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स्पेन के सेमिनरी छात्रों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस स्पेन के सेमिनरी छात्रों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

पोप : पुरोहितों को लोगों का दर्द महसूस करना चाहिए

संत पापा फ्राँसिस ने स्पेन के सेमिनरी छात्रों एवं प्रशिक्षकों से मुलाकात करते हुए भावी पुरोहितों से आग्रह किया कि वे जिनकी सेवा करते हैं उनका दर्द महसूस करें।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 30 जनवरी 2025 (रेई) : अक्टूबर 2024 के अंत में, मूसलाधार बारिश ने स्पेन के शहर वालेंसिया में बाढ़ ला दी, जिससे लगभग 230 लोगों की मौत हो गई और भारी संपत्ति का नुकसान हुआ।

हजारों स्वयंसेवक और गैर-लाभकारी संगठन स्पेन की इस बड़ी घातक प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए जुटे।

तीन माह बाद बृहस्पतिवार को वालेंसिया महाधर्मप्रांत के सेमिनरी छात्रों एवं प्रशिक्षकों तथा धर्माध्यक्षों ने पोप फ्राँसिस से मुलाकात की।    

संत पापा ने कहा, "तूफान सिर्फ एक असामान्य घटना नहीं थी, जिसकी हम उम्मीद करते हैं कि फिर कभी न हो।" "यह हर इंसान के अनुभव का एक उदाहरण है, जब वह किसी नुकसान, अकेलेपन, विस्थापित होने और आगे बढ़ने के लिए सहारे की जरूरत महसूस करता है।"

पोप ने कहा कि पुरोहितों की भूमिका "टूटे हुए दिलों को जोड़ना" और रोजमर्रा की जिंदगी की बड़ी और छोटी आपदाओं के बीच लोगों को आध्यात्मिक सहारा देना है।

उन्होंने स्वीकार किया कि बाढ़ के बाद क्रिसमस मनाते समय वालेंसिया के निवासियों ने जो दर्द महसूस किया, उसके बारे में सोचते हुए उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करना मुश्किल लगा।

उन्होंने कहा, "आपका दर्द और शोक, अपनी कठोरता के बावजूद, हमें आशा की किरण दिखाता है, क्योंकि हमें सबसे निचले स्तर पर पहुंचने और वह सब कुछ पीछे छोड़ने के लिए मजबूर करने के बावजूद, हमें सहारा देता और, हमें उससे आगे जाने की शक्ति देता है।"

पोप ने आग्रह किया कि लोगों को अंधेरे का सामना करने के लिए अकेला नहीं छोड़ा जा सकता। बल्कि, उन्होंने कहा कि तूफान के बाद इतने सारे स्वयंसेवकों और काथलिक कलीसिया का काम ईश्वर की कोमलता की अभिव्यक्ति है।

पोप फ्राँसिस ने बताया कि "आशा आशावाद नहीं है", जो केवल एक सतही रवैया है, जबकि आशा हमें खाली वाक्यांशों से आगे बढ़कर गहरे अर्थ की खोज करने के लिए कहती है।

उन्होंने कहा, “हमारी आशा का नाम है येसु, ईश्वर जो हमारी मिट्टी से घृणा नहीं करते और जो हमें मिट्टी से बचाने के बदले, हमारे लिए मिट्टी बन गये।”

इस तरह हरेक पुरोहित एक दूसरा ख्रीस्त बनने के लिए बुलाया जाता है, “लोगों के रूदन में मिट्टी बनकर” एक दूसरा ख्रीस्त बनें।

उन्होंने कहा, “जब आप टूटे हुए लोगों को देखते हैं - क्योंकि वेलेंसिया में ऐसे टूटे हुए लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन को टुकड़ों में खो दिया है - उन्हें अपने हिस्से, अपने टुकड़े दें, ठीक वैसे ही जैसे ख्रीस्त पवित्र बलिदान में करते हैं।”

अंत में, पोप फ्राँसिस ने वेलेंसिया के भावी पुरोहितों को खुद को मुक्त रूप से देने के लिए आमंत्रित किया, जैसे उन्होंने सब कुछ मुफ्त में पाया है।

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30 जनवरी 2025, 16:45
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