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अमाजोन के आदिवासियों के साथ संत पापा अमाजोन के आदिवासियों के साथ संत पापा 

अमाजोन ˸ धर्मबहनें जहाँ पापस्वीकार भी सुनती हैं

पान अमाजोन पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की पहली ब्रीफिंग में एक धर्मबहन ने, उस गाँव के बारे अपना अनुभव साझा किया जहाँ पुरोहित बहुत कम जाते हैं। उन्होंने कहा कि वे पाप क्षमा नहीं कर पाते किन्तु लोगों को जो सांत्वना मिलती है उसे जरूर महसूस करते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कोलोम्बिया में आदिवासी लोगों के बीच रहने वाली निष्कलंक कुँवारी मरियम एवं सिएना की संत कैथरिन की मिशनरी धर्मबहन अल्बा तेरेसा चेडिएल कास्तिल्लो ने कहा, "हम सभी ओर फैली हुई हैं और वह सब कुछ करने का प्रयास करती हैं जितना एक बपतिस्मा प्राप्त महिला कर सकती है। हम आदिवासी लोगों का साथ देती हैं और जब पुरोहित वहाँ नहीं पहुँच सकते, हम उन्हें बपतिस्मा संस्कार देती हैं। यदि कोई विवाह करना चाहता है हम वहाँ उपस्थित होती और दम्पति के प्रेम की साक्षी बनती हैं। हमें कई बार पापस्वीकार भी सुनना पड़ता है। यद्यपि हम उन्हें पापक्षमा नहीं दे पाती हैं तथापि हम हृदय के अंतःस्थल में कहती हैं कि जिस विनम्रता के साथ ये लोग बीमारी अथवा मृत्यु की घड़ी में हमारे पास पहुँचे हैं हम विश्वास करती हैं कि वहाँ पिता ईश्वर जरूर उपस्थित होते हैं।"

अमाजोन की स्थिति

अमाजोन की विकट परिस्थिति के बारे बतलाते हुए वे कहती हैं कि वे बपतिस्मा संस्कार देती, विवाह संस्कार की साक्षी बनती और यद्यपि उन्हें मालूम है कि वे पाप स्वीकार संस्कार का अनुष्ठान नहीं कर सकतीं किन्तु पुरोहित की कमी और मृत्यु की घड़ी में उन्हें पापस्वीकार भी सुनना पड़ता है। निश्चय ही वे पाप क्षमा नहीं कर सकती किन्तु उनके लिए प्रार्थना करती हैं। उन्हें मालूम है कि वे विवाह संस्कार नहीं दे सकती किन्तु वे उनके साथ सहभागी होती हैं।  

 क्षमाशीलता का एक सामाजिक आयाम

  करुणा विषय पर एक साक्षात्कार में पापस्वीकार पर प्रकाश डालते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कहा था कि येसु ने अपने शिष्यों से कहा है कि तुम जिनके पाप क्षमा करोगे उनके पाप क्षमा हो जायेंगे और जिनके पाप क्षमा नहीं करोगे उनके पाप क्षमा नहीं किये जायेंगे, अतः प्रेरित और उनके उत्तराधिकारी, धर्माध्यक्ष एवं पुरोहित जो उन्हें सहयोग देते हैं वे ईश्वर की दया के माध्यम बनते हैं। वे ख्रीस्त (व्यक्ति) के रूप में कार्य करते हैं जो अति सुन्दर है। इसका गहरा अर्थ है क्योंकि हम भी सामाजिक प्राणी हैं। यदि हम अपनी गलती के बारे अपने भाई या बहन से बात नहीं कर सकते हैं तब हम निश्चय ही ईश्वर के साथ भी इसके बारे बात नहीं कर पायेंगे। इस तरह हम एक दर्पण के सामने अथवा अपने आप में ही पापस्वीकार करेंगे। हम सामाजिक प्राणी हैं और क्षमाशीलता का एक सामाजिक आयाम है क्योंकि मेरे पापों द्वारा मानवता को, मेरे भाई और बहन को चोट पहुँचती है।

संत इग्नासियुस का उदाहरण

संत पापा ने कहा था कि "इसलिए पापस्वीकार एक पुरोहित के सामने करना है। यही एक रास्ता है जिसके द्वारा हम अपने आपको दूसरों के हाथ और हृदय में रख सकते हैं जो उस क्षण येसु की ओर से उनके नाम पर वहाँ उपस्थित होते हैं। यही कारण है कि इसे ठोस और यथार्थ होना चाहिए। व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति को देखकर सच्चाई का सामना करना चाहिए न कि दर्पण में अपने आपको देखने के समान पापस्वीकार करना चाहिए।" इसी संबंध में संत पापा ने संत इग्नासियुस को याद करते हुए बतलाया था कि "मन परिवर्तन होने और ख्रीस्त के सैनिक बनने की समझ आने से पहले, इग्नासियुस ने पम्पलोना की लड़ाई लड़ी। वे गंभीर रूप से घायल हो गये और उन्हें लगा कि वे अब मर जायेंगे। उस समय युद्ध क्षेत्र में कोई पुरोहित नहीं था। अतः इग्नासियुस ने अपने एक साथी को बुलाया और अपना पापस्वीकार किया। यद्यपि उसका साथी पाप क्षमा नहीं दे सकता था क्योंकि वह एक लोकधर्मी था, फिर भी, इग्नासियुस ने दूसरे व्यक्ति के सामने अपना पापस्वीकार करने की तीव्र इच्छा महसूस की, जिसके कारण उसने यह निर्णय लिया। संत पापा ने कहा कि यह एक अच्छी सीख है।            

 

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08 October 2019, 16:21