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नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह, 26.01.2022 नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह, 26.01.2022  (ANSA)

भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह से भजन हटाए जाने पर निराशा

गणतंत्र दिवस समारोह से ईसाई भजन "अबाइड विथ मी" हटाये जाने से सम्बन्धित भारतीय सरकार के निर्णय पर भारत के ख्रीस्तीयों ने गहन निराशा व्यक्त की है। विपक्षी नेताओं ने भी इसे एक "वैचारिक युद्ध" का परिणाम निरूपित कर इस निर्णय की कड़ी निन्दा की है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, शुक्रवार, 28 जनवरी 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): गणतंत्र दिवस समारोह से ईसाई भजन "अबाइड विथ मी" हटाये जाने से सम्बन्धित भारतीय सरकार के निर्णय पर भारत के ख्रीस्तीयों ने गहन निराशा व्यक्त की है। विपक्षी नेताओं ने भी इसे एक "वैचारिक युद्ध" का परिणाम निरूपित कर इस निर्णय की कड़ी निन्दा की है। 

"अबाइड विथ मी"

स्कॉटलैण्ड के एंग्लिकन पादरी हेनरी फ्राँसिस लाइट द्वारा रचित भजन 'एबाइड विद मी' ख्रीस्तीय समुदायों में एक लोकप्रिय भजन है तथा महात्मा गांधी का पसंदीदा गीत था। इस भजन को राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों की सेनाओं के ब्रास बैण्ड द्वारा औपचारिक समारोह में बजाया जाता है। सन् 1950 से लेकर सन् 2021 तक यह प्रतिवर्ष 26 जनवरी को भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में भी बजाया जाता रहा था।

धर्म के आधार पर भेदभाव उचित नहीं

यूनाईटेड क्रिस्टियन फोरम के संयोजक ए.सी. माईकिल ने ऊका समाचार से बातचीत में भजन को गणतंत्र समारोह से हटाये जाने पर गहन निराशा व्यक्त की तथा कहा, "इतने अधिक भारतीय ईसाई सशस्त्र बलों में सेवा अर्पित कर रहे हैं और कितनों ने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे डाली है। धर्म के आधार पर यह भेदभाव क्यों? क्या हम भारतीय नहीं हैं?"

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य माईकिल ने भजन की तत्काल बहाली की मांग करते हुए कहा कि  ख्रीस्तीय धर्म, हिंदू धर्म और इस्लाम के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है और ईसाइ धर्म के लोग अपनी भारतीय विरासत और परंपराओं का एक अभिन्न अंग होने पर समान रूप से गर्व महसूस करते हैं। उन्होंने प्रश्न किया, "इतने दशकों के बाद एक आधिकारिक कार्यक्रम से एक गीत को हटाये जाने का कारण क्या हो सकता है? सिर्फ इसलिए कि यह एक ईसाई भजन है?" उन्होंने कहा कि जो कोई भी इस भजन को हटाने के लिये ज़िम्मेदार है उसने ख्रीस्तीय लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाया है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 2022 के गणतंत्र दिवस के लिये प्रकाशित कार्यक्रम से "अबाइड विथ मी" भजन को हटा दिया गया था। यह भी कहा गया कि 2020 से ही हिन्दू दलों समर्थित भारतीय जनता पार्टी ने भजन को हटाने की योजना रखी थी। महात्मा गाँधी के पोते गोपाल कृष्ण गाँधी ने भी भजन के सौन्दर्य तथा उसकी मानवीय एवं आध्यात्मिक अपील पर विचार कर इसे न हटाये जाने पर सचेत किया था।  

सरकार की दलील और आलोचना  

सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस वर्ष भारतीय मूल या स्वदेशी धुनों को समायोजित करने के लिए भजन को अंततः बाहर रखा गया था क्योंकि इस वर्ष राष्ट्र ब्रिटिश उपनिवेशवादियों से स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगाँठ मना रहा था।

वरिष्ठ काँग्रेस नेता पी. चिदम्बरम ने कहा कि सरकार के इस कदम से देश के 'बुद्धिजीवी  और संवेदनशील' लोगों को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा, "यह अत्यन्त दुख की बात है कि एक पुराना ईसाई भजन, जो अब एक ईसाई भजन नहीं बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष भजन बन चुका है, उसे गणतंत्र दिवस परेड से हटा दिया गया है।"

इसी बीच, काँग्रेस पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि उक्त निर्णय महात्मा गांधी और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की भिन्न-भिन्न विचारधाराओं के बीच चल रहे एक "वैचारिक युद्ध" का परिणाम था।

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28 January 2022, 11:43