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यूक्रेन: '1.7 मिलियन यूक्रेन के शरणार्थी', इटली में प्रवाह बढ़ा यूक्रेन: '1.7 मिलियन यूक्रेन के शरणार्थी', इटली में प्रवाह बढ़ा 

दस लाख से अधिक लोग यूक्रेन से पड़ोसी देशों में भाग गए

अंतर्राष्ट्रीय काथलिक प्रवासन आयोग दुनिया भर में धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के समन्वय से यूक्रेन संकट के जवाब में धन जुटाने के लिए एक अभियान शुरू कर रहा है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

जिनेवा, सोमवार 07 मार्च 2022 (वाटिकन न्यूज) : रूस और यूक्रेन के बीच मानवीय गलियारों पर पहले समझौते को लागू करने का प्रयास में शनिवार को मारियुपोल शहर में संघर्ष विराम के उल्लंघन के आरोपों के कारण मुश्किलता आई। रूस मानवीय गलियारों पर सहमत हो गया था जो नागरिकों को मारियुपोल और वोल्नोवाखा शहरों को छोड़ने की अनुमति देगा। आशा है कि नागरिकों की अपनी सुरक्षा के लिए क्षेत्रों को छोड़ने हेतु ये सुरक्षित मार्ग खुले रहेंगे।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट है कि इस क्षेत्र में हिंसा के कारण केवल सात दिनों में दस लाख से अधिक लोग यूक्रेन से भाग गए हैं, जबकि अनगिनत अन्य आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं।

जिनेवा स्थित अंतर्राष्ट्रीय काथलिक प्रवासन आयोग (आसीएमसी) दुनिया भर में धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संयोजन के साथ समन्वित प्रतिक्रिया के माध्यम से उनकी सहायता के लिए काम कर रहा है। आइसीएमसी बुजुर्ग और कमजोर लोगों को सहायता और सुरक्षा प्रदान करता है और शरणार्थियों और प्रवासियों के लिए स्थायी समाधान की वकालत करता है।

आईसीएमसी महासचिव, मोन्सिन्योर जी. रॉबर्ट विटिलो ने थदेयुस जोन्स को स्थिति के बारे में बताया और किस तरह से सुरक्षित मार्ग यूक्रेनियन को सुरक्षा तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं और आसपास के देशों तक पहुंचने वालों को अंतरराष्ट्रीय सहायता दी जा रही है।

यूक्रेन की स्थिति के संबंध में आईसीएमसी अभी क्या कर रही है?

इसीएमसी की स्थापना 70 साल पहले संत पापा पियुस बारहवें द्वारा काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के एक नेटवर्क के रूप में की गई थी जो दुनिया भर में शरणार्थी और प्रवास आपात स्थितियों का जवाब देने में लगे हुए हैं। इसलिए हम धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के साथ जानकारी साझा करने और उनकी मदद करने का प्रयास कर रहे हैं। हम यूक्रेन आपातकाल के जवाब में धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के काम का समर्थन करने और यूक्रेन में कलीसिया द्वारा किए जा रहे कार्यों का समर्थन करने में सक्षम होने के लिए धन जमा करने वाले अभियान में भी शामिल हैं।

आपातकाल के संदर्भ में आपको कौन सी नवीनतम रिपोर्टें मिल रही हैं और यहां तक कि संख्याएं भी जो इस समय आगे बढ़ रही हैं?

खैर, उन लोगों की संख्या के संदर्भ में सटीक संख्या प्राप्त करना कठिन है जो पहले ही यूक्रेन छोड़ चुके हैं। कुछ अनुमान पहले से ही लगभग एक मिलियन हैं। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने प्रोजेक्ट किया है कि, इस आपातकाल के परिणामस्वरूप, खासकर अगर बहुत कम समय में संघर्ष का अंत नहीं होता है तो जुलाई 2022 तक, संभवत: चार मिलियन लोग यूक्रेन छोड़ देंगे।

मौजूदा हालात को देखते हुए वे लोगों के भागने के सुरक्षित रास्ते की बात कर रहे हैं। वे वास्तव में क्या हैं?

यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जो लोग अभी यूक्रेन में नहीं रह सकते हैं और विशेष रूप से सबसे कमजोर, महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और बीमार किसी पड़ोसी देश में जा सकें और वहां उनका स्वागत किया जा सके। कई देश पहले से ही उनका स्वागत कर रहे हैं। निश्चित रूप से, हंगरी, मोल्दाविया, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया उन देशों में से हैं जो शरणार्थियों का स्वागत कर रहे हैं। उनका अलग-अलग तरह से स्वीकार कर रहे है। उदाहरण के लिए, हंगरी में, कलीसिया ने बताया है कि कई स्वयंसेवक हैं, जो पल्लियों में जाकर उनके कामों में मदद कर रहे हैं। रोमानिया में लोग अपने घरों में कमरे उपलब्ध करा रहे हैं और परिवारों का स्वागत कर रहे हैं. इसलिए, प्रतिक्रिया देने के विभिन्न तरीके हैं, लेकिन निश्चित रूप से कारितास, जेसुइट रिफ्यूजी सर्विस, और धर्माध्यक्ष भी लोगों की मदद करने में लगे हुए हैं। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जो लोग सीमाओं पर पहुँच गये हैं वे सीमा पार कर सकें। यूरोपीय संसद ने हाल ही में सभी यूरोपीय संघ के देशों के निर्देश को मंजूरी दी है कि लोगों का स्वागत किया जाए और यदि आवश्यक हो तो उन्हें तीन साल तक भी अस्थायी संरक्षित दर्जा मिल सकता है।

