अर्मेनियाई नरसंहार की बरसी मनाने सैंकड़ों लोग येरेवन की यात्रा पर
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
अर्मेनियाई नरसंहार की वर्षगाँठ मनाते हुए सैकड़ों अर्मेनियाई लोगों ने येरेवन की यात्रा की। यात्रा में भाग लेने वाले एक प्राँगण में जमा हुए, जलती हुई मशालें लीं और तुर्की एवं अज़रबैजानी झंडों के साथ एक जुलूस में भाग लिया।
24 अप्रैल को अर्मेनियाई नरसंहार की 108वीं वर्षगांठ मनायी गई, जहां 1915 -1923 के बीच 1.5 मिलियन अर्मेनियाई लोगों को ओटोमन साम्राज्य द्वारा मार दिया गया था। अर्मेनियाई लोगों का कहना है कि उन्हें जानबूझकर अकाल, जबरन मजदूरी, निष्कासन, मौत जुलूस एवं नरसंहार के माध्यम से भगाने के लिए मजबूर किया गया था।
तुर्की स्वीकार करता है कि उस युग में बहुत से लोग मारे गए थे, लेकिन अंकारा नरसंहार शब्द को खारिज करता है, उसका कहना है कि मरनेवालों की संख्या ओटोमन साम्राज्य के पतन के दिनों में नागरिक अव्यवस्था के कारण बढ़ीं थी।
यादगारी हर साल मनायी जाती है, और यह अर्मेनियाई नरसंहार मेमोरियल कॉम्प्लेक्स में मशाल जुलूस के साथ समाप्त होती है।
दो साल पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने ओटोमन साम्राज्य द्वारा अर्मेनियाई लोगों की सामूहिक हत्याओं को नरसंहार के रूप में मान्यता दी थी। बाइडेन की इस घोषणा से तुर्की के अधिकारी नाराज हो गए थे।
एथेंस में, ग्रीक विदेशमंत्री निकोस डेंडियास ने वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए एक संदेश जारी किया जिसमें कहा कि अर्मेनियाई नरसंहार के पीड़ितों की स्मृति बनाये रखना पूरी मानवता का एक न्यूनतम कर्तव्य है। 'हमारे सोच आज हमारी मातृभूमि के अर्मेनियाई लोगों और पूरी दुनिया के साथ है'।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here