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कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्व में हिंसा से बचे लोगों के साथ संत पापा फ्राँसिस कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्व में हिंसा से बचे लोगों के साथ संत पापा फ्राँसिस   (AFP or licensors) संपादकीय

अमानवीय क्रूरता और क्षमा का चमत्कार

गुरुवार को कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्व में हिंसा से बचे लोगों के साथ संत पापा फ्राँसिस की मुलाकात दिल को छू लेने वाली थी। संत पापा ने पूरी आत्मीयता के साथ अत्यधिक हिंसा, दर्द और बुराई से चिह्नित लोगों की कहानियों को सुना।

अंद्रेया तोर्नेली - किंशासा

किंशासा में संत पापा फ्राँसिस अपने पहले भाषण के बाद से ही दुनिया को यह कहते आ रहे हैं कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और पूरे अफ्रीका में जो हो रहा है, उसके सामने अपनी आंखें, कान और मुंह बंद न करें।

यात्रा के दूसरे दिन दोपहर को प्रेरितिक राजदूतालय के हॉल में, हमारा सामना देश के पूर्व में होने वाले संघर्षों और हिंसा की एक दर्दनाक समीक्षा से हुआ, जो जातीय और क्षेत्रीय संघर्षों से ग्रस्त है, ऐसे संघर्ष जो आपस में जुड़े हुए हैं। भूमि के स्वामित्व से जुड़े संघर्ष, झूठे देवता के नाम पर हत्या करने वालों की निंदनीय कृत्य। एक देश जो युद्ध से त्रस्त और "कच्चे माल एवं धन के लिए एक अतृप्त लालच से युक्त है।"

संत पापा को प्रस्तुत की जाने वाली कहानियों के साथ केवल मौन और आँसू ही हो सकते थे, जैसे कि युवा किसान लादिस्लास, जिसने सैनिकों के कपड़े पहने पुरुषों द्वारा अपने पिता को अपनी आँखों के सामने टुकड़े-टुकड़े करते देखा और अपनी माँ का अपहरण कर लिया।


जैसे कि बिजौक्स, जिसे 2020 में, पंद्रह साल की उम्र में, नदी में पानी लाने के रास्ते में, विद्रोहियों के एक बैंड द्वारा अपहरण कर लिया गया था और उनके कमांडर द्वारा 19 महीने तक उसका बलात्कार किया गया था। गर्भवती होने पर वह भागने में सफल रही। आज, वह अपनी जुड़वां बेटियों के साथ, संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के सामने खड़ी है।

जैसे कि सोलह वर्ष की इमेल्डा, जो 2005 में एक शुक्रवार की रात विद्रोहियों के हाथों बंधक बनी और तीन महीने तक सेक्स गुलाम के रूप में रही: हर दिन पांच से दस पुरुषों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। उसके क़ैदियों ने मार डाले गये पीड़ितों का माँस खाने के लिये उसे मजबूर किया था।

केवल सन्नाटा और आँसू। संत पापा फ्राँसिस उनके दुख में शामिल हुए। उन्होंने येसु के नाम को दोहराया, क्योंकि उसके साथ "बुराई का अब जीवन पर अंतिम शब्द नहीं है ... येसु के साथ, हर कब्र एक पालना बन सकती है, हर कलवारी एक पास्का का उद्यान।" उनके साथ, आशा का पुनर्जन्म होता है, "उन लोगों के लिए जिन्होंने बुराई को सहन किया है और यहां तक कि जिन्होंने यह अपराध किया है।"

क्षमा और सुलह की यात्रा में लगे पीड़ितों ने संत पापा के बगल में खड़े बड़े क्रूस के नीचे अपनी पीड़ा के कुछ प्रतीक - एक चाकू, एक चटाई, कीलें रखीं। उनके जीवन में घटित हिंसा, पीड़ा और अपमान को सुनकर, क्षमा की संभावना की कल्पना करना भी कठिन है। यदि ऐसा होता है, तो यह शुद्ध कृपा से होता है। कोई चमत्कार ही ऐसा कर सकता है। एक चमत्कार जो उन लोगों के लिए संभव है जो उसके द्वारा जीते हैं जिसने कब्र को एक नई कहानी की शुरुआत में बदल दिया जिसे हमने किंशासा में सूर्य के अस्त होते हुए देखा।

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02 February 2023, 15:39