानतः ध्यान आकर्षित किए बिना।

उन्होंने कहा कि यह प्यार करने का एक अद्भुत तरीका है, और इसकी कल्पना करना और इसे आत्मसात करना हमारे लिए भी अच्छा है! “आइए, हम भी इस बारे में सोचें कि जब हम उन लोगों से मिलते हैं जो अपने शब्दों में संयमित, लेकिन अपने कार्यों में उदार; दिखावा करने में अनिच्छुक, लेकिन स्वयं को उपयोगी बनाने के लिए तैयार रहते; मदद करते हैं क्योंकि वे सुनने के लिए तैयार हैं। मित्र, जिनसे आप पूछ सकते हैं: "क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?", और वह येसु के शब्दों में उत्तर देता है : "हाँ, मैं यही चाहता हूँ, मैं यहाँ तुम्हारे लिए हूँ!" संत पापा ने कहा कि यह ठोसपन हमारी दुनिया में और भी अधिक महत्वपूर्ण है, जिसमें रिश्तों की लुप्त होती आभासीपन तेजी से अपनी पकड़ बना रही है। इसके विपरीत आइए, हम सुनें कि ईश्वर का वचन हमें कैसे प्रेरित करता है: "यदि किसी भाई या बहन के पास पहने के लिए कपड़े न हों और न रोज-रोज खाने की चीजें हों और यदि आप में से कोई उनसे कहे: "खुशी से जाइये, गरम गरम कपड़े पहानिये और भरपेट खाइये", लेकिन वह उन्हें शरीर के लिए जरूरी चीजें न दे, तो इससे क्या लाभ?” (याकूब 2:15-16) प्यार को ठोस, उपस्थिति, मुलाकात, समय और स्थान की आवश्यकता होती है: इसे सुंदर शब्दों, स्क्रीन की तस्वीरों, एक पल की सेल्फी या जल्दबाजी में भेजे गए संदेशों तक सीमित नहीं किया जा सकता। ये उपयोगी साधन हैं, लेकिन वे प्रेम के लिए पर्याप्त नहीं हैं, वे ठोस उपस्थिति का स्थान नहीं ले सकते।

तो आइए, अपने आप से पूछें: क्या मैं जानता हूँ कि लोगों की बात कैसे सुननी है, क्या मैं उनके अच्छे अनुरोधों के लिए उपलब्ध हूँ? या क्या मैं बहाने बनाता हूँ, टालता, अमूर्त और बेकार शब्दों के पीछे छिपता हूँ? सीधे तौर पर, आखिरी बार कब मैं किसी अकेले या बीमार व्यक्ति से मिलने गया था, या मैंने उन लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी योजना बदल दी थी जिन्होंने मुझसे मदद मांगी थी?

मरियम चिंता करने के लिए सदा तत्पर हमें प्रेम में सदा तैयार और दृढ़ रहने में मदद करे। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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11 February 2024, 16:38

दूत-संवाद की प्रार्थना एक ऐसी प्रार्थना है जिसको शरीरधारण के रहस्य की स्मृति में दिन में तीन बार की जाती है : सुबह 6.00 बजे, मध्याह्न एवं संध्या 6.00 बजे, और इस समय देवदूत प्रार्थना की घंटी बजायी जाती है। दूत-संवाद शब्द "प्रभु के दूत ने मरियम को संदेश दिया" से आता है जिसमें तीन छोटे पाठ होते हैं जो प्रभु येसु के शरीरधारण पर प्रकाश डालते हैं और साथ ही साथ तीन प्रणाम मरियम की विन्ती दुहरायी जाती है।

यह प्रार्थना संत पापा द्वारा रविवारों एवं महापर्वों के अवसरों पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में किया जाता है। देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा एक छोटा संदेश प्रस्तुत करते हैं जो उस दिन के पाठ पर आधारित होता है, जिसके बाद वे तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हैं। पास्का से लेकर पेंतेकोस्त तक देवदूत प्रार्थना के स्थान पर "स्वर्ग की रानी" प्रार्थना की जाती है जो येसु ख्रीस्त के पुनरूत्थान की यादगारी में की जाने वाली प्रार्थना है। इसके अंत में "पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो..." तीन बार की जाती है।

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