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म्यांमार के एक बैंक के बाहर पैसा निकालने के लिए पंक्ति में खड़े लोग म्यांमार के एक बैंक के बाहर पैसा निकालने के लिए पंक्ति में खड़े लोग  

म्यांमार ने 2021 में 1.6 मिलियन नौकरी खो दी

म्यांमार ने तख्तापलट एवं महामारी के कारण साल 2021 में करीब 1.6 मिलियन नौकरी खो दी है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

म्यांमार, शनिवार, 29 जनवरी 2022 (वीएनएस)- अंतरराष्ट्रीय रोजगार संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट अनुसार सैन्य तख्तापलट ने म्यांमार के श्रम बाजार को तहस-नहस कर दिया है जो पहले से ही कोविड-19 के प्रभाव से कमजोर हो चुका था। इससे महिला श्रमिकों को सबसे अधिक प्रभावित होना पड़ा है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान अनुसार, म्यांमार ने सैन्य तख्तापलट एवं कोविड-19 के प्रभाव के कारण साल 2021 में करीब 1.6 मिलियन नौकरी खो दी है।  

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट 1 फरवरी 2021 को हुई थी उसके एक साल बाद श्रम बाजार अत्यन्त कमजोर हो गया है, संघर्ष एवं लगातार राजनीतिक उथल-पुथल के कारण सम्मानित कामों को कम आंका जा रहा है, जिसने सामाजिक-आर्थिक एवं कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्वास्थ्य की चुनौतियों को जटिल कर दिया है।    

नौकरी एवं काम के समय में घाटा

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने शुक्रवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुमान अनुसार म्यांमार में 2020 की तुलना में 2021 में पूरे कार्य समय में 18 प्रतिशत की कमी आई है जो कम से कम 3.1 मिलियन पूर्णकालिक कर्मचारियों के कार्य समय के बराबर है। ये काम के घंटे के नुकसान रोजगार के नुकसान के साथ-साथ बढ़ी हुए बेरोजगारी से भी प्रभावित हैं।

2021 में वार्षिक रोजगार नुकसान से करीब 8 प्रतिशत या 1.6 मिलियन नौकरी चली गई है जो पिछले वर्ष की 20.5 मिलियन की नौकरियों की तुलना में काफी कम है। अनुमान औपचारिक और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था, श्रमिकों सहित म्यांमार की पूरी श्रम शक्ति को समेटता है।

घाटे से प्रभावित क्षेत्र

2021 की राजनीतिक, सामाजिक-आर्थिक एवं महामारी की चुनौतियों ने श्रमिकों एवं उद्यमियों पर अत्यधिक प्रभाव डाला है।

कृषि, जो सम्पूर्ण रोजगार का आधा हिस्सा है 2020 के अंत में, कम आमदनी, निर्यात में कटौती, ऊँची कीमतें, ऋण तक सीमित पहुंच और बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित था।   

ग्रामीण किसान भी सशस्त्र संघर्ष, हिंसा और असुरक्षा से प्रभावित थे और पलायन एवं कमजोर जीविका उपार्जन के लिए मजबूर हुए। निर्माण, वस्त्र एवं पर्यटन आदि उद्योगों पर भी 2021 में बुरा असर पड़ा है।  

पुरूषों की तुलना में महिलाओं को अधिक काम खोना पड़ा है, खासकर, वस्त्र उद्योग एवं पर्यटन विभाग में।

श्रम बाजार में अवरोधों के कारण अन्य सार्वजनिक सेवाओं जैसे प्रशासन, बैंक, शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ा है।

सकल घरेलू उत्पाद का गिरना

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि 2020 में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करने के बाद, 2021 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 17.9 प्रतिशत की कमी आई है।

इसी तरह, विश्व बैंक का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी में 18 फीसदी की कमी आएगी।

चुनी हुई सरकार की फौज द्वारा अपदस्थ किये जाने के एक साल बाद म्यांमार कई तरह की मानवीय संकटों का सामना कर रहा है। राजनीतिक उथल-पुथल, सशस्त्र संघर्ष, हिंसा, असुरक्षा एवं विस्थापन ने, व्यापक सामाजिक-आर्थिक एवं कोविड-19 महामारी से जुड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों को मिश्रित कर दिया है।  

गरीबी में बृद्धि

करीब 25 मिलियन लोग 2021 के अंत तक गरीबी में जीने लगे हैं तथा 14.4 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है।  

अंतरराष्ट्रीय श्रम बाजार के प्रतिनिधि डोंग्लीन ली ने कहा, “सैन्य अधिग्रहण और कोविड -19 महामारी ने म्यांमार में लाखों श्रमिकों को गंभीर स्थिति में डाल दिया है। हम श्रम बाजार में वर्षों की प्रगति को उलटते हुए देख रहे हैं। क्या इसे जारी रहना चाहिए। यह देश में केवल गरीबी और असुरक्षा बढ़ायेगा।"

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29 जनवरी 2022, 14:42