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ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न पर वाशिंगटन में पाकिस्तान के महाधर्माध्यक्ष सेबास्टियन शॉ  तस्वीरः 04.04.2020 ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न पर वाशिंगटन में पाकिस्तान के महाधर्माध्यक्ष सेबास्टियन शॉ तस्वीरः 04.04.2020  (© 2017 Catholic News Service)

विश्व भर में ख्रीस्तीयों के खिलाफ उत्पीड़न में वृद्धि

अमरीका की ओपन डोर्स इन्टरनेशनल संस्था ने वर्ल्ड वाईड लिस्ट द्वारा प्रकाशित सूची में दर्शाया कि ख्रीस्तीयों के खिलाफ उत्पीड़न, विशेष रूप से, एशियाई और अफ्रीकी देशों में बढ़ रहा है और यह कि COVID 19 महामारी ने भेदभाव को और अधिक बढ़ा दिया है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

केलिफोर्निया, शुक्रवार, 21 जनवरी 2022 (वाटिकन न्यूज़): अमरीका की ओपन डोर्स इन्टरनेशनल संस्था ने वर्ल्ड वाईड लिस्ट द्वारा प्रकाशित सूची में दर्शाया कि ख्रीस्तीयों के खिलाफ उत्पीड़न, विशेष रूप से, एशियाई और अफ्रीकी देशों में बढ़ रहा है और यह कि COVID 19 महामारी ने भेदभाव को और अधिक बढ़ा दिया है। ओपन डोर्स इन्टरनेशनल द्वारा प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के दौरान तमाम विश्व में ईसाइयों के खिलाफ उत्पीड़न की एक नई महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज़ की गई।

36 करोड़ से अधिक लोग पीड़ित

19 जनवरी को नीदरलैंड स्थित गैर-सांप्रदायिक संगठन द्वारा वर्ल्ड वॉच लिस्ट (डब्ल्यू डब्ल्यू एल) 2022 प्रस्तुत की गई, जो उन 50 देशों का ज़िक्र करती है जहां ख्रीस्तीय धर्मानुयायी अपने विश्वास के ख़ातिर अत्यधिक उत्पीड़ित किये जाते हैं। पहली अक्टूबर 2020 से 30 सितंबर 2021 तक की अवधि तक किये गये सर्वेक्षण से पता चलता है कि विशेष रूप से एशियाई और अफ्रीकी देशों में उत्पीड़न बढ़ रहा है और COVID 19 महामारी ने भेदभाव को और बढ़ा दिया है।

सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, विगत वर्ष 36 करोड़ से अधिक लोगों ने यानि विश्व के 7 में से 1 व्यक्ति ने अपने देश में उत्पीड़न और भेदभाव को सहा। इस अवधि के दौरान 5,898 ख्रीस्तीयों को मार डाला गया, 5,110 गिरजाघरों पर हमले किये गये अथवा उन्हें बन्द करवा दिया गया, 6,175 ख्रीस्तीयों को बना किसी मुकद्दमें के गिरफ्तार कर लिया गया तथा 3, 829 ख्रीस्तानुयायियों का अपहरण कर लिया गया।  

अफ़गानिस्तान, उत्तरी कोरिया में स्थिति ख़राब

नई रिपोर्ट में कहा गया कि अगस्त 2021 में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से अफ़गानिस्तान ईसाइयों के लिए सबसे ख़तरनाक देश के रूप में पहले स्थान पर है। इसी प्रकार उत्तरी कोरिया में भी ख्रीस्तीयों का उत्पीड़न जारी है जो उक्त सूची में दूसरे नम्बर पर है।

ईसाई विरोधी हिंसा की उच्चतम दर दर्ज़ करने वाले प्रथम पाँच देशों में से चार इस्लामिक राज्य हैं जहां राजनीतिक अशांति और धार्मिक उग्रवाद दोनों में वृद्धि हुई है। इनमें अफगानिस्तान के साथ-साथ सोमालिया, लीबिया और यमन शामिल हैं। इनके बाद एरित्रेया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, ईरान, भारत, सऊदी अरब, म्यांमार, सूडान, इराक और सिरिया का स्थान है।

कोविड -19 का प्रभाव और विस्थापन

रिपोर्ट में धियान आकर्षित कराया गया कि कोविड -19  महामारी द्वारा ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न और उनके विरुद्ध भेदभाव में और अधिक वृद्धि हुई है, इसलिये कि अधिकारी वर्ग ईसाई समुदायों पर अपना नियंत्रण बढ़ाने के लिए महामारी को रोकने हेतु अनावश्यक प्रतिबन्धों और निगरानी को वैध घोषित करते रहे हैं।  

रिपोर्ट में ध्यान आकर्षित कराया गया कि ईसाइयों के खिलाफ धार्मिक हिंसा के परिणामों में से एक है बलात विस्थापन। 2021 में लगभग 8 करोड़ 40 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित दर्ज़ किये गये जिनमें 2 करोड़ साठ लाख ईसाई शरणार्थी थे, जिन्होंने साहेल क्षेत्र, नाइजीरिया और अन्य अफ्रीकी देशों में इस्लामी हिंसा के कारण अपने देशों से पलायन किया था। इसी प्रकार म्यानमार में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के कारण लगभग 200,000 ख्रीस्तीय विस्थापित हुए तथा 20,000 से अधिक ख्रीस्तीयों को म्यानमार से पलायन करना पड़ा।

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21 January 2022, 11:58