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2020.01.23 बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष पीटर मचाडो 2020.01.23 बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष पीटर मचाडो  

भारतीय महाधर्माध्यक्ष ने न्यायपालिका शीर्ष अदालत का समर्थन किया

बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष पीटर मचाडो का कहना है कि भारत के ख्रीस्तीय समुदाय को देश की न्यायपालिका में बहुत विश्वास है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

बैंगलोर, सोमवार 1अगस्त 2022 (उकान) :बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष ने मीडिया रिपोर्टों की निंदा की जिसमें कहा गया है कि भारत की शीर्ष अदालत ख्रीस्तियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने की मांग वाले एक मामले की सुनवाई में देरी कर रही है।

30 जुलाई को दक्षिणी कर्नाटक प्रांत में बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष पीटर मचाडो ने कहा, "मैं अखबारों के इस बात से बेहद व्यथित हूँ कि भारत का शीर्ष न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय, ख्रीस्तियों के खिलाफ हमलों के मामले को नहीं उठा रहा है। इस आरोप में कोई दम नहीं है। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूँ। ”

महाधर्माध्यक्ष का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ द्वारा मीडिया के एक वर्ग की आलोचना करने के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें संकेत दिया गया था कि शीर्ष अदालत याचिका पर सुनवाई के लिए बहुत उत्सुक नहीं है।

उकान स्टोर

उन्होंने कहा, 'आप अखबारों में प्रकाशित करवाएं कि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई में देरी कर रहा है। देखिए, जजों को निशाना बनाने की एक सीमा होती है। यह सब समाचार कौन प्रदान करता है।” जस्टिस चंद्रचूड़ ने 27 जुलाई को यह स्पष्ट करते हुए कहा कि पिछली सुनवाई स्थगित कर दी गई थी क्योंकि उसे कोविड हो गया था।

महाधर्माध्यक्ष मचाडो चिंतित थे क्योंकि एक गलतफहमी की संभावना थी कि याचिकाकर्ता खुद, नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम और इवांजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया शीर्ष अदालत के खिलाफ मीडिया को जानकारी दे सकते थे।

न्यायपालिका में अपने पूर्ण विश्वास की पुष्टि करते हुए, महाधर्माध्यक्ष पीटर ने अपने बयान में कहा: "ख्रीस्तीय समुदाय न्यायपालिका में अपने अपार विश्वास को दर्ज करना चाहता है। हम कभी कल्पना या संदेह नहीं करेंगे कि सर्वोच्च न्यायालय मानव अधिकारों या धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने में देरी या संकोच करेगा।”

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि ख्रीस्तियों के खिलाफ हमले जारी हैं, खासकर उन राज्यों में जहां धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए गए हैं और आशा व्यक्त की कि सर्वोच्च न्यायालय हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय लाएगा।

27 जून को, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की खंडपीठ ने अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस मामले को 11 जुलाई को प्राथमिकता के रूप में सूचीबद्ध करे, जिस दिन अदालतें गर्मी की छुट्टी के बाद फिर से खुलती हैं।

पीठ ने कहा कि वह हैरान था जब याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने उसे सूचित किया कि पूरे भारत में हर महीने ईसाई संस्थानों और पुरोहितों के खिलाफ औसतन 45 से 50 हिंसक हमले होते हैं।

मई में 57 हमले दर्ज किए गए, उन्होंने शीर्ष अदालत से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। पीठ ने कहा, “आप जो कह रहे हैं वह दुर्भाग्यपूर्ण है, अगर ऐसा हो रहा है। हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका मामला फिर से खुलने के दिन ही सूचीबद्ध हो। ”

लेकिन सुनवाई को 15 जुलाई तक के लिए टालना पड़ा क्योंकि मामले से संबंधित सभी दस्तावेज अभी तक सभी संबंधित पक्षों को उपलब्ध नहीं कराए गए थे, जो कानूनी रूप से अनिवार्य है।

15 जुलाई की सुनवाई भी स्थगित कर दी गई और मीडिया में संदेह पैदा करने वाली खबरआने लगी।

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01 August 2022, 16:11