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कनाडा के आवासीय स्कूल में ख्रीस्त क्रूसित हुए, क्रूस से हमारे साथ मेल-मिलाप किया

कनाडा की प्रेरितिक यात्रा के प्रथम दिन संत पापा फ्राँसिस ने दूसरी मुलाकात एडमनटन के पवित्र हृदय गिरजाघर में मूलवासी काथलिकों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि मेल-मिलाप ख्रीस्त का वरदान है कि हम कनाडा के आवासीय स्कूल प्रणाली में कलीसिया की भूमिका द्वारा उत्पन्न दर्द के बीच आगे बढ़ सकते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

एडमनटन, मंगलवार, 26 जुलाई 2022 (रेई) ˸ संत पापा ने कहा, "यही आगे का रास्ता है कि हम एक साथ ख्रीस्त को देखें, हमारे प्रेम के खातिर विश्वासघात किये गये एवं क्रूसित हुए; उस ख्रीस्त की खोज करें जो आवासीय स्कूल के अनेक विद्यार्थियों में क्रूसित हुए।"

कलीसिया सभी का घर

अपने सम्बोधन में संत पापा ने खुशी व्यक्त की कि उन्हें एक मित्र और तीर्थयात्री के रूप में उनकी भूमि में आने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि कनाडा में उनकी प्रेरितिक यात्रा चंगाई की प्रक्रिया को सहयोग देने की उनकी चाह का ठोस चिन्ह है।  

पवित्र हृदय गिरजाघर फर्स्ट नेशन, मेतिस और अनुइट समुदाय के आदिवासियों का स्वागत करता है, साथ ही साथ दूसरे देशों के आप्रवासियों को भी अपने साथ मिलाता है।  

संत पापा ने कहा कि पल्ली एक आदर्श प्रस्तुत करता है कि कलीसिया सभी का घर है...एक ऐसा घर जहाँ हर कोई स्वागत किया गया महसूस कर सके, पिछले अनुभवों और व्यक्तिगत जीवन की कहानियों की परवाह किए बिना।”

कलीसिया के अतीत के लिए दुःख

संत पापा ने कनाडा में अपनी "प्रायश्चित तीर्थयात्रा" के कारणों की याद करते हुए कहा, "यह याद करना मुझे दुःख देता है कि काथलिकों ने आत्मसात करने और मताधिकार से वंचित करने की नीतियों में योगदान दिया जिससे हीनता की भावना पैदा हुई, समुदायों और उनकी सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक पहचान को लूटा, उनकी जड़ों को तोड़ा और पूर्वाग्रही एवं भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया; और यह भी कि उन्होंने शैक्षणिक प्रणाली के नाम पर ऐसा किया जबकि उसे ख्रीस्तीय होना चाहिए था।"  

पोप ने कहा कि शिक्षा को सम्मान पर आधारित होना और पूर्व-पैक प्रारूप में कभी नहीं थोपा जाना चाहिए बल्कि "जीवन के रहस्य को एक साथ खोजने" के लिए एक साहसिक कार्य के रूप में लिया जाना चाहिए।"

मूलवासियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
मूलवासियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

जीवन के वृक्ष पर मेल-मिलाप

अपने सम्बोधन में संत पापा ने मेल-मिलाप की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला तथा कहा कि ख्रीस्त ने एक ऐसा मेल-मिलाप को लाया है जो बाह्य दिखावे के परे जाता है।

"येसु ने क्रूस पर, जीवन के वृक्ष पर हमारे साथ मेल-मिलाप किया है, जैसा कि प्राचीन ख्रीस्तीय कहना पसंद करते थे।"

जीवन का वह वृक्ष स्वर्ग और पृथ्वी को जोड़ता है तथा सारी सृष्टि का आलिंगन करता है, यद्यपि चीजें "अकल्पनीय और अक्षम्य" प्रतीत होती हैं।

यह गौर करते हुए कि पवित्र हृदय गिरजाघर उस प्रतीक को उपयुक्त बनाता एवं ख्रीस्त शास्त्रीय अर्थ प्रदान करता है, उन्होंने कहा कि मूलवासी लोग उन बिन्दुओं के लिए "शक्तिशाली ब्रह्मांडीय महत्व" प्रस्तुत करते हैं।  

"येसु ने अपने क्रूस के चार छोरों के माध्यम से, चारों मुख्य बिन्दुओं का आलिंगन किया है तथा सबसे दूर के लोगों को भी एक साथ लाया है; उन्होंने सभी चीजों के लिए शांति और चंगाई लायी है।"  

