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मानव अधिकार समुदाय पर प्रतिबंध

रूसी अदालत ने एक अन्य वकालत समूह पर प्रतिबंध लगाने के बाद, एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन को बंद करने का आदेश दिया, आलोचकों ने इसका विरोध करते हुआ कहा कि सोवियत युग के समान है। बुधवार के फैसले के कारण रूस में असंतोष व्यापक रूप में देखा जा रहा है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 30 दिसम्बर 2021 (रेई) मॉस्को सिटी कोर्ट द्वारा मेमोरियल ह्यूमन राइट्स सेंटर पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है जो रूस की सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसके एक सह संगठन, मेमोरियल की कानूनी स्थिति को रद्द करने के बाद आया है।

इन निर्णयों के संबंध में आलोचकों का कहना है कि यह सोवियत-युग से मिलती-जुलती स्थिति बयां करती है जहाँ रूस की न्यायपालिका ने देश के प्रमुख मानवाधिकार समूहों की गतिविधियों को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया।

दोनों मेमोरियल संगठनों को पहले से ही पिछले वर्षों “विदेशी एजेंट" के रूप में रेखांकित किया गया था, एक नाम जो इसके साथ अतिरिक्त सरकारी दबाव लाता है।

अदालत ने अभियोजकों के साथ सहमति व्यक्त की कि मेमोरियल रूस-प्रभुत्व वाले सोवियत संघ, या यूएसएसआर की “एक झूठी छवि” उत्पन्न करता है, जो दिसंबर 1991 में खत्म हो गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेमोरियल ने “यूएसएसआर को एक आतंकवादी राज्य” कहा जबकि वह द्वितीय विश्व युद्ध से “नाजी अपराधियों के संग लीपा-पीता और उनका पुनर्वास” करता है। मेमोरियल समूहों ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित योजना कहा और इसके विरूध आपील की बात कही है।

शर्म के नारे

मंगलवार को, जब मेमोरियल पर पहला फैसला पढ़कर सुनाया गया तो परीक्षण पर्यवेक्षकों ने नारा लगाते हुए कहा, “शर्म कर”। अदालत के बाहर पुलिस द्वारा हिंसक तरीके से हटाए गए प्रदर्शनकारियों में एक वृद्ध भी शामिल था।

विपक्षी राजनेता ग्रिगोरी यवलिंस्की का कहना है कि कोर्ट द्वारा आदेशित मेमोरियल को बंद करना आधुनिक रूस में दमनकारी कार्यों में वृद्धि को व्यक्त करता है।उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए यह घोषित करता है कि देश सत्तावादी पुतिन प्रणाली से किसी प्रकार की उत्तर-आधुनिक सर्वाधिकार प्रणाली की ओर बढ़ रहा है" ।

तीन बार के पूर्व राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यावलिंस्की, जो अब याब्लोको राजनीतिक दल का नेतृत्व करते हैं ने कहा, “यह प्रणाली सोवियत शासन और यहां तक कि आंशिक रूप से स्टालिन शासन के साथ जुड़ा होगा। अतः यह एक बहुत ही खतरनाक संकेत है"।

मेमोरियल के अपने मानवाधिकार विंग में 400 से अधिक राजनीतिक कैदियों की सूची प्रस्तुत की है। वहीं  स्वतंत्र समूहों और मीडिया को “विदेशी एजेंटों” के रूप में सूचीबद्ध किया जा रहा है। सन् 1989 में स्थापित मेमोरियल एक देश के खुलने का प्रतीक बन गया क्योंकि रूस ने अपने सत्तावादी अतीत के सबसे काले अध्यायों की जांच शुरू कर दी थी।

कार्यकर्ता को सजा

हालांकि, परीक्षण पर्यवेक्षकों का कहना है कि दशकों बाद, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में सरकार पुनः अपनी पुरानी स्थिति में आ गई है जहां आलोचना को- “एक शत्रुतापूर्ण कार्य” स्वरूप देखा जाता है।। हाल के दिनों में, रूस ने एक कार्यकर्ता के जेल की अवधि भी बढ़ा दी, जिसने स्टालिन-युग के दमन की 15 साल तक जांच की।

65 वर्षीय यूरी दिमित्रियेव सोवियत नेता जोसेफ स्टालिनिस्ट द्वारा दमन के शिकार लोगों की सामूहिक कब्रों को उजागर करने के बाद प्रमुखता से प्रसिद्धि प्राप्त की।  उन्हें अपनी दत्तक बेटी का यौन शोषण करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था, जिसे मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने मनगढ़ंत और राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज किया।

 

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30 December 2021, 16:19