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म्यांमार के लोग फौज के डर से जंगल शरण लेने के लिए मजबूर म्यांमार के लोग फौज के डर से जंगल शरण लेने के लिए मजबूर 

म्यांमार के फौज ने ख्रीस्तियों को विस्थापित किया

म्यांमार के फौज एवं सशस्त्र प्रतिरोधियों के बीच पूर्वी राज्य कयाह में, जब भयंकर लड़ाई के बीच निर्दोष नागरिकों का पलायन जारी है, देश के काथलिक धर्माध्यक्षों ने अपील की है कि नागरिकों को निशाना न बनाया जाए तथा कलीसिया, अस्पताल और स्कूलों का सम्मान किया जाए।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

म्यांमार, बृहस्पतिवार, 20 जनवरी 2022 (वीएनएस)- सोमवार को कयाह की राजधानी लोईकव के आसपास के जंगल में बने शरणार्थी शिविर में म्यांमार सैनिकों द्वारा हवाई हमले में 3 लोगों की मौत हो गई तथा 7 लोग घायल हो गये हैं।  

म्यांमार में काथलिक कलीसिया के स्थानीय स्रोत ने वाटिकन के फिदेस न्यूज एजेंसी को बतलाया कि फौज और लोगों की सुरक्षा बल के बीच संघर्ष के दौरान इन लोगों को पहले ही राजधानी स्थित इनके गाँवों से भगाया गया है जो अब वीरान पड़ा है।  

कयाह ख्रीस्तीय

राष्ट्रीय एकता सरकार (एनयूजी), निर्वासन में म्यांमार की वैध सरकार होने का दावा करनेवाली एक संस्था ने 5 मई 2021 को इन मिलिशिया समूहों का गठन किया, जब सेना ने 1 फरवरी 2021 के तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा कर लिया और आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार को हटा दिया।

कयाह में विस्थापितों में से कई काथलिक हैं जिन्होंने अपना घर एवं पल्ली छोड़कर जंगल में शरण ली है। 17 जनवरी को फौज ने जंगल के उस भाग पर हमला किया जहाँ अधिक लोग शरण लिए हुए हैं। हमले में दो बहनों (नतालिया 18 साल और रोसेत्ता 7 साल) एवं 50 वर्षीय फेलिचे की मौत हो गई। सात अन्य घायल हो गये हैं जिन्हें देखभाल की जरूरत है। वे निकट के गाँव मोसो से भाग कर यहाँ आये थे जहाँ 24 दिसम्बर को 35 काथलिकों के जले हुए शव मिले थे और इसे "क्रिसमस नरसंहार" कहा गया था।   

मंगलवार को काथलिक समुदाय जंगल में जमा हुआ था जहाँ फादर जेकब खून ने दफन क्रिया की छोटी धर्मविधि सम्पन्न की। संघर्ष बढ़ने के साथ ही ख्रीस्तीय बस्तियों कचिन, चिन, करेन और कयाह के गिरजाघरों पर आक्रमण एवं हवाई हमले किये जा रहे हैं।  

गिरजाघर शरणार्थी शिविर में बदल गये हैं क्योंकि सैनिकों ने विस्थापितों को निशाना बनाया है तथा पुरोहितों एवं पास्टरों को गिरफ्तार किया है जबकि कई निहत्थे नागरिकों जिनमें ख्रीस्तीय भी शामिल हैं हत्या कर दी गई है।

हाल ही में डौखू में येसु के पवित्र हृदय को समर्पित गिरजाघर पर हमला किया गया था। लोईकाव शहर के 6 काथलिक पल्लियों को वीरान कर दिया गया है और विश्वासी जिन्हें भूख, ठंढ़, गरीबी एवं हिंसा का सामना करना पड़ रहा है उन्हें भौतिक मदद एवं आध्यात्मिक दिलासा की आवश्यकता है।  

म्यांमार के धर्माध्यक्षों की अपील

पिछले सप्ताह, म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने संघर्ष के सभी दलों से अपील की थी कि वे राहत कार्यों के लिए सुरक्षित मानवीय गलियारे प्रदान करें, नागरिकों को निशाना बनाना बंद करें और गिरजाघरों, अस्पतालों एवं स्कूलों की पवित्रता का सम्मान करें।

म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो ने एक अपील पर हस्ताक्षर किया था जिसमें लिखा था, "मानव प्रतिष्ठा एवं जीवन के अधिकार के साथ कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।" धर्माध्यक्षों की वार्षिक सभा 11-14 जनवरी को यांगून में हुई थी। यह बयान सभा के अन्त में जारी की गई थी।  

शरणार्थी

म्यांमार में फौजियों द्वारा संघर्ष जब से शुरू हुआ है हजारों लोग म्यांमार छोड़कर पड़ोस के देशों में शरण ले रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर ने अनुमान लगाया है कि थाईलैंड के विभिन्न शरणार्थी शिविरों में करीब 91,000 से अधिक शरणार्थी हैं जिनमें से कुछ लोग तख्तापलट के पहले ही भागकर आये थे।  

सोमवार को एक संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि ने थाईलैंड की मदद का आह्वान किया ताकि म्यांमार के संकट को कम किया जा सके तथा उस आश्वासन का स्वागत किया जिसमें थाई सरकार ने फौजी कार्रवाई से भागनेवाले शरणार्थियों की रक्षा करने की बात कही है।   

म्यांमार के लिए यूएन महासचिव नोएलीन हेजर ने थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयूथ चिन ओका से सोमवार को मुलाकात की। विस्थापित लोगों की मदद हेतु अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के लिए समर्थन मांगा एवं दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ के साथ, म्यांमार के जुंटा को पांच-सूत्रीय शांति योजना के लिए प्रतिबद्ध करने हेतु दबाव डाला।

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20 जनवरी 2022, 16:16