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मणिपुर में शांति की अपील हेतु प्रदर्शन करते लोग मणिपुर में शांति की अपील हेतु प्रदर्शन करते लोग  (ANSA)

भारतीय विद्यार्थियों की अपील : “मणिपुर को बचाएँ”

अंतर-जातीय हिंसा के स्थल मणिपुर की सामाजिक स्थिति पर जब मीडिया और राजनीति का ध्यान कम होता दिख रहा है, देशभर में फैले विभिन्न भारतीय स्कूलों के छात्रों ने एक अपील शुरू की है : "मणिपुर बचाओ!" जो सार्वजनिक प्रदर्शनों और सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही है।

वाटिकन न्यूज

नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 13 जुलाई 23 (फिदेस) : तमिलनाडु के मदुराई के पास "संत अल्फोंसस फुस्को हायर सेकेंडरी स्कूल" के छात्रों, शिक्षकों और स्टाफ के सदस्यों ने मणिपुर की जनता का समर्थन करने और हिंसा के शिकार लोगों की याद करने के लिए एक सार्वजनिक प्रार्थना सभा का आह्वान किया है। इस प्रार्थना आंदोलन के माध्यम से, छात्रों ने पीड़ित युवाओं के लिए अपनी सहानुभूति और चिंता व्यक्त की है और केंद्र सरकार से दंगे को समाप्त करने एवं मणिपुर में शांति लाने हेतु तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह किया।

अपील में कहा गया है कि “मणिपुर में जनता भारी पीड़ा से जूझ रही है। जातीय और धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता के कारण युवा और बूढ़े मार डाले गए हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके पास आश्रय और भोजन नहीं है। कई बच्चों ने अपने माता पिता खो दिये हैं।”

बतलाया गया है कि “मणिपुर में संघर्ष दो स्थानीय जातियों के बीच हो रही है। जिसमें 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है और करीब 1000 लोग घायल हैं। शांति के लिए संगठित होना जरूरी है। इसके लिए हम एक प्रार्थना सभा करे जा रहे हैं। आइये हम प्रार्थना करें कि दंगे जल्द से जल्द समाप्त हो जाएँ। स्कूल जहाँ आंदोलन के सदस्यों ने सभा में भाग लिया, अन्य पृष्टभूमि के युवाओं का भी स्वागत किया। उनका आदर्शवाक्य है, आइये हम मानवता की रक्षा करें, हम मानव जीवन की सराहना करें।” 1988 में स्थापित स्कूल संत अल्फोंसो मरिया फुस्को को समर्पित है जो संत योहन बपतिस्ता की धर्मबहनों के धर्मसमाज के संस्थापक थे।

मणिपुर में "शांति और सद्भाव के लिए अंतरधार्मिक मंच" में भी बड़ी संख्या में युवा एकत्रित हुए, जिसने राज्य की राजधानी इम्फाल में चल रही हिंसा को समाप्त करने और संघर्ष में दो जातीय समूहों के बीच बातचीत शुरू करने के लिए एक प्रदर्शन आयोजित किया।

मैतेई और कुकी जातीय समूहों के बीच झड़पों को समाप्त करने की मांग को लेकर 11 जुलाई को आयोजित प्रदर्शन में विभिन्न धार्मिक परंपराओं और जातीय समुदायों से संबंधित लगभग 500 लोगों ने भाग लिया। केरल और तमिलनाडु के पांच सांसद भी अंतरधार्मिक पहल के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने के लिए रैली में शामिल हुए।

मंच के समन्वयक देबेन बच्चस्पतिमयुम, जिसमें हिंदू, ख्रीस्तीय, बौद्ध, मुस्लिम और पारंपरिक पंथ के प्रतिनिधि शामिल हैं, कहा, “प्रदर्शन में भाग लेनेवाले सभी उम्र और लिंग के लोग: भारतीय नागरिक हैं जो इस बात से चिंतित हैं कि क्या हो रहा है, जो विभिन्न धर्मों और समुदायों में मानवता के अपने मौलिक मूल्यों को लाते हैं।"

उन्होंने आगे कहा: “हमने हिंसा के कारण हुई मौतों पर एक साथ शोक व्यक्त किया; हमने पीड़ितों की चंगाई के लिए प्रार्थना की और विस्थापितों के साथ एकजुटता व्यक्त की; हम उन नागरिकों के रूप में एकजुट हुए हैं जो युद्धविराम और बातचीत की मांग करते हैं।”

मणिपुर में शांति हेतु प्रार्थना करने के लिए विभिन्न समुदायों के ख्रीस्तीय भी विगत दिनों कलकत्ता की संत मदर तेरेसा की कब्र पर एकत्र हुए।

उपस्थित लोगों ने "चुपके से हिंसा का फायदा उठाने का इरादा रखनेवालों के भयावह राजनीतिक खेल" की निंदा की। भारत के विभिन्न हिस्सों के ख्रीस्तीय नेताओं ने कहा है कि वे लोगों की पीड़ा को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने, पीड़ा को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करने, संघर्ष में शांति की उपस्थिति हेतु मणिपुर का दौरा करने के लिए तैयार हैं।

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13 July 2023, 17:19