ठोकरवाला प्रेम और शांति

कनाडा के आवासीय स्कूल के हाथों कई मूलवासी लोगों एवं परिवारों को दुःख पहुँचाये जाने को स्वीकार करते हुए संत पापा ने कहा कि "पुनर्मिलन केवल हमारे अपने प्रयासों का परिणाम नहीं है। यह एक वरदान है जो क्रूस पर चढ़ाए गए प्रभु से प्रवाहित होता है। यह एक शांति है जो येसु के हृदय से प्रस्फुटित होती है, एक ऐसी कृपा जिसकी तलाश की जानी चाहिए।" 

"प्रतिष्ठा के हनन, बुरे अनुभव एवं भरोसे पर विश्वासघात को कोई कभी दूर नहीं कर सकता, अथवा विश्वासियों के रूप में हमारे खुद के शर्म को दूर किया जा सकता है। फिर भी हमें नवीन होकर आगे बढ़ना है और येसु हमें नये शब्द एवं अच्छे मतलब नहीं देते बल्कि क्रूस देते हैं ˸ ठोकरवाला प्रेम, जिसने उनके हाथों और पैरों को कीलों द्वारा जकड़ दिया तथा उनके सिर पर कांटों का मुकुट पहनाया।"

संत पापा ने कहा, "आगे का रास्ता है ख्रीस्त को एक साथ देखना तथा ख्रीस्त के वरदान मेल-मिलाप को स्वीकार करना, उन शांति को जो येसु के दिल से निकलती है, और एक कृपा जिसे मांगा जाना चाहिए।"

"यदि हम एक-दूसरे से और अपने आप से मेल-मिलाप करना चाहते हैं, तब हमें अतीत से मेल-मिलाप करना होगा, सहे गये गलतियों एवं सदमें के साथ अनुभव किये गये घायल यादों को, जिसको कोई भी मानवीय सांत्वना चंगा नहीं कर सकता, हमारी नजरें क्रूसित येसु की ओर उठना चाहिए; उनके क्रूस की वेदी पर ही शांति प्राप्त की जा सकती है।"

मेल-मिलाप का जीवित शरीर

संत पापा ने विश्वासियों से कहा कि कलीसिया "मेल-मिलाप का जीवित शरीर है" चूँकि यही एक शरीर है जिसमें उन्होंने हमारे साथ मेल-मिलाप किया है।"

उन्होंने कहा कि कलीसिया धर्मांतरण के द्वारा लोगों को ख्रीस्त की ओर लेने में कभी दबाव नहीं डालती बल्कि येसु का "प्रचार उसी तरह किया जाना चाहिए जैसे वे चाहते हैं, स्वतंत्रता एवं प्रेम से।"  

कलीसिया को एक स्वागत का स्थान होना चाहिए जहाँ पवित्र आत्मा घायल यादों की चंगाई को बढ़ावा देते हैं जिसको उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर प्रार्थना एवं एक दूसरे के साथ जीवन को साझा करने द्वारा किया जा सकता है।

मूलवासी लोग
मूलवासी लोग

तम्बू ˸ ईश्वर के सामीप्य का चिन्ह

संत पापा ने पवित्र हृदय गिरजाघर में उपस्थित मूलवासी ख्रीस्तियों को सम्बोधित अपने संदेश के अंत में तम्बू की छवि प्रस्तुत की।

उन्होंने गौर किया कि वेदी एवं पवित्र संदुक के ऊपर चार खंभे हैं जो एक खास मूलवासी तम्बू को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि यह ईश्वर के साथ मुलाकात की याद दिलाता है जो मरूस्थल में इस्राएली लोगों के साथ चालीस साल यात्रा में उनके साथ रहे।  

उन्होंने कहा, "तम्बू हमें स्मरण दिलाता है कि ईश्वर यात्रा में हमारा साथ देते हैं और एक साथ हमसे मुलाकात करना चाहते हैं। ईश्वर सामीप्य के ईश्वर हैं और येसु हमें करुणा एवं कोमल प्रेम की भाषा सिखाते हैं।"

संत पापा ने प्रार्थना की कि "ईश्वर हमें अपने हाथों में लेकर, इतिहास के मरूस्थल से पार होते हुए हमारे कदमों को मेल-मिलाप के रास्ते पर आगे ले चलें।"

पवित्र हृदय गिरजाघर में मूलवासी काथलिकों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस
पवित्र हृदय गिरजाघर में मूलवासी काथलिकों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस

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26 July 2022, 16:15