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पोलैण्ड में ख्रीस्त जयन्ती की रोशनी पोलैण्ड में ख्रीस्त जयन्ती की रोशनी 

ख्रीस्त जयन्ती महापर्व पर एक चिन्तन

वाटिकन सिटी, गुरुवार, 23 दिसम्बर 2021 (बाईबिल, विविध स्रोत): 25 दिसम्बर क्रिसमस, ख्रीस्तजयन्ती, बड़ा दिन, मुक्तिदाता येसु मसीह का जन्मदिवस है। वाटिकन रेडियो सुनने वाले सभी भाइयों एवं बहनों को ख्रीस्त जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ। प्रभु ईश्वर से हमारी आर्त याचना है कि वे आपको, आपके परिजनों एवं सभी शुभचिन्तकों को अपने प्रेम एवं शान्ति से परिपूर्ण कर दें।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

क्रिसमस, येसु ख्रीस्त की जयन्ती हर्षोल्लास का महापर्व है, यह गीत गाने और अपने आनन्द में अन्यों को शामिल करने का सुअवसर है, हालांकि, विगत दो वर्षों से कोविद महामारी संकट ने इसे अपनी काली छाया से आच्छादित कर रखा है। 2020 की शुरुआत से लेकर आज तक प्रतिदिन विश्व के लाखों लोग इस महामारी का शिकार बनकर मौत के मुँह में ढकेले जा रहे हैं। दिन-ब-दिन कोविद के वैरियेन्ट्स डेल्टा और ऑमिक्रोन आदि अपनी खौफ़ फैला रहे हैं और अस्पतालों की क्षमता कम होती जा रही है, वे मानों अब केवल कोविद महामारी के इलाज से झूझने के लिये रह गये हैं, जबकि अन्य बीमारियों की देखरेख को दूसरे, तीसरे और यहाँ तक कि सबसे निचले नम्बर पर रख दिया गया है।  इस महामारी के चलते विश्व के लाखों लोगों ने अपने रोज़गार खो दिये हैं, लाखों परिवारों ने अपनी जीविका के साधन खो दिये हैं। वैश्वीकरण पर भी इसकी मार पड़ी तथा समूचे विश्व में इससे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक उथल-पुथल मच गया है। हवाई यात्राएं सीमित कर दी गई हैं, तमाम विश्व में पर्यटन एवं मनोरंजन उद्योग को खासा धक्का लगा है। विश्व के विभिन्न देशों ने अपनी सीमाओं को और अधिक बन्द कर दिया है और लोगों के आवागमन पर पाबन्दियाँ लग गई हैं।  विगत दो वर्षों से मन्दिर, मस्ज़िद, गुरुद्वारों और गिरजाघरों में धर्मविधिक समारोहों के आयोजनों पर भी पाबन्दियाँ लगती रहीं हैं। ऑनलाईन पढ़ाई, ऑनलाईन स्कूल और यहाँ तक कि ऑनलाईन पूजा पाठ ने लोगों को उनके घरों का चारदिवारी में बन्द रहने पर मजबूर कर दिया है। दो वर्ष पहले किसी को भी अन्दाज़ नहीं था कि कोई बीमारी विश्व को और मनुष्यों के जीने के तौर तरीकों को इस क़दर बदल रख देगी।  

दुआ करें

क्रिसमस महापर्व प्रार्थना, मनन चिन्तन एवं प्रभु में आनन्द मनाने का सुअवसर है, हालांकि, इस वर्ष भी महामारी के संक्रमण को रोकने के लिये कई देशों के गिरजाघरों में श्रद्धालु समुदाय सीमित ही रहेगा।  प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचार में विश्वास रखनेवाले ख्रीस्तीयों को हम आमंत्रित करते हैं कि वे क्रिसमस के सुअवसर पर अपने कम नसीब भाइयों के लिये दुआ करना नहीं भूलें, विशेष रूप से, उन परिवारों के लिये  दुआ करें जिन्होंने कोविद-19 महामारी के कारण अपने परिवार के किसी सदस्य को खो दिया है, और उन लोगों के लिये भी जो इस महामारी के प्रभाव से जूझ रहे हैं। श्रोताओ, दवाएं तो क़ीमत अदा कर मिल जाती हैं किन्तु दुआ वह अनमोल चीज़ है जो सिर्फ अन्यों के प्रति हमारी उदारता से प्रस्फुटित होती है। किसी ने ठीक ही कहा है, "खूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए, खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए।"

