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संत पापा जॉन पौल द्वितीय संत पापा जॉन पौल द्वितीय 

पोप जॉन पौल द्वितीय ˸ 'मैं आपकी प्रतिष्ठा की घोषणा करने आया हूँ'

संत पापा फ्राँसिस मुख्य रूप से कनाडा के मूलवासी लोगों से मुलाकात करने कनाडा पहुँचे हैं। उनसे पहले उनके पूर्वाधिकारी संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने भी कई बार कनाडा के मूलवासियों से मुलाकातें की थीं। उन्होंने उनकी संस्कृति की प्रशंसा की थी तथा स्वीकार किया था कि उनके अधिकारों को बनाए रखने और 'घावों पर मरहम पट्टी बांधते हुए, सभी विभाजनों को ठीक करने का समय आ गया है।'

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने अपने परमाध्यक्षीय काल में तीन बार कनाडा की यात्रा की थी; 1984,1987 और 2002 में। 1984 में कनाडा की पहली प्रेरितिक यात्रा पर वे 9 सितम्बर को क्वेबेक पहुँचे थे और 20 सितम्बर को रोम वापस लौटे थे। 12 दिनों की अपनी प्रेरितिक यात्रा में उन्होंने मूलावासी लोगों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। उन्होंने उनकी संस्कृति की सराहना की थी एवं उनके अधिकारों का बचाव किया था।

कलीसिया आपकी कलीसिया है

कनाडा पहुँचने पर 10 सितम्बर को संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने क्वेबेक स्थिति ब्यूप्रे के संत अन्ना राष्ट्रीय तीर्थस्थल में मूलवासी लोगों से मुलाकात की थी। यह उत्तरी अमरीकी देश का एक प्रचीन तीर्थस्थल है। अपने बुजूर्गों को महत्वपूर्ण स्थान देते हुए मूलवासी येसु की नानी संत अन्ना की विशेष भक्ति रखते हैं। इस मुलाकात में 10 विभिन्न दलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

अपने सम्बोधन में संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने लोगों के बीच "मेल-मिलाप के महत्व" पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि "यदि हम सचमुच विश्वास करते हैं कि ईश्वर ने हमें अपने प्रतिरूप में बनाया है, तब हम विविधताओं के बावजूद एक-दूसरे को स्वीकार कर पायेंगे।" उन्होंने बतलाया था कि केवल येसु ही हर प्रकार के स्वार्थ की जंजीर को तोड़ सकते हैं।

ख्रीस्त स्वयं मूलवासी हैं

संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने 15 सितम्बर को हूरोनिया में कनाडा के शहीद तीर्थस्थल का भी दौरा किया था, जहाँ उन्होंने शब्द समारोह सम्पन्न किया था। इस समारोह में करीब 1,00,000 विश्वासियों ने भाग लिया था। शहीद तीर्थस्थल को संत पापा ने विभिन्न संस्कृतियों के बीच विश्वास की एकता का प्रतीक बतलाया था। उन्होंने हूरोन लोगों के बीच जेस्विट मिशन के इतिहास की भी याद की थी। हूरोनिया के मिशन में 8 जेस्विट मिशनरी थे जिनके बारे संत पापा ने कहा था कि उन मिशनरियों ने अपना जीवन अर्पित कर दिया, उन्होंने एक ऐसे दिन को देखने की कल्पना की जब मूलवासी पूर्ण परिपक्वता प्राप्त करेंगे और अपनी कलीसिया का नेतृत्व करेंगे। संत जॉन दी ब्रेब्यफ ने कलीसिया को एक पूर्ण काथलिक और पूर्ण हूरोन के रूप में कल्पना की थी। संत पापा ने वहाँ धन्य कतेरी तेकाकविता, जोसेफ किवातेंवा, उनकी पत्नी अनोन्नेता, उनके भाई जोसेफ एवं उनके परिवार के अन्य सदस्यों की याद की थी जिन्होंने साहस के साथ विश्वास का साक्ष्य दिया था।  

मूलवासियों की संस्कृति के बारे बोलते हुए संत पापा ने कहा था कि "अपने लंबे इतिहास में, कलीसिया खुद लगातार नई परंपराओं से समृद्ध हुई है जो उसके जीवन और विरासत से जुड़ गई हैं। और आज हम उस भूमिका के लिए आभारी हैं जिसको मूलवासी निभाते हैं, न केवल कनाडाई समाज के बहुसांस्कृतिक ताने-बाने में बल्कि काथलिक कलीसिया के जीवन में भी।

उन्होंने श्रोताओं को स्मरण दिलाया था कि "न केवल मूलवासी लोगों के लिए ख्रीस्तीय धर्म प्रासंगिक है बल्कि ख्रीस्त, अपने शरीर के अंगों में, स्वयं मूलवासी हैं।" मैं आपकी प्रतिष्ठा की घोषणा करता एवं आपके भाग्य का समर्थन करता हूँ।

संत पापा जॉन पौल द्वितीय अपनी यात्रा में फोर्ट सिम्पसन में फर्स्ट नेशन, इनुइट और मेतिस की समितियों के सदस्यों से मुलाकात करनेवाले थे किन्तु खराब मौसम के कारण वे येलोनाईफ में उतरे तथा वहीँ से अपना संदेश दिया जिसमें उन्होंने मूलवासियों के अधिकारों का बचाव किया था।  

उन्होंने कहा, "आपका अभिवादन करने का अर्थ है, उत्तरी अमरीका के विस्तृत क्षेत्र में मानव समाज की शुरूआत को सम्मानपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करना। आपका अभिवादन करना, ईश्वर की योजना एवं कृपा को सम्मान के साथ याद करना है जो इतिहास में प्रकट हुए एवं आपके द्वारा आज यहाँ तक पहुँचा। आपकी भूमि के इस भाग में आपका अभिनन्दन करना मानव जीवन की उन घटनाओं को याद करना है जो इन भागों में ईश्वर की मूल भव्य प्रकृति की रचना के दृश्य पर घटित हुई हैं। साथ ही, मेरा आपके बीच आना आपके अतीत की ओर देखना है ताकि आपकी गरिमा की घोषणा की जा सके और आपके भाग्य का समर्थन किया जा सके।"  

संत पापा ने कहा, "समय आ गया है घावों को बांधने का, विभाजनों को चंगा करने का। यह क्षमाशीलता का, मेल-मिलाप करने का और नये संबंधों को स्थापित करने हेतु प्रतिबद्धता का समय है।"

"आज मैं घोषित करना चाहता हूँ कि स्वतंत्रता जिसकी जरूरत न्याय एवं मूलवासी लोगों के रूप में अपने स्वयं के जीवन में आत्मनिर्णय के लिए है। मैं पूरी कलीसिया के साथ एक होकर, आपके अधिकार और इससे संबंधित कर्तव्य की घोषणा करता हूँ। मैं शारीरिक, सांस्कृतिक और धार्मिक उत्पीड़न की भी निंदा करता हूँ, और उन सबकी जो किसी भी तरह से आपको या किसी भी समूह को आपके अधिकार से वंचित करते हैं।”

कनाडा में संत पापा जॉन पौल द्वितीय की प्रेरितिक यात्रा

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25 July 2022, 15:43