एशियाई धर्माध्यक्षों द्वारा फादर स्टेन स्वामी की रिहाई की मांग
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
भारत, मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020 (उकान)- एशिया की काथलिक कलीसिया ने जेस्विट फादर स्टेन स्वामी और गिरफ्तार किये गये सभी मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के प्रति सहानुभूति एवं सामीप्य व्यक्त की है जो आदिवासी और हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले लोगों के अधिकारों का समर्थन करते हैं।
उकान्यूज के अनुसार एशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ (एफएबीसी) के अध्यक्ष, यांगोन के कार्डिनल चार्ल्स बो ने एक वक्तव्य में कहा है कि "बड़ी हैरानी और दु:ख के साथ एफएबीसी ने 83 वर्षीय फादर स्वामी की गिरफ्तारी की खबर सुनी, हम उनके खिलाफ लगे आरोपों से आश्चर्य चकित हैं।"
सोमवार को कार्डिनल ने कहा, "फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार एवं कैद किया जाना हमें महात्मा गांधी के शब्दों का स्मरण दिलाता है जब वे भारतीय लोगों के अधिकार के लिए खड़े थे।"
फादर स्टेन अपने सपनों को साकार करने के लिए गाँधी की अहिंसा के रास्ते पर चल रहे थे, "गिरफ्तारी एशिया के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी लोगों को मिली मदद का चिन्ह है।”
विद्रोह का आरोप
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने फादर स्टेन स्वामी को 8 अक्टूबर को, झारखंड की राजधानी राँची में आदिवासियों के अधिकार हेतु जेस्विट सामाजिक कार्य केंद्र बगैचा से गिरफ्तार किया।
एजेंसी ने फादर पर कथित राजद्रोह और माओवादी विद्रोहियों के साथ सम्पर्क के आरोप में गिरफ्तार किया है जिसका संबंध 2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाँव हिंसा के साथ जोड़ा गया है। फादर स्टेन स्वामी ने उनपर लगे सभी आरोपों से इंकार किया है तथा कहा है कि वे भीमा कोरेगाँव कभी गये ही नहीं हैं।
बुजूर्ग फादर स्टेन की जमानत खारिज
गिरफ्तारी के एक दिन बाद महाराष्ट्र के मुम्बई स्थित विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें 23 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। बीमार पुरोहित के लिए स्वास्थ्य के आधार पर जमानत याचिका को, 23 अक्टूबर को अदालत ने खारिज कर दी थी और अब उसे 5 नवम्बर तक बढ़ा दिया है। फादर स्टेन पार्किनसंस की बीमारी से पीड़ित हैं और सुन नहीं पाते हैं।
आदिवासी अधिकार
सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में फादर स्टेन स्वामी जबरन विस्थापन के खिलाफ और अपने पूर्वजों की जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष करनेवाले आदिवासियों का समर्थन करते थे। वे उन लोगों के लिए भी आवाज उठाते थे जिनपर कथित माओवादी दल के सदस्य होने का आरोप लगाकर बिना कारण जेल में रखा गया है।
एशियाई धर्माध्यक्षों के अध्यक्ष के अनुसार एशियाई बाजार अर्थव्यवस्था और इसको बढ़ावा देनेवालों ने आदिवासी समुदाय के साथ औपनिवेशिक मानसिकता से वर्ताव किया है, उन्हें पर्यावरणीय शरणार्थी बना दिया है। जबकि आदिवासी समुदाय ही है जो प्रकृति की रक्षा करता एवं विश्व को बचाता है
कार्डिनल बो ने संबंधित अधिकारियों से अपील की है कि वे आदिवासियों की भूमिका को मान्यता दें जिसको वे विश्व के कल्याण के लिए निभाते हैं और उन लोगों तथा फादर स्टेन के समान उनका समर्थन करनेवालों को रिहा करें।
कार्डिनल की उम्मीद है कि देश के नेता फादर स्टेन स्वामी एवं अन्य आदिवासी नेताओं की सेवा की सराहना करने में बुद्धिमता एवं उदारता प्रदर्शित करेंगे और उन्हें भारत के स्वतंत्र नागरिकों की तरह मुक्त कर देंगे।