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सूडान के पूर्व प्रधान मंत्री अब्दुल्ला हमदोक सूडान के पूर्व प्रधान मंत्री अब्दुल्ला हमदोक  

सूडान में प्रधानमंत्री हमदोक के इस्तीफे के बाद असुरक्षा बढ़ी

सूडान के प्रधान मंत्री अब्दुल्ला हमदोक ने देश की अस्थायी सरकार का नेतृत्व करने से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वे देश को शांति की ओर ले जाने में विफल रहे हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

खार्तूम, सूडान, मंगलवार 4 जनवरी 2022 (वाटिकन न्यूज): रविवार को, सूडान के प्रधान मंत्री अब्दुल्ला हमदोक ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि वे 25 अक्टूबर के सैन्य तख्तापलट के बाद सेना से नागरिकों को सत्ता के हस्तांतरण को सुरक्षित करने में विफल रहे हैं। तख्तापलट के शुरुआती चरणों में हमदोक को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन तख्तापलट का नेतृत्व करने वाले जनरल अब्देल फत्ताह अल बुरहान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, नवंबर के अंत में सरकार के प्रमुख के पद अब्दुल्ला हमदोक वापस आ गये थे। इस्तीफे का पहला और मुख्य परिणाम यह है कि सत्ता अब पूरी तरह से सेना में वापस आ जाएगी।

एक टेलीविज़न भाषण में, हमदोक ने कहा कि सूडान "एक खतरनाक चौराहे पर खड़ा है और इसके अस्तित्व को खतरा है।" उन्होंने कहा कि उन्होंने "सुरक्षा, शांति, न्याय और हिंसा का अंत" सुनिश्चित करने और देश की राजनीतिक स्थिति को "एक आपदा" बनने से रोकने के लिए अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन उनके सभी प्रयासों के बावजूद "ऐसा नहीं कर पाये।"

हमदोक को जुलाई 2023 के लिए निर्धारित नए चुनावों तक नागरिक और सैन्य नेताओं से बनी सरकार का नेतृत्व करना था। हालांकि सरकार में सेना के बड़े प्रभाव को देखते हुए,  यह स्पष्ट नहीं है कि प्रधान मंत्री के रूप में उनके पास वास्तव में कितनी शक्ति होगी।

इस बीच राजधानी खार्तूम और ओमदुरमन शहर में रविवार को हजारों लोगों ने सैन्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस अधिकारियों ने आंसू गैस का इस्तेमाल करते हुए हस्तक्षेप किया और प्रदर्शनों को हिंसक रूप से दबा दिया, जिसमें तीन लोग मारे गए और अनेक घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों को सहायता प्रदान करने वाले डॉक्टरों के एक संघ के अनुसार, हाल के महीनों में तख्तापलट के विरोध में कम से कम 57 लोग मारे गए हैं। कुल मिलाकर, पिछले अक्टूबर से कई सौ सूडानियों को पीटा गया, घायल किया गया या गिरफ्तार किया गया।

सूडान की आबादी लगभग 44 मिलियन है और यह बहुत ही अनिश्चित स्थिति में है क्योंकि तानाशाह उमर बशीर को भारी लोकप्रिय विरोधों के बाद दो साल पहले पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। हाल के हफ्तों में, जनरल बुरहान ने सेना के हस्तक्षेप का बचाव करना जारी रखा है। उनका कहना है कि अगर सेना ने हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो मजबूत राजनीतिक ध्रुवीकरण और विभिन्न पक्षों से हिंसा के कारण देश में गृहयुद्ध शुरु हो जाएगा। बुरहान ने यह भी तर्क दिया कि सूडान 2023 में चुनावों से पहले नागरिक और लोकतांत्रिक शासन में परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। हालांकि, शासन के विरोधियों ने सेना के सच्चे इरादों पर सवाल उठाना जारी रखा है।

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04 January 2022, 16:22