खोज

लातविया के प्रशासनिक अधिकारियों को संत पापा का संदेश

बाल्टिक देशों की प्रेरितिक यात्रा के तीसरे दिन संत पापा फ्राँसिस लातविया गये जहाँ उन्होंने अपने कार्यक्रमों की शुरूआत रीगा स्थित राष्ट्रपति भवन में, लातविया के नागर समाज, प्रशासनिक अधिकारियों एवं राजनायिकों से मुलाकात करते हुए की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, "मैं पहली बार यहाँ आकर खुश हूँ, लातविया एवं खासकर, इस शहर में, जो अतीत में विभाजन तथा तनाव के कारण पूरे देश के साथ सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा आध्यात्मिक संघर्ष का हिस्सा रहा, फिर भी, आज संस्कृति, राजनीति एवं जहाजों का एक मुख्य केंद्र बन गया है। संस्कृति, कला और संगीत में आपका खास योगदान है जिसकी पहचान सीमा के बाहर भी है। मैं भी इसकी सराहना करता हूँ।" उन्होंने कहा कि लातविया जो संगीत की भूमि है इसने अपने दुःख और पीड़ा को संगीत एवं नृत्य में बदल दिया है। यह वार्ता, मुलाकात एवं शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की खोज करते हुए भविष्य की ओर देख रहा है।

लातविया की आजादी की कीमत

लातविया की आजादी की शतवर्षीय जयन्ती की याद करते हुए संत पापा ने कहा कि यह समाज के लिए महत्वपूर्ण समय है। उन्होंने कहा कि इस आजादी की कीमत बहुत अधिक है जो कई महान लोगों के योगदान द्वारा चुकायी गई है। जिनसे आज भी प्रेरणा ली जाती है जो हमें श्रेष्ठ प्रतिष्ठा का स्मरण दिलाते हैं उनकी ओर देखे बिना, वृहद क्षितिज की अपील किये बिना राष्ट्र का पुनः निर्माण सम्भव नहीं हो सकता।  

गहराई तक देखने की आध्यात्मिक क्षमता जो एकात्मता, सहानुभूति एवं आपसी सहयोग के रूप में छोटे एवं दैनिक चिन्हों में व्यक्त होता है जिसने आपको शक्ति प्रदान की है तथा नये समाज के निर्माण हेतु रचनात्मकता प्रदान की है।

काथलिक कलीसिया का योगदान  

संत पापा ने समाज के इस कार्य में काथलिक कलीसिया के योगदान हेतु खुशी जाहिर करते हुए कहा कि काथलिक कलीसिया अन्य ख्रीस्तीय कलीसियाओं के सहयोग से मूल का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सहयोग दिखलाता है कि विविधता में एकता लाया जा सकता है। यह तभी संभव है जब लोग तनावों को पीछे छोड़ने के लिए प्रेरित होते तथा एक-दूसरे को अधिक सम्मान के साथ देखने लगते हैं। जब एक व्यक्ति और समुदाय के रूप में अपनी रूचि और अपने आपसे बाहर देखने लगते हैं तब समझदारी और आपसी प्रतिबद्धता, एकात्मता का फल उत्पन्न करता है। उस एकात्मता को गहरे एवं चुनौतीपूर्ण मनोभाव में समझा जाना, उन प्रांतों में एक इतिहास का रास्ता बन जाता है जहाँ संघर्ष, तनाव एवं विरोधी समझा जाने वाला दल, बहुमुखी एकता बन जाता है जो नये जीवन को बढ़ाता है। सुसमाचार ने पूर्वजों को पोषित किया और यह आज भी नये रास्तों को खोल रहा है जिससे की वर्तमान की चुनौतियों का सामना किया जा सके। विविधताओं को महत्व दिया जा सके और उससे भी बढ़कर सभी के बीच एकता को प्रोत्साहित किया जा सके।

आजादी की रक्षा के लिए कार्य करने का अर्थ

लातविया की स्वतंत्रता की रक्षा की सलाह देते हुए सतं पापा ने कहा कि 100वीं वर्षगाँठ समारोह स्मरण दिलाता है कि लातविया की आजादी को खजाने के रूप में सुरक्षित रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह निश्चय ही एक उपहार है किन्तु सभी के लिए एक जिम्मेदारी भी है। आजादी की रक्षा के लिए कार्य करने का अर्थ है लोगों के लिए अपने आपको समर्पित कर देना तथा व्यक्ति एवं समुदाय के विकास पर ध्यान देना। हम इसे आज मना रहे हैं, जो उन लोगों के कारण संभव हुआ है जिन्होंने इसके पथ को प्रज्वलित किया तथा भविष्य के लिए द्वार को खोल दिया।   

लातविया का "मातृत्व"

स्वतंत्रता स्मारक की ओर इंगित करते हुए संत पापा ने कहा कि यह लातविया के "मातृत्व" को दर्शाता है जो इस प्रेरितिक यात्रा की विषयवस्तु को प्रतिबिंबित कर रहा है। यह उन परिवारों, वयोवृद्धों, बच्चों एवं युवाओं के चेहरों पर सच्ची रणनीतियों को बढ़ावा देने की क्षमता में परिलक्षित होता है। लातविया का मातृत्व उसकी नौकरी के अवसर द्वारा भी प्रदर्शित होता है ताकि भविष्य का निर्माण करने के लिए किसी को उखाड़ा जाना न पड़े। इस तरह मानव विकास के सूचक को तरक्की एवं विस्तार द्वारा मापा जा सके। समुदाय के विकास को न केवल वस्तुओं एवं सेवाओं द्वारा बल्कि जीवन देने की इच्छा एवं भविष्य के निर्माण द्वारा मापा जा सके। यह केवल इससे संभव है जब अतीत पर आधारित, वर्तमान में रचनात्मक एवं भविष्य की ओर दृढ़ता एवं आशा के साथ देखा जाए। संत पापा ने प्रार्थना की कि ईश्वर देश की सेवा में उनका साथ देता रहे, उनके कार्यों को आशीर्वाद एवं समृद्धि प्रदान करें।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

24 September 2018, 13:21