यूरोप की एकता के लिए प्रार्थना करें, संत पापा
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वर्तमान में यूरोपीय राजनीति के सवाल का उत्तर देते हुए संत पापा ने कहा, "यदि यूरोप आने वाली चुनौतियों पर ध्यान नहीं देता है तो यूरोप बिखर जाएगा, वह नष्ट हो जाएगा। यूरोप जो एक माँ है अब दादी माँ बन जा रही है।" उन दलों के बारे पूछे जाने पर जो भाईचारा पसंद नहीं करते बल्कि अकेला आगे बढ़ना चाहते हैं, संत पापा ने कहा कि यूरोप को अपने संस्थापकों के रहस्यवाद को पुनः आगे लेकर चलना है। यूरोप को अपनी पहचान की खोज करने की जरूरत है, अपनी एकता को बनाए रखने की, ताकि वह विभाजन एवं दीवारों से ऊपर उठ सके। संत पापा ने स्वीकार किया कि सभी राष्ट्रों के पास अपनी पहचान है जिसकी उन्हें रक्षा करनी चाहिए किन्तु "बहुतल के रहस्यवाद" के साथ।
विश्व एकात्मता
विदेशों में काम करने के लिए बच्चों को छोड़ देने वाले माता-पिताओं के लिए संत पापा के संदेश पर एक रोमानियाई पत्रकार द्वारा पूछे गये सवाल का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, "अपने को दूर कर देना ताकि परिवार में किसी चीज की कमी न हो यह प्रेमपूर्ण कार्य है किन्तु इस प्रकार की दूरी में हमेशा दुःखद परिस्थिति झेलनी पड़ती है।" संत पापा ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि जो राजनीति इस तरह के बिछुड़न को आवश्यक बना देती है वह केवल स्थानीय समस्या नहीं है बल्कि विश्व स्तर पर एकात्मता की कमी को दर्शाती है, अतः विश्व स्तर पर एकात्मता की आवश्यकता है।
राजनीतिज्ञों को ईमानदार होने में मदद करें
इटली के मामले पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि उन्होंने यहाँ के विभिन्न राजनीतिक अभियानों के समाचारों पर अधिक ध्यान नहीं दिया है और स्वीकार किया कि वे इटली की राजनीति को नहीं समझते हैं। जबकि उन्होंने कहा कि वे प्रार्थना करते हैं कि सभी इटली वासी आगे बढ़ सकें, एकता के सूत्र में बंधे रहें और अपने समझौतों के प्रति वफादार रह सकें।
भ्रष्टाचार की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव सभी ओर है अतः हमें राजनीतिज्ञों को ईमानदार बनने में मदद देना चाहिए ताकि वे झूठे अभियोग, बदनामी, कलंक और घृणा एवं भय बोने के बेईमान बैनर द्वारा अभियान न चलायें। उन्होंने कहा, "यह खतरनाक है, राजनीतिज्ञों को घृणा एवं भय नहीं बोना चाहिए, उन्हें केवल आशा बोना चाहिए और सच्ची आवश्यकताओं के बारे बोलना चाहिए।
रक्त और उदारता की ख्रीस्तीय एकता
संघर्षों के दौरान विभिन्न धर्मावलम्बियों, जातियों एवं राजनीति के साथ संबंध के सवाल का उत्तर देते हुए संत पापा ने कहा कि उनकी मदद की जानी चाहिए। ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के संदर्भ में बातें करते हुए संत पापा ने रोमानिया के प्राधिधर्माध्यक्ष दानिएल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "हमने एक-दूसरे के साथ भाई की तरह बातें कीं।" जैसा कि संत पापा ने कई बार पहले भी किया है उन्होंने रक्त एवं उदारता की ख्रीस्तीय एकता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों द्वारा दिए गये साक्ष्यों की याद की तथा गरीबों, बीमारों एवं दुर्बलों की सहायता हेतु विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों द्वारा एक साथ कार्य करने का प्रोत्साहन दिया।
संत पापा बेनेडिक्ट 16वें
एक पत्रकार द्वारा पूछे जाने पर कि क्या वे संत पापा बेनेडिक्ट 16वें को एक दादू के रूप में देखते हैं जो युवाओं का आह्वान करते कि वे बुजूर्गों के साथ संबंध बनाये रखें, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि जब-जब वे ससम्मान सेवानिवृत संत पापा से बातें करते हैं तब-तब वे बल प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा, "मूल से प्राप्त होने वाला पोषक रस मुझे आगे बढ़ने में मदद देता है। परम्परा एक जड़ के समान है जो बढ़ने के लिए पोषक रस प्रदान करता है किन्तु गुस्ताव मेहलर का हवाला देते हुए कहा कि "परम्परा ही भविष्य की गारंटी है न कि राख का संरक्षक। इस तरह की परम्पराएँ एकात्मवादियों की उदासीनता हैं। सच्ची परम्परा वह जड़ है, वह पेड़ को बढ़ने में मदद देता है...जब युवाओं की जड़ें हैं तब दादा-दादी भी स्वप्न देख सकते हैं।
विश्व संचार दिवस
पत्रकारों से बातचीत में संत पापा ने विश्व संचार दिवस की भी याद की जो पेंतेकोस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है। उन्होंने कहा, "आज के दिन हम आपकी याद करते हैं। आप संचार के लिए कार्य करते हैं। आप काम करने वाले हैं और आप को संचार का साक्षी बनना चाहिए। आज आमतौर पर संचार पीछे की ओर जा रहा है। सम्पर्क कम हो रहे हैं। सम्पर्क जरूर बन रहे हैं किन्तु बतलाने के लिए कुछ नहीं है। आप अपने पेशे से संचार के साक्षी हैं। आपको सम्पर्क रखना चाहिए किन्तु संबंध भी बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सम्पर्क अधिक नहीं बल्कि संबंध में अधिक बढ़ना चाहिए।
यूरोप के लिए प्रार्थना
विमान में प्रेस सम्मेलन के अंत में संत पापा फ्राँसिस ने रोमानिया की पुनः याद कर कहा कि वे वर्षा के लिए आभारी हैं जिसके कारण वे रोमानिया की प्राकृतिक छटा की सुन्दरता को देख सके। उन्होंने पत्रकारों के बीच विश्वासयों से आग्रह किया कि वे यूरोप के लिए प्रार्थना करें, खासकर, उसकी एकता के लिए ताकि प्रभु हमें कृपा प्रदान करे और जो लोग विश्वास नहीं करते हैं, वे भी अच्छाई की कामना कर सकें। उन्होंने अपनी हार्दिक शुभकांमनाएँ दी कि यूरोप अपने संस्थापकों के स्वप्नों को साकार कर सके।
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