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एफएबीसी में धर्मबहनों की उपस्थिति एफएबीसी में धर्मबहनों की उपस्थिति 

एफएबीसी सम्मेलन में महिला धर्मसमाजियों की आवाज

बैंकॉक में एशिया के काथलिक धर्माध्यक्षों के सम्मेलन में भाग ले रहीं 6 महिला धर्मसमाजियों ने बतलाया कि वहाँ उनकी उपस्थिति कितना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे गरीब, अल्पसंख्यक, कमजोर एवं पूरे क्षेत्र के स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

एशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ के बैंकॉक में हो रहे सम्मेलन में कई महिला धर्मसमाजी भी निमंत्रित हैं।

वाटिकन न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने बतलाया कि महिला धर्मसमाजियों का सम्मेलन में भाग लेना क्यों महत्वपूर्ण है।  

हम अपनी आवाज उन्हें सुनाना चाहती हैं

तालिथा कुम की प्रतिनिधि के रूप में थाईलैंड की धर्मबहन सिस्टर पावला ने कहा कि इसमें उपस्थित होना महिला धर्मसमाजियों के लिए महत्वपूर्ण है ताकि धर्माध्यक्ष जान सकें कि महिला धर्मसमाजी मानव तस्करी के क्षेत्र में काम कर रही हैं। "हम लोगों की मदद करते हैं और चाहते है कि लोग हमारी आवाज सुनें एवं हमारे कार्यों में शामिल हों तथा हमारा समर्थन करें।"

थाईलैंड की दूसरी धर्मबहन सिस्टर फ्राँस्वास भी तालिथा कुम से जुड़ी हैं उन्होंने कहा,  "मैं चाहती हूँ कि धर्माध्यक्ष इसके बारे जाने और अपने धर्मप्रांतों में स्वीकार करें। जिससे कि वे उन लोगों की मदद कर सकेंगे जो मानव तस्करी के कारण घायल हैं।

सुसमाचार प्रचार में हमारी भूमिका

कुँवारी मरियम के स्वर्गोदग्रहण धर्मसमाज की धर्मबहन सिस्टर दियाना जो फिलीपींस की हैं और थाईलैंड में मिशनरी हैं उन्होंने कहा कि उनकी उपस्थिति वहाँ सचमुच महत्वपूर्ण है। व्यक्तिगत स्तर पर, यह समर्पित जीवन के कार्यालय के कार्यकारी सचिव के रूप में उनकी भूमिका के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मेरी उपस्थिति हमारे धर्माध्यक्षों को याद दिलाती है कि धर्मसमाजी, विशेष रूप से महिला धर्मसमाजियों की, सुसमाचार प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका है।"

सिस्टर दियाना ने कहा कि उनकी भूमिका का एक सबसे महत्वपूर्ण आयाम है, धर्मसमाजियों के बीच (पुरूषों और महिलाओं) आपसी संबंध स्थापित करना। यदि वे कुछ सभाओं में उपस्थित नहीं होती हैं तब सिर्फ पुरूष उपस्थित रहते। बहुधा मैं सभाओं में अकेली भाग लेती हूँ।" उन्होंने बतलाया कि जब वे सभा में भाग लेती हैं तो दूसरे उन्हें सुनते और महिलाओं की उपस्थिति के महत्व को समझ रहे हैं।    

मेरी उपस्थिति द्वारा अंतर

भारत से संत पौल की पुत्रियों के धर्मसमाज से सिस्टर जोएन्ना डीसूजा भाग ले रही हैं। उन्होंने बतलाया कि वे मीडिया द्वारा सुसमाचार प्रचार में पूरी तरह समर्पित हैं इसीलिए उन्हें सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा, "मैं यहाँ रहकर महसूस कर रही हूँ कि मेरी उपस्थिति सचमुच अंतर ला रही है। मैं सोशल मीडिया और एफएबीसी के डिजिटिलीकरण के दृष्टिकोण से अपना उत्तम योगदान दे रही हूँ।"

हम योगदान दे सकती हैं हमारे पास विचार हैं

फिलीपींस की दिव्य मुक्तिदाता धर्मसमाज की सिस्टर व्हेल मानती हैं कि एफएबीसी में "महिला धर्मसमाजियों की उपस्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि मेरी आवाज है। मुझे महिलाओं की सच्चाई को व्यक्त करना है, न केवल परिस्थितियों में बल्कि उन्हें महसूस कराना है कि एफएबीसी सिर्फ पुरूषों के लिए नहीं है। लेकिन कि हम सहयोग दे सकती हैं और हमारे पास विचार हैं।"

सिस्टर व्हेल ने जिन्होंने तालिथा कुम के साथ काम किया है कहा, "यह एक ऐसा मामला है जिसके बारे उन्हें और हमें भी जानना है। यह आवश्यक है कि सभी धर्मसमाजी खासकर, महिलाओं को सुना जाए।  

प्रणाली में परिवर्तन

भले चरवाहे की कुँवारी मरियम की परोपकारी धर्मबहन सिस्टर सुतिसा ने कहा, "मैं यहाँ एफएबीसी के साथ तालिथा कुम को प्रस्तुत करते हुए एवं अल्पसंख्यकों के लिए काम करते हुए व्यक्तिगत रूप से धन्य महसूस कर रही हूँ।"

उन्होंने कहा, "यह समय है कि हमारी आवाज जो गरीबों...अल्पसंख्यकों, कमजोर, जमीनी स्तर के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है एफएबीसी की मेज पर सुनी जाए। यह भी एक माध्यम है जो भविष्य में परिवर्तन ला सकता है, जल्द ही परिवर्तन ला सकता है।"     

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26 October 2022, 10:20