दूसरी बात जिस पर इतनी चर्चा नहीं हुई वह यह है कि यूक्रेन में कई विदेशी छात्र हैं। यूक्रेन में 330,000 छात्र थे, उनमें से कई मेडिकल स्कूलों में थे, और कई भारतीय और अफ्रीकी छात्र भी थे और इसलिए फिर से, यूरोपीय संघ ने यूरोपीय देशों से सिफारिश की है कि उन्हें उन देशों में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए, भले ही उनके पास पासपोर्ट न हो, जब तक कि उनके पास यूक्रेन का वीसा था क्योंकि वे अध्ययन कर रहे थे या उनके लिए भी विदेशी कामगारों को यूरोपीय संघ के देशों में जाने और वहां सुरक्षित रहने की अनुमति दी जाए। तो ये सब सुरक्षित रास्ते के प्रकार हैं जो आवश्यक हैं। अभी, हम नहीं जानते कि यूक्रेन में यह स्थिति कब तक बनी रहेगी और क्या उनमें से कई लोग यूक्रेन वापस जा सकेंगे। यदि थोड़े समय में शांति आती है, या उन्हें अंततः या तो कहीं और बसने की आवश्यकता होगी। जो लोग पड़ोसी देशों में जा रहे हैं, उनमें से कई वहाँ रहने की योजना नहीं बनाते हैं, क्योंकि वे उन देशों में जाना चाहते हैं जहाँ उनके परिवार के सदस्य पश्चिमी यूरोप में हैं। इसलिए, हमें यह देखना होगा कि दीर्घकालिक नियोजन के संदर्भ में क्या होता है, यदि यह एक दीर्घकालिक संघर्ष होगा, जैसा कि दुनिया में कई अन्य स्थानों पर भी हो रहा है।

क्या आप कहेंगे कि एक प्रकाश, सभी अंधेरे के बावजूद, क्या एकजुटता का यह अविश्वसनीय रूप से उजाला है और इतने कम समय में भी?

बिल्कुल, और मुझे लगता है, इसका अधिकांश भाग धार्मिक मूल्यों और सुसमाचार पर आधारित है। यूक्रेन में और आसपास के देशों में बहुत से लोग ख्रीस्तीय हैं और इस प्रकार की आपात स्थितियों से निपटने के मामले में हमारी काथलिक कलीसिया बहुत अच्छी तरह से संगठित है। वास्तव में, आइसीएमसी सहित कई बड़े मानवतावादी काथलिक संगठन यह देखने के लिए वाटिकन के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं, कि हम जो काम कर रहे हैं, उसमें हम कितना अच्छा समन्वय कर सकते हैं, भले ही प्रत्येक संगठन की अपनी विशेषता हो, उसका अपना दृष्टिकोण हो, कम से कम यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे लोगों की जरूरतों के मामले में कोई बड़ा अंतर नहीं हैं और विशेष रूप से हम स्थानीय कलीसिया की कितनी मदद कर सकते हैं क्योंकि वे पहले लोगों की मदद कर रहे हैं।

 आप लोगों को सुझाव दें, कि वे मदद के लिए क्या कर सकते हैं?

सबसे पहला सुझाव, प्रार्थना करने के लिए। इस स्थिति में शांति लाने के लिए हमें ईश्वरीय हस्तक्षेप की आवश्यकता है। जैसा कि दुनिया भर में कई दीर्घकालिक संघर्षों में होता है। हमें दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वालों को भी नहीं भूलना चाहिए जो पीड़ित हैं। साथ ही दान करना है। बहुत बार लोग खाद्य सामग्री और अन्य सामान ट्रक भरकर एक साथ भेजना चाहते हैं, यह अच्झी बात है। पर सबसे अच्छी बात धन दान करना है, ताकि इसका उपयोग मानवीय एजेंसियों, चर्च एजेंसियों और अन्य लोगों द्वारा आवश्यक चीज़ों को खरीदने के लिए किया जा सके और साथ ही, संयुक्त राष्ट्र की सिफारिश है कि शरणार्थियों को नकद सहायता दी जाए ताकि वे यह निर्धारित कर सकें कि उन्हें क्या चाहिए और वे उस नकद सहायता से क्या खरीदना चाहते हैं, बजाय इसके कि किसी और ने उन्हें कुछ दान दिया हो। तो यह एक महत्वपूर्ण बात है कि धन दान करना है ताकि कलीसिया प्रतिक्रिया देने में सक्षम होने के लिए बेहतर स्थिति में हो सके।

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07 March 2022, 16:04