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होलोकॉस्ट स्मृति दिवस ˸ 'संवाद जोड़ता एवं समझदारी लाता है'

27 जनवरी को जब दुनिया, अंतरराष्ट्रीय होलोकॉस्ट या यहूदी नरसंहार स्मृति दिवस मना रही है, इंगलैंड एवं वेल्स के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के काथलिक-यहूदी संबंध के अध्यक्ष, महाधर्माध्यक्ष केविन मैकडोनाल्ड ने आपसी समझदारी उत्पन्न करने हेतु स्मृति, शिक्षा एवं संवाद के महत्व पर प्रकाश डाला।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

इंगलैंड, बृहस्पतिवार, 27 जनवरी 2022 (रेई)- अंतरराष्ट्रीय होलोकॉस्ट स्मृति दिवस हर साल मनाया जाता है ताकि उन लाखों लोगों की याद की जा सके जिन्हें मौत का शिकार होना पड़ा अथवा यहूदी नरसंहार से होकर गुजरना पड़ा।

यह तिथि दक्षिण-पश्चिम पोलैंड के ऑशविट्ज़ में नाज़ी नजरबंद शिविर की मुक्ति की याद दिलाती है, जिसे 27 जनवरी 1945 को रूसी सैनिकों द्वारा मुक्त किया गया था।

यह दिन उन लाखों लोगों को भी याद दिलाती जो कंबोडिया, रवांडा, बोस्निया और दारफुर में संघर्षों के दौरान किए गए भयानक अपराधों से प्रभावित हुए थे।

ऐतिहासिक रेकॉर्ड की रक्षा

76वें अंतरराष्ट्रीय होलोकॉस्ट स्मृति दिवस की विषयवस्तु है, "स्मृति, प्रतिष्ठा एवं न्याय।"

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, "होलोकॉस्ट यादगारी और शिक्षा, 21वीं सदी के तीसरे दशक में एक वैश्विक अनिवार्य है। इतिहास लिखना एवं यादगारी बनाये रखना उन लोगों के प्रति प्रतिष्ठा और न्याय लाना है जिन्हें होलोकॉस्ट के अपराधियों ने मिटाना चाहा था। ऐतिहासिक रेकॉर्ड की रक्षा करना, पीड़ितों की याद करना, इतिहास की विकृति को चुनौती देना, अक्सर समकालीन विरोधीवाद में व्यक्त किया जाता है, ये क्रूरतापूर्ण अपराध के बाद न्याय का दावा करने के आलोचनात्मक आयाम हैं।"  

लंदन में साऊथवॉर्क के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष तथा इंगलैंड एवं वेल्स के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन में काथलिक-यहूदी संबंध के अध्यक्ष केविन मैकडोनाल्ड ने वाटिकन न्यूज से बातें कीं।

पोलैंड के ऑशविट्ज़ में नाज़ी नजरबंद शिविर में पोप फ्राँसिस

यादगारी

यादगारी के महत्व पर वाटिकन न्यूज से बातें करते हुए महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "इसका यहूदी एवं ख्रीस्तीय दोनों के लिए एक खास महत्व है, और जिस रूप में हम इसे याद करते हैं यह वास्तव में जुड़ा हुआ है।"  

उन्होंने कहा, "यहूदियों के लिए निर्गमण की याद महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इससे न केवल मुक्ति की कहानी की याद की जाती है बल्कि इससे प्रजा बनने की याद जुड़ी है क्योंकि इसके द्वारा वे मुक्त किये गये, उन्हें अपनी संहिता एवं भूमि मिली, इस तरह वे प्रजा बन गये। अतः वास्तविक अर्थ में, यादगारी के द्वारा हम अपने अस्तित्व की स्थिति को समझते हैं।"

यहूदी-विरोध के हर प्रकार का सामना करने के लिए, वार्ता के महत्व पर जोर देते हुए महाधर्माध्यक्ष मैकडोनल्ड ने संबंध पर संत पापा फ्राँसिस के विचारों का उल्लेख किया।  

उन्होंने कहा, "यदि आप पोप फ्राँसिस द्वारा पहल किये गये सिनॉडल (एक साथ) प्रक्रिया पर गौर करेंगे, जिसमें वे कहते हैं कि प्रज्ञा, सुनने, संवाद एवं बातचीत करने से उत्पन्न होगी...हमें अपने संबंध को बढ़ाने तथा वार्ता के द्वारा यह जानने की आवश्यकता है कि लोग क्या सोचते हैं, अन्यथा उनके आधार पर काम करने के बजाय आप अपनी ही सोच अनुसार काम करेंगे।" वार्ता संबंध उत्पन्न करता है, यह आपसी समझदारी बढ़ाता है।

शिक्षा

अतीत से सीख लेने के लिए लोगों की मदद हेतु शिक्षा की भूमिका को उजागर करते हुए महाधर्माध्यक्ष ने गौर किया कि शिक्षा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि "बहुधा हम सोचते है कि हम चीजों को जानते हैं जबकि नहीं जानते।"

महाधर्माध्यक्ष ने रेखांकित किया कि अच्छी शिक्षा, लकीर के फकीर वाली सोच और झूठी धारणाओं से ऊपर उठने के लिए आधारभूत है। इसलिए यह समझदारी का एक वास्तविक स्तर विकसित करती है।  

उदासीनता

संत पापा फ्राँसिस ने जनवरी 2018 में यहूदी विरोधी के खिलाफ संघर्ष पर रोम में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित अपने भाषण में गौर किया था कि "शत्रु जिससे हम लड़ते हैं वह न केवल घृणा का विभिन्न रूप है बल्कि उससे भी अधिक गंभीर है उदासीनता। क्योंकि उदासीनता ही है जो हमें अपंग बनाता एवं सही चीजों को करने नहीं देता है यद्यपि हम जानते है कि वह सही है।"   

संत पापा ने कहा था, "मैं यह दुहराने से कभी नहीं थकता कि उदासीनता एक वायरस है जो हमारे समय में खतरनाक रूप से संक्रमित कर रहा है, एक ऐसे समय में जब हम दूसरों से अधिक सम्पर्क में हैं किन्तु उनके प्रति ध्यान कम है।"

उदासीनता के मुद्दे पर महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि "उदासीनता यह स्वीकार करने में विफलता है कि अन्य लोग मायने रखते हैं, अन्य स्थितियाँ मायने रखती हैं और वे हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं ... उदासीनता वास्तव में नकारात्मकता का एक रूप है।"

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27 January 2022, 15:35