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संघर्षों के बीच म्यांमार के लोग पलायन करते हुए संघर्षों के बीच म्यांमार के लोग पलायन करते हुए 

1 फरवरी को म्यांमार के लिए प्रार्थना का आह्वान

एड टू द चर्च इन नीड (जरूरत में कलीसिया की सहायता) ने 1 फरवरी को म्यांमार में तख्तापलट की पहली वर्षगाँठ पर म्यांमार के लिए प्रार्थना का आह्वान किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

इटली, मंगलवार, 25 जनवरी 2022 (वीएनएस)- 1 फरवरी को म्यांमार में तख्तापलट की पहली बरसी है। सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के लिए सैन्य प्रतिक्रिया अत्यंत निर्दयी और क्रूर रही है। यही कारण है कि एडटू द चर्च इन नीड ने म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की 14 जनवरी की अपील का स्वागत किया है तथा स्थानीय कलीसिया के प्रति एकात्मता व्यक्त करते हुए 1 फरवरी को एशियाई देशों से एक दिन की प्रार्थना का आह्वान किया।

विस्थापित ख्रीस्तीय

संघर्ष से सबसे अधिक प्रभावित राज्य हैं – चिन, काया और करेन। मध्य दिसम्बर से जब बरसात के मौसम के अंत में यात्रा की सुविधा हुई, तो दमन फिर से तेज हो गया, खासकर,

 दक्षिण पूर्व में। इन राज्यों में ख्रीस्तीयों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है और एड टू द चर्च इन नीड ने जानकारी प्राप्त की है कि काया के 14 पल्लियों के विश्वासियों को अपना स्थान छोड़ना पड़ा है। उनके साथ पुरोहित और धर्मसमाजी भी जाने के लिए मजबूर हैं जो जंगलों एवं सुदूर गाँवों में शरण लिए हुए हैं। पिछले दिनों काया की राजधानी लोईकाओ, फौजियों के आक्रमन के निशाने पर था। आसपास के क्षेत्रों के हजारों शरणार्थियों के बीच 300 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित थे जिन्होंने महागिरजाघर के परिसर में शरण ले रखी थी। उनमें से कई बूढ़े, महिलाएँ, विकलांग और बच्चे थे जो कहीं नहीं जा सकते अथवा भागने के लिए उनके पास कुछ भी साधन नहीं था।  

क्रिसमस के दिन काया के मो सो गाँव में 35 नागरिकों की हत्या की गई उन्हें जलाया गया और अपंग कर दिया गया। करेन राज्य में हवाई हमलों ने भी हजारों लोगों को थाई सीमा पार करने के लिए मजबूर किया है।

कलीसिया का कर्तव्य

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार म्यांमार में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या 17 जनवरी 2022 तक करीब 4,05,700 पहुँच गई है। यूएन के मानवीय मामले के सहयोग के कार्यालय का अनुमान है कि वर्मा में 2022 तक गरीबों की संख्या 25 मिलियन हो जायेगी, उनमें से 14.4 लोगों को मानवीय राहत सामग्रियों की आवश्यकता होगी।

जैसे-जैसे लड़ाई तेज होती जाती है, कलीसिया को एक ऐसा कार्य करना पड़ता है जिससे म्यांमार परिचित है: आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों की बढ़ती संख्या को रोकना ताकि हर प्रकार के पीड़ित लोगों की मदद की जा सके, चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों न हों।     

म्यांमार के धर्माध्यक्षों ने व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से तथा अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ बार-बार हिंसा के अंत की अपील की है एवं वार्ता का आह्वान किया है। उनकी आवाज के साथ संत पापा फ्राँसिस ने भी अपनी आवाज दी है। उन्होंने क्रिसमस के अवसर पर रोम एवं विश्व को (उर्बी एत ओरबी) दिये संदेश में म्यांमार के लिए प्रार्थना की थी।

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25 January 2022, 15:34