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इराकी ख्रीस्तीय इराकी ख्रीस्तीय 

इराकी ख्रीस्तियों ने नये साल के लिए उम्मीद और चिंता व्यक्त की

इराक के काराकोश के ख्रीस्तियों ने एड टू द चर्च इन नींड के साथ नये साल के लिए अपनी आशाओं एवं सपनों को व्यक्त किया है। अतीत के कठिन समय के बाद देश अपना पुनःनिर्माण कर रहा है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

इराक, बृहस्पतिवार, 3 फरवरी 2022 (वीएनएस)- इराक के ख्रीस्तीय मिश्रित भावना के साथ नये साल में प्रवेश कर रहे हैं। कई लोगों के लिए, इराक के निन्हवे में लोगों का जीवन आइएसआइएस की हार के बाद प्रगति के रिपोर्ट के बावजूद अनिश्चित है।   

संत पापा फ्राँसिस ने आतंकवाद और कोविड-19 के भय से ऊपर उठते हुए, मार्च 2021 में इराक की प्रेरितिक यात्रा की थी। उन्होंने लोगों के बीच शांति और मानव भाईचारा का संदेश दिया था एवं देश को आशीर्वाद प्रदान किया था, जिसने पिछले दशक में बहुत अधिक पीड़ा सही है।

अपने चार दिवसीय ऐतिहासिक मुलाकात में, संत पापा ने काराकोश का भी दौरा किया, जो इराकी ख्रीस्तियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। यह पुरानी तबाही से उबरने का प्रयास कर रहा है एवं इसके निवासी अपने पुर्वजों के घर वापस लौट रहे हैं। 

एड टू द चर्च इन नींड जो एक परमधर्मपीठीय फाऊँडेशन है एवं विश्वभर के प्रताड़ित ख्रीस्तीय को प्रेरितिक एवं मानवीय सहायता प्रदान करती है, इसने काराकोश के चार ख्रीस्तियों के अनुभवों को जमा किया है जो देश के इतिहास के आलोक में इस नये साल में अपनी उम्मीदों एवं सपनों को साझा किये हैं।

चीजें बेहतर के लिए बदल रही हैं

एक कवि और पत्रकार, नामरौद काशा बतलाते हैं कि सभी कठिनाइयों के बावजूद, चीजें बेहतर के लिए बदल रही हैं। वे याद करते हैं कि पिछले सालों की तुलना में ख्रीस्त जयन्ती एवं नये साल के उत्सव का महौल खास रूप से बदल रहा है, क्योंकि 10 साल पहले असुरक्षा के कारण उत्सवों को स्थगित कर दिया गया था, विशेषकर, निन्हवे क्षेत्र में जहाँ आतंकी दल हत्या कर रहे थे एवं ख्रीस्तियों को पलायन करने के लिए मजबूर कर रहे थे।

काशा ने कहा कि "चुनौतियों के बावजूद हम अपने शहर लौट गये हैं, जिन्हें नष्ट और निर्जीव कर दिया गया है। इन दिनों अधिक ध्यान क्षतिग्रस्त घरों के पुनः निर्माण में दिया जा रहा है। विगत तीन सालों में काला धूल जो हमारे शहर को ढंका रहता था उसे हटा दिया गया है।" 

नया साल नवीकृत उम्मीद लाता है

सिविल सेवा से सेवानिवृत अमर शमौन ने कहा, "हर साल के शुरू में भविष्य की आशा पुनः जाग जाती है कि हम उन चुनौतियों को जीत लेंगे जो हमारी धार्मिक एवं राष्ट्रीय पहचान, साथ ही साथ हमारी भूमि की पहचान को भयभीत करती हैं ।  

उन्होंने कहा कि यह नवीकृत आशा, संविधान में निहित अधिकार के अनुरूप ख्रीस्तियों को राजनीतिक रूप से बल प्रदान करता एवं इन्हें जमीनी स्तर पर लागू करता है। हमें उन दूसरे अधिकारों को भी कानून का रूप देना है जिन्हें संविधान में स्थापित नहीं किया गया है।    

सुरक्षा एवं स्थिरता की आवश्यकता

काराकोश में संत जोसेफ सीरियाई काथलिक कलीसिया के पास्टर फादर इस्तेफनोस अल कातिब ने मिलिशिया के भय के सामने सुरक्षा एवं स्थिरता की आवश्यकता पर जोर दिया।

फादर अल कातिब ने कहा कि "गैर-राज्य मिलिशिया की निरंतर उपस्थिति जो कानून से ऊपर हैं और राज्य को कमजोर कर रहे हैं, का अर्थ है हत्या, अपहरण, लूटपाट, डकैती और भ्रष्टाचार की निरंतरता।”

फादर ने बिगड़ती आर्थिक स्थिति, बेरोजगारी, विकास का बहिष्कार करनेवाला विश्वास, दूसरों का बहिष्कार तथा राजनीति और व्यापार में धर्म की अनुचित भागीदारी के जारी रहने की ओर इंगित किया है।

शांति की चाह

अतीत में क्रिसमस मनाये जाने पर गौर करते हुए मानव अधिकार के वकील अमर यालदा ने कहा कि वे और कई अन्य लोग पर्व की तैयार खूब जोर-शोर से करते थे। उन्होंने कहा कि विश्वासी अपने आनन्द को विभिन्न परम्पराओं, साज श्रृंगार, उपहारों के आदान- प्रदान एवं धर्मविधि और संगीत के द्वारा व्यक्त करते हैं।

यालदा ने कहा कि "प्रत्येकजन बालक येसु का स्वागत करने के लिए तैयार होता था तथा उत्सव का महौल अनोखा एवं सुन्दर था।"  

यालदा को नये साल में कई उम्मीदें हैं लेकिन वे चाहती हैं कि इसकी शुरूआत शांति के साथ हो। हर ख्रीस्त जयन्ती में हम चाहते हैं कि हमारे शहरों में शांति बढ़ेगी। शांति के साथ, सुरक्षा, पड़ोसी प्रेम एवं न्याय की हर प्रकार की कामनाएँ साकार होती हैं।

आनन्दित, फिर भी चौकस   

यद्यपि काराकोश में ख्रीस्तियों की उपस्थिति है एवं ख्रीस्त जयन्ती और नया साल भी मनाया गया, फिर भी बहुतों के मन में अब भी डर है कि घृणा और विनाश जो कुछ दिनों पहले देश पर कब्जा किये हुए थे वे फिर वापस आयेंगे।  

यालदा ने कहा, "मैं निकट भविष्य के लिए डरी हुई हूँ, खासकर, क्योंकि यह ख्रीस्त जयन्ती, इराक से अमेरिकी सेना की वापसी के आह्वान के समान है एवं आर्थिक संकट के चिन्ह हैं।" "हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि जिन्होंने अच्छे हाथों के साथ, शांति निर्माण में भाग लिया है, उन्हें नष्ट करने के लिए कोई विध्वंसकारी तूफान नहीं आएगा।"

यालदा ने प्रार्थना की है कि ईश्वर इराक एवं इसके नागरिकों की सभी प्रकार की बुराई से रक्षा करे, संघर्ष से दूर रखे एवं भविष्य की सभी चुनौतों के सामने बल एवं विश्वास प्रदान करे।

 

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03 फ़रवरी 2022, 15:22