धर्माध्यक्ष ने मिशनरीस ऑफ चैरिटी धर्मबहनों का स्वागत किया
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 14 जुलाई 22 (मैटर्स इंडिया) ˸ रिपोर्ट के अनुसार मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनें 6 जुलाई को निकारागुआ से निष्कासित हो गयीं थीं। उनके निष्कासन के बाद पड़ोसी देश कोस्ता रिका के धर्माध्यक्ष मानुएल जेनियो सलाजार मूरा ने अपने धर्मप्रांत तिलारन –लिबेरिया में उनका स्वागत किया। 18 निष्कासित धर्मबहनों में 7 भारतीय हैं। धर्माध्यक्ष ने फेसबुक में विनम्रतापूर्वक कहा है, "यह हमारे धर्मप्रांत तिलारन –लिबेरिया के लिए गर्व की बात है कि आपके पांवों के तलवे इन भूमियों पर चलेंगे।"
फेसबुक में पोस्ट किये गये एक वीडियो में देखा जा सकता है कि धर्मबहनें एक-एक करके धर्माध्यक्ष से हाथ मिलाकर उनकी अंगुठी चूम रही हैं। किन्तु जब सुपीरियर की बारी आती है तो धर्माध्यक्ष स्वयं घुटनी टेकर उनका हाथ चूम लेते हैं।
तिलारन –लिबेरिया धर्मप्रांत ने स्पष्ट किया है कि धर्माध्यक्ष द्वारा सुपीरियर का हाथ चूमना, समुदाय के प्रति उनकी सेवा और उदारता के लिए उन्हें सम्मान देने का चिन्ह है।
7 जुलाई को प्रकाशित एक दूसरे वीडियो में उन्होंने कहा है कि वे धर्मबहनों के निष्कासन का कारण नहीं जानते, जो "चुपचाप हैं क्योंकि वे धर्मसंघी हैं, क्योंकि वे अपनी आध्यात्मिकता के लिए पहचान की खोज नहीं करतीं, विवादों में पड़ना नहीं चाहतीं और अपने दुःख कोस्टा रिका के लोगों के लिए अर्पित करती हैं।"
धर्माध्यक्ष ने कहा "उन्होंने एक मुश्किल भरा समय बिताया है, उन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा का भय था, इस बात को जानते हुए कि वे कई अलग-अलग देशों से हैं और कुछ बुजूर्ग हो चुकी हैं। वे चिंतित थीं जब तक कि कोस्टा रिका के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर गईं।"
"यदि यह उनपर निर्भर होता तो वे निकारागुआ में रूक जातीं, वे निकारागुआ और वहाँ के लोगों को प्यार करती हैं, खासकर, जो अत्यधिक जरूरतमंद हैं।"
"मैं उनकी ओर से कोई गलती नहीं देखता, वे सिर्फ महिलाएँ हैं, येसु ख्रीस्त की दुल्हिनें हैं, समर्पित धर्मसंघी, जो सिर्फ गरीबों की सेवा करना चाहती हैं, उन सभी चीजों को करना चाहती हैं, जिन्हें दूसरे नहीं करते।"
"किन्तु यही ख्रीस्तीय जीवन हैं, ख्रीस्तीय आध्यात्मिक के अनुसार शहादत के आयाम का हिस्सा। येसु ख्रीस्त की कलीसिया प्रताड़ित कलीसिया है, इसके बिना यह येसु की कलीसिया नहीं हो सकती।
15 साल तक सत्ता में रहनेवाले ओर्टेगा के शासन ने 6 जुलाई को 18 मिशनरीज ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों को मध्य अमेरिकी देश निकारागुआ से निष्कासित कर दिया।
ईएफई समाचार एजेंसी के अनुसार, निकारागुआ में मिशनरीज ऑफ चैरिटी और अन्य 100 गैरसरकारी संगठनों के विघटन को 29 जून को नेशनल असेंबली द्वारा "अति आवश्यकता" के आधार पर और बिना किसी बहस के मंजूरी दी गई थी।
नेशनल असेंबली, निकारागुआ की विधायी संस्था, ओर्टेगा के नेतृत्व में सैंडिनिस्टा नेशनल लिबरेशन फ्रंट द्वारा नियंत्रित है।
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