पूजा स्थलों की सुरक्षा हेतु मुसलमानों एवं ख्रीस्तियों से अपील
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 2 मई 2020 (रेई)- जब मुस्लिम रमजान का महीना मना रहे हैं वाटिकन ने मुसलमानों एवं ख्रीस्तियों से आग्रह किया है कि पूजा स्थलों को सुरक्षित रखा जाए।
शुक्रवार को रमजान एवं ईद उल फितर के लिए प्रकाशित संदेश में, अतंरधार्मिक वार्ता के लिए गठित परमधर्मपीठीय समिति ने मुसलमानों के लिए इस माह की विशेषता की याद की। उन्होंने कहा, "यह आध्यात्मिक चंगाई और बढ़ने का समय है, गरीबों के साथ बांटने और रिश्तेदारों एवं मित्रों के साथ संबंधों को मजबूत करने का समय है।" समिति ने इसके लिए सभी मुसलमानों को अपनी प्रार्थनाओं के साथ हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त की हैं।
प्रार्थनाओं का स्थल
रमजान के लिए प्रेषित संदेश में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि "ख्रीस्तीयों एवं मुसलमानों दोनों के लिए पूजा के स्थल, गिरजाघर एवं मस्जिद, प्रार्थनाओं के लिए सुनिश्चित स्थल हैं जहाँ व्यक्तिगत एवं सामूहिक प्रार्थनाएँ की जाती हैं। उन स्थानों को इस तरह से स्थापित किया जाता है जहाँ एकांत होता है ताकि चिंतन एवं प्रार्थनाएँ की जा सकें।" जैसा कि नबी इसायस ने कहा है, वे "प्रार्थना के घर हैं"।
समिति ने प्रार्थना के स्थलों को विशेष अवसरों जैसे- विवाह, अंतिम संस्कार एवं सामुदायिक उत्सवों के लिए "आध्यात्मिक आतिथ्य" का स्थान कहा है। इस तरह की प्रथाएँ एक विश्वसनीय गवाह हैं जो विश्वासियों के साथ भेदभाव किये बिना अथवा विविधता का फर्क किये बिना उन्हें एकजुट करती है।
सौहार्द का चिन्ह
रमजान के संदेश में मानव भ्रातृत्व के दस्तावेज की भी याद की गई है जिस पर संत पापा फ्राँसिस एवं अल अजहर के ग्रैंड ईमाम ने हस्ताक्षर किया है।
दस्तावेज का उद्धरण लेते हुए कहा गया है कि "भ्रातृत्वपूर्ण मैत्री के साथ प्रार्थना के इस स्थल पर, एक-दूसरे से मुलाकात करना एक प्रभावशाली चिन्ह है, एक ऐसा चिन्ह जो सौहार्द को दिखलाती है जिसका निर्माण विभिन्न धर्म एक साथ मिलकर सकते हैं, जो व्यक्तिगत सम्मान और जिम्मेदार लोगों की सद्इच्छा पर आधारित हो।"
संवेदनहीन हिंसा के शिकार
अंतरधार्मिक वार्ता के लिए गठित परमधर्मपीठीय समिति ने गिरजाघरों, मस्जिदों एवं सभागृहों में हुए हाल के हमलों की निंदा की है "जिसमें दुष्ट लोगों ने पूजा स्थलों को अपने अंधे एवं संवेदनहीन हिंसा के लिए उपयुक्त निशाना माना है।"
संदेश में कहा गया है कि पूजा के स्थलों की रक्षा हेतु अंतरराष्ट्रीय प्रयास सराहनीय हैं।
आशा व्यक्त की गई है कि हमारी आपसी मान्यता, सम्मान और सहयोग, सच्ची मित्रता को मजबूत करने में मदद देगा और आने वाली पीढ़ियों को अपनी मान्यताओं को स्वीकार करने की मौलिक स्वतंत्रता हेतु आश्वस्त करने के लिए, हमारे समुदाय के पूजा स्थलों को सुरक्षित करने में सक्षम करेगा।
अंत में समिति ने सभी मुलमानों को एक फलप्रद रमजान महीना एवं आनन्दमय ईद उल फितर की शुभकामनाएँ अर्पित की है।
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