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फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का विरोध करने दिल्ली में एकत्रित  काथलिक समुदाय के लोग फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का विरोध करने दिल्ली में एकत्रित काथलिक समुदाय के लोग 

फादर स्टेन की गिरफ्तारी पर पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन

12 अक्टूबर को पूरे भारत के कई शहरों में, मानव अधिकार कार्यकर्ता जेसुइट पुरोहित स्टेन के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए प्रदर्शन किये गये, जिन्हें कथित माओवादी लिंक के लिए गिरफ्तार किया गया और जेल में डाला गया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020 (मैटर्स इंडिया)- नई दिल्ली से उत्तर पूर्व, बेंगलूरू से पटना और कोची से मुम्बई तक सैंकड़ों लोगों ने 83 साल के जेसुइट पुरोहित स्टेन स्वामी की मनमानी गिरफ्तारी के खिलाफ दुःख, हैरानी और आक्रोश व्यक्त किया है।

नई दिल्ली में, फादर स्टेन स्वामी के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने हेतु लगभग 200 लोग जंतर-मंतर के पास जमा हुए थे।

शबनम हाशमी, हर्ष मंडेर और अपूर्वानंद झा जैसे प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सभा को संबोधित किया। उनके अनुसार, सरकार ने तीन दशकों से अधिक समय से गरीब आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए काम करनेवाले जेसुइट पुरोहित को गिरफ्तार करके खुद को उजागर किया है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर, जो जूम मीटिंग के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुईं, ने कहा कि उसका दिल फादर स्टेन के लिए धड़कता है, जिन्होंने "आत्मनिर्भर आदिवासी के लिए काम किया है।"

सभी का उद्घाटन फादर स्तानिसलास डिसूजा ने किया, जिन्होंने दो दिन पहले दक्षिण एशिया में जेसुइट्स के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला है। प्रतिभागियों में दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष अनिल कॉउटो भी शामिल थे।

दक्षिण एशिया के जेसुइट सम्मेलन में संचार निदेशक से एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी, भारत की आतंकवाद रोधी कार्य बल ने 1 जनवरी, 2018 के भीमा-कोरेगांव हिंसा के लिए, 8 अक्टूबर को, झारखंड राज्य की राजधानी रांची के पास स्थित अपने निवास से फादर स्वामी को "झूठे और मनगढ़ंत मामले" में गिरफ्तार किया है।

एजेंसी दूसरे दिन 83 वर्षीय पुरोहित को मुंबई ले गई, जहां सत्र न्यायालय में एक आरोप पत्र पेश किया गया, जिसमें उन्हें 23 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। वे इस समय तलोजा जेल में बंद है।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि झारखंड के हाशिये पर जीवनयापन करनेवाले, दलित और कमजोर लोगों के बीच फादर स्वामी ने जबरदस्त काम किया है। जेसुइट प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि उन्होंने झारखंड में आदिवासी समुदायों के विभिन्न मुद्दों, झारखंड में भूमि अधिकारों, वन अधिकारों, श्रम अधिकारों और समुदाय के सदस्यों के प्रतिनिधित्व पर लगातार काम किया है। "नक्सलियों (माओवादियों) का लेबल लगाकर हजारों युवा आदिवासियों की अंधाधुंध गिरफ्तारी पर भी वे आवाज उठा रहे थे।"

जेसुइट कार्यकर्ता ने विचाराधीन कैदियों को रिहा करने और त्वरित मुकद्दमा कराने के लिए रांची हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।

बयान में कहा गया है, "यह विडंबना है कि फादर स्टेन स्वामी, जिन्होंने विभिन्न मामलों में झूठे मुकदमे में फंसाने गये आदिवासियों की रिहाई के लिए संघर्ष किया, स्वंय उन्हें ही झूठे और मनगढ़ंत मामले में गिरफ्तार किया गया है।"

पूर्वोत्तर भारत के प्रवेश द्वार पर, असम के गुवाहाटी में फादर स्वामी के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एक पारिस्थितिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। प्रतिभागियों ने जेसुइट पुरोहित को सभी बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं के साथ तत्काल रिहा करने की मांग की, जिन्हें गरीबों और हाशिए पर जीवनयापन करनेवाले लोगों के लिए खड़े होने पर गिरफ्तार किया गया है।

दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में, विभिन्न धर्मों के लोगों ने बड़ी संख्या में 3 किलोमीटर की मानव श्रृंखला का निर्माण किया, जिसे उन्होंने "फादर स्टेन स्वामी के साथ अवैध वर्ताव और गिरफ्तारी" के लिए बतलाया।

सामाजिक कार्य विभाग बेंगलुरु के सेंट जोसेफ कॉलेज में व्याख्याता लाथा पॉल ने कहा कि लगभग 1,000 लोगों ने मानव श्रृंखला बनाई थी। उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि फादर स्टेन स्वामी को तुरंत रिहा किया जाए।'

केरल के कोच्चि में, 11 अक्टूबर को विभिन्न ईसाई समुदायों ने फादर स्वामी की रिहाई की मांग की। एक बयान में, केरल काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने जेसुइट फादर की गिरफ्तारी पर हैरानी व्यक्त की।

केरल के धर्माध्यक्ष "सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि काथलिक समुदाय हमेशा गरीबों और दलितों के विकास के लिए काम करता रहा है। फादर स्टेन स्वामी जैसे मेहनती, ईमानदार और प्रतिबद्ध व्यक्तियों के माध्यम से काथलिक कलीसिया ने इस देश में गरीबों के कल्याण के लिए काम किया है।”

बिहार के पटना में, कई सामाजिक और मानवाधिकार संगठन फादर स्वामी के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए एक विरोध रैली में शामिल हुए। करीब सौ की संख्या में लोगों ने पोस्टर दिखाये तथा पुरोहित को रिहा किये जाने के नारे लगाये।

प्रतिभागियों ने बुद्ध स्मृति पार्क के सामने एकत्रित होकर, जेसुइट फादर की बिना शर्त रिहाई की मांग की। उन्होंने "एनआईए के दुरुपयोग, कथित शहरी नक्सलियों की गिरफ्तारी, मानवाधिकारों के उल्लंघन और ईसाई मिशनरियों की छवि को धूमिल करने" के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने "अल्पसंख्यकों के लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली" की भी मांग की।

प्रतिभागियों में पद्मश्री सिस्टर सुधा वर्गीज, प्रख्यात पत्रकार और पीयूसीएल कार्यकर्ता निवेदिता झा, बिहार दलित विकास सोसाइटी के सदस्यों और सहयोगियों जैसे कई प्रसिद्ध कार्यकर्ता शामिल थे।

फादर स्वामी के गृह राज्य, तमिलनाडु के त्रिची में,  जेसुइट पुरोहितों और संत जोसेफ कॉलेज के कर्मचारियों ने फादर स्वामी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए एक मौन विरोध प्रदर्शन किया।

झारखंड सरकार के इस निर्देश के बावजूद कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर नहीं जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने एनआईए द्वारा वैश्विक महामारी के बीच मुंबई में वृद्ध पुरोहित को ले जाने की आवश्यकता पर सवाल उठाया।

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13 October 2020, 15:58