जवाबी कार्रवाई से पहले रूस ने यूक्रेन में मिसाइल हमले किए
उषा मनोरमा तिर्की-वाटिकन सिटी
पोप फ्राँसिस के शांति हेतु नए सिरे से आह्वान के बावजूद, सोमवार को भोर से पहले किये गये हमले, यूक्रेन पर रूस के चल रहे आक्रमण के खिलाफ अपनी बहुप्रतीक्षित जवाबी कार्रवाई के लिए कीव की तैयारियों को धीमा करने के स्पष्ट प्रयास थे।
स्थानीय पुलिस ने मलबे के ढेर की छानबीन की क्योंकि रूसी मिसाइलों ने कई इमारतों को क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दिया गया है, जिसने पावलोह्राद में एक क्षेत्र को तबाह कर दिया है।
ओल्हा लिट्विनेंको, नामक निवासी, एक बड़े विस्फोट को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं। “जब मैंने दूसरी चिंगारी देखी, तब मैंने सेरही से कहा, “हम अपने कपड़े पहनकर, यहाँ से बाहर निकलें। हम जूते पहन रहे थे तभी विस्फोट की लहर ने दोनों दरवाजों को तोड़ दिया। और वहाँ आग लग गई। मैं बाहर की ओर दौड़ी और मैंने देखा कि गैरेज नष्ट हो चुका था। सब कुछ आग की चपेट में आ चुका था। कांच के टुकड़े हर तरफ बिखरे हुए थे। यदि हम थोड़ी देर पहले बाहर होते तो मार गये होते।”
दूसरी निवासी, विक्टोरिया सुप्रून ने बताया कि उसके बच्चे को सोमवार सुबह के मिसाइल हमले से सदमा हो गया है। उन्होंने कहा, "हम दालान में पहुंचे और फर्श पर लेट गए। और फिर विस्फोट की लहर ने दरवाजे को मोड़ दिया। अगर हम पांच सेकंड और रुकते तो हम यहां फंस जाते।" तब और विस्फोट हुए। मैं नहीं जानती कि दरवाजे को क्या हुआ लेकिन कमरे में जाना मुश्किल था। हम रातभर नहीं सो पाये। बेड पर छिपे अपने बच्चे को दिखाते हुए उसने कहा, “मेरे बच्चे को मनोवैज्ञानिक मदद की जरूरत है। यह भयानक है।”
दुःख सहनेवाले सिर्फ वे नहीं हैं, दर्जनों घायल हैं। अधिकारियों का मानना है कि रूस ने पावलोह्राद को निशाना बनाया क्योंकि यह नीप्रो के केंद्रीय शहर के पास एक रसद केंद्र है, जो यूक्रेन द्वारा बहुप्रतीक्षित जवाबी हमले से पहले मारा गया था।
अधिक हमले
अधिकारियों ने बतलाया कि हमले की खबर दूसरे शहरों से भी मिली हैं। जहाँ शुक्रवार को हमले में दर्जनों लोगों की मौत हो गई। हिंसा की यह खबर पोप फ्राँसिस के आह्वान के बावजूद आई है।
उन्होंने रविवार को पत्रकारों के सामने स्पष्ट किया कि वाटिकन एक शांति मिशन में शामिल है और युद्ध के दौरान रूस लाए गए यूक्रेनी बच्चों की वापसी के लिए मदद देना चाहता है।
माना जाता है कि पिछले साल फरवरी में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण शुरू होने के बाद से हजारों आम नागरिक मारे गए या घायल हुए हैं।
लाखों लोग भाग गए हैं, जिनमें कई यूक्रेनी शरणार्थी भी शामिल हैं, जो अपने देश के बाहर अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं।
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