रोहिंग्यों को म्याँमार वापिस भेजने की योजना तुरन्त स्थगित करने की अपील
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
न्युयॉर्क, शनिवार 10 जून 2023 (वाटिकन न्यूज) : म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एंड्रयूज़ ने आगाह किया कि म्याँमार में रोहिंग्या समुदाय के जीवन और स्वतंत्रता के लिए गम्भीर जोखिम है।
उनका कहना है कि देश में फ़िलहाल जैसी परिस्थितियाँ हैं, वो रोहिंज्या शरणार्थियों की वापसी के अनुकूल नहीं हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जिन सैन्य अधिकारियों ने रोहिंज्या समुदाय के विरुद्ध जनसंहार रूपी हमले किए थे, वे अब सत्तासीन हैं और नागरिक आबादी वाले इलाक़ों पर हमले कर रहे हैं, रोहिंग्या लोगों को नागरिकता और अन्य अधिकार देने को नकार रहे हैं।
टॉम एंड्रयूज़ के वक्तव्य के अनुसार, बांग्लादेश सरकार पिछले कुछ समय से शरणार्थियों को वापिस म्याँमार भेजे जाने की योजना पर काम कर रही है।
बांग्लादेश के अधिकारियों ने म्यांमार में 1,140 रोहिंग्या शरणार्थियों के एक प्रारंभिक समूह को वापस भेजने की योजना की घोषणा की है और साल के अंत तक कुल 6,000 रोहिंग्यों को वापस भेजने की उम्मीद है।
बांग्लादेश के अधिकारियों की हाल की कार्रवाइयों से पता चलता है कि पहली वापसी जल्द ही हो सकती है, सरकार की योजनाओं का विरोध करने वालों के खिलाफ गिरफ्तारी, दस्तावेज़ जब्ती और प्रतिशोध के अन्य रूपों से स्थिति और भी बदतर हो सकती है।
म्याँमार वापिस जाने वाले लोगों को राख़ीन प्रान्त में आवाजाही केन्द्रों से होकर गुज़रना होगा, जिसके बाद उन्हें 15 नए सिरे से बनाए गए गाँवों में बसाया जाना है। मगर, इस चिन्हित क्षेत्र से उनके लिए किसी अन्य जगह स्वतंत्र रूप से आने-जाने की अनुमति नहीं होगी।
संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार इन परिस्थितियों में रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत बांग्लादेश के लिए निर्धारित दायित्वों का उल्लंघन होने की आशंका है और रोहिंग्या लोगों पर गम्भीर मानवाधिकार हनन और सम्भवत:, भविष्य में अत्याचार अपराधों के चपेट में आने का जोखिम होगा।
हालाँकि, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय का कहना है कि जो लोग हालात का आकलन करने के लिए गए थे, उन्होंने स्पष्टता से वापिस भेजे जाने की योजना को ख़ारिज कर दिया था.
टॉम एंड्रयूज़ ने कहा, “मैं बांग्लादेश से देश वापसी के इस प्रायोगिक कार्यक्रम को तत्काल स्थगित करने की गुहार लगाता हूँ. मैं अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपनी कथनी व करनी में, रोहिंज्या शरणार्थियों के समर्थन में खड़े होने का आग्रह करता हूँ।”
इसके लिए बांग्लादेश में रोहिंज्या शरणार्थियों को समर्थन सुनिश्चित किया जाना होगा, चूँकि शिविरों में रह रहे लोगों के पास आजीविका का स्रोत नहीं है। उन्हें भरपेट भोजन नहीं मिल पाता है, वे कुपोषण का शिकार हैं, और शिक्षा के लिए उनके बच्चों के पास सीमित अवसर हैं।
1 जून को, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने प्रति व्यक्ति सहायता बजट को 10 अमेरिकी डॉलर से घटाकर 8 अमेरिकी डॉलर कर दिया। मार्च के बाद से भोजन आवंटन में यह दूसरी कटौती है जब राशन को शुरुआती यूएस $ 12 से घटाकर 10 यूएस डॉलर कर दिया गया था। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा इन खाद्य सहायता कटौती ने उन्हें भुखमरी की ओर धकेल दिया है।
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