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कॉन्गो हिंसा पीड़ितों  के साथ साक्षात्कार,  01.02.2023 कॉन्गो हिंसा पीड़ितों के साथ साक्षात्कार, 01.02.2023  (Vatican Media)

सन्त पापा ने सुनी कांगो हिंसा की दिल दहलाने वाली दास्ताएँ

कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य की राजधानी किनशासा में बुधवार अपरान्ह सन्त पापा फ्रांसिस युद्ध और हिंसा से पीड़ित कॉन्गो के लोगों से मिले तथा उनकी दिल दहलानेवाली दास्ताएँ सुनीं। इनमें बलात्कार, परिवार विच्छेदन, जबरन नरभक्षण और यौन दासता आदि सभी अमानवीय क्रूरता के नमूने शामिल थे।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

किनशासा, गुरुवार, 2 फरवरी 2023 (रेई, रॉयटर्स, वाटिकन न्यूज़): कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य की राजधानी किनशासा में बुधवार अपरान्ह सन्त पापा फ्रांसिस युद्ध और हिंसा से पीड़ित कॉन्गो के लोगों से मिले तथा उनकी दिल दहलानेवाली दास्ताएँ सुनीं। इनमें बलात्कार, परिवार विच्छेदन, जबरन नरभक्षण और यौन दासता आदि सभी अमानवीय क्रूरता के नमूने शामिल थे।

पीड़ा के प्रतीकों का अर्पण

किनशासा स्थित परमधर्मपीठीय प्रेरितिक दूतावास में हुई इस मार्मिक मुलाकात के अवसर पर सन्त पापा ने युद्ध अपराधों के रूप में किये गये अत्याचारों की कड़ी निंदा की। एक के बाद एक पीड़ितों ने एक विशाल क्रूस की प्रतिमा के आगे झुकने से पहले कुल्हाड़ी, खंजर, नोकदार चाकू जैसी पीड़ा की प्रतीकात्मक वस्तुओं को सन्त पापा के समक्ष रखा।

उत्तरी किवु प्रांत के एक गाँव के 16 वर्षीय लादिस्लास कंबले कोम्बी ने बताया कि उन्होंने अपने पिता का सिर काटकर टुकड़े-टुकड़े करते हुए देखा था, जबकि उनकी माँ को मिलिशिया के लोगों ने अगवा कर लिया था, जिसके बाद वे अपनी दो छोटी बहनों के साथ अकेले रह गये थे। क्रूस की प्रतिमा के आगे अपना खंजर रखते हुए उन्होंने सन्त पापा से कहा, "इस तरह के दृश्य देखना खौफ़नाक है। मैं उसे भूल नहीं पाता हूँ। रातों को, मैं सो नहीं पाता हूं। ऐसी क्रूरता, ऐसी अर्ध-पशु क्रूरता को समझना मुश्किल है।"

एमेल्डा मकारहुंगुलु उन कई महिलाओं में शामिल थीं, जिन्होंने यौन हिंसा के अपने अनुभवों को सन्त पापा फ्राँसिस के समक्ष साझा किया। एमेल्डा ने बताया कि 2005 में, जब वे 16 साल की थीं तब दक्षिण किवु प्रांत में उसके गांव पर हमला करने वाले विद्रोहियों ने उसका अपहरण कर लिया था। वे उसे एक वन शिविर में ले गये जहां तीन महीने तक 10 पुरुषों ने हर दिन उसके साथ बलात्कार किया। सन्त पापा से एमेल्डा ने कहा, "हम एक अलग भविष्य चाहते हैं। हम अपने पीछे इस काले अतीत को छोड़ना चाहते हैं और एक सुंदर भविष्य का निर्माण करने की स्थिति में होना चाहते हैं। हम न्याय और शांति की मांग करते हैं।"

हैवानियत की सीमा नहीं

इसी प्रकार, 17 साल की बिजौक्स मकुम्बी कमला ने 2020 में उत्तरी किवु में अपने गांव से अपने अपहरण और एक विद्रोही शिविर में 19 महीने की कैद के बारे में बताया, जिसके दौरान एक कमांडर द्वारा हर दिन उसके साथ बलात्कार किया गया था, जब तक कि वह जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती नहीं हो गई। उसने बताया कि कैसे उसके क़ैदियों ने मार डाले गये पीड़ितों का माँस खाने के लिये अपने बंदियों को मजबूर किया था।

अपनी दोनों बेटियों को, एक को अपने आगे और एक को अपनी पीठ पर ले जाते हुए, कमला ने क्रूस की प्रतिमा के समक्ष जाने से पूर्व एक छोटी सी चटाई बिछाई, जो उसके अतीत की अधीनता का प्रतीक थी। सन्त पापा ने उसका एवं उसकी बेटियों का हाथ पकड़कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।

पीड़ितों के दुख में शामिल होते हुए सन्त पापा ने कहा, "आपके आंसू मेरे आंसू हैं। आपका दर्द मेरा दर्द है। हर उस परिवार के लिए जो गांवों के जलने और अन्य युद्ध अपराधों से दुखी हैं अथवा विस्थापित हो गये हैं, यौन हिंसा के उत्तरजीवियों और हर घायल बच्चे एवं वयस्क के दुख के साथ मैं शामिल हूँ, मेरी प्रार्थनाओं में मैं आपके समीप हूँ। मैं कहता हूं: मैं आपके साथ हूं।"

संत पापा ने कहा, "आपने अपनी आँखों से जो अमानवीय हिंसा देखी है और व्यक्तिगत रूप से अनुभव की है, उसे सुनकर हम स्तब्ध हैं। हम बिना शब्दों के रह गए हैं। हम केवल मौन में रो सकते हैं।" कोम्बी, एमेल्डा, कमला तथा अन्य पीड़ितों ने सन्त पापा के सामने घुटने टेके, जिन्होंने अपना हाथ उनके सिर पर रखा और बारी-बारी से उनके हाथ पकड़कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।

पूर्वी कांगो दशकों से सरकार, विद्रोहियों और विदेशी आक्रमणकारियों के बीच विशाल खनिज भंडार के नियंत्रण के लिए संघर्ष  का रंगमंच बना हुआ है।

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02 February 2023, 11:30