बालक येसु से हम सब मिलकर दुआ करें कि प्रभु की दया दृष्टि सभी पीड़ितों पर बनी रहे। प्रभु येसु मसीह की जयन्ती का सुअवसर, सीमित और प्रतिबन्धित तौर पर ही क्यों न हो, पिता ईश्वर शक्ति से सुखद अनुभवों का समय सिद्ध हो, इसी मंगलयाचना के साथ आइये ख्रीस्तजयन्ती की पावन बेला में हम सब मिलकर मानव मुक्ति इतिहास की घटनाओं का अवलोकन करें।

बाईबिल पाठ

"अन्धकार में भटकनेवालों ने एक महती ज्योति देखी है, अन्धकार प्रदेश में रहनेवालों पर ज्योति का उदय हुआ है।" ..... तूने उन लोगों को आनन्द और उल्लास प्रदान किया है। जैसे फ़सल लुनते समय या लूट बाँटते समय उल्लास होता है। वे वैसे ही तेरे सामने आनन्द मना रहे हैं।"

श्रोताओ, प्रभु येसु मसीह के जन्म से सदियों पूर्व प्राचीन व्यवस्थान के नबी इसायाह ने मसीह की बाट जोहनेवाले, मुक्ति के प्रत्याशी ईश भक्तों को इन्हीं शब्दों से आश्वासन दिया थाः

"यह इसलिये हुआ कि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ है, हमको एक पुत्र मिला है। उसके कन्धों पर राज्याधिकार रखा गया है और उसका नाम- अपूर्व परामर्शदाता, शक्तिशाली ईश्वर, शाश्वत पिता, शान्ति का राजा। वह दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होकर सदा के लिये शान्ति, न्याय, और धार्मिकता का साम्राज्य स्थापित करेगा। विश्वमण्डल के प्रभु का अनन्य प्रेम यह कार्य सम्पन्न करेगा।"       

प्रभु येसु मसीह ही अपूर्व परामर्शदाता, शक्तिशाली ईश्वर, शाश्वत पिता, शान्ति का राजा हैं।हमारा विश्वास है कि सद्भावना से परिपूर्ण हमारे श्रोता येसु के जीवन्त व्यक्तित्व से प्रकाशित होनेवाली विपुल ज्योति से अपने हृदयों को अवरुद्ध नहीं करेंगे। उनकी रहस्यमय ज्योति सहज ही हमारे जीवन के अंधियारे को दूर कर हमें मार्गदर्शन प्रदान करेगी ताकि हममें से प्रत्येक,  अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार, ज़रूरतमन्दों के प्रति एकात्मता का प्रदर्शन कर, न्याय और शांति के सन्देशवाहक बन सके। इसी आशा के साथ, आइये, ख्रीस्तजयन्ती महापर्व पर माता कलीसिया द्वारा प्रस्तावित बाइबिल पाठों पर हम चिन्तन करें।

आदि मानव आदम और हेवा के पाप के परिणामस्वरूप मनुष्य स्वर्ग खो चुका था। ईश्वर ने मानव पर दया दर्शाई तथा उसे पापों से मुक्त करने के लिये अपने एकलौते पुत्र को इस धरा पर भेजने की प्रतिज्ञा की। यह प्रतिज्ञा येसु मसीह के देहधारण, उनकी प्रेरिताई, उनके क्रूसमरण और पुनःरुत्थान में पूरी हुई तथा मानवजाति को मुक्ति का वरदान प्राप्त हुआ। स्वर्गदूत गाब्रियल के सन्देश के अनुसार मरियम की कोख में ईश्वर के पुत्र विकसित होते गये तथा कैसर अगस्तुस के काल में दाऊद के वंश में ईशपुत्र ने एक अबोध बालक बनकर जन्म लिया। बेथलेहेम वह पावन नगरी बनी जहाँ स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी ने देहधारण किया। इसी नगर में जनगणना के लिये एकत्र लोगों में दाऊद वंशी योसफ एवं मरियम भी उपस्थित हुए।

सुसमाचार लेखक सन्त लूकस लिखते हैं:

"उन दिनों कैसर अगस्तुस ने समस्त जगत की जनगणना की राजाज्ञा निकाली। यह पहली जनगणना थी और उस समय क्विरिनियुस सीरिया का राज्यपाल था। सब लोग नाम लिखवाने के लिए अपने-अपने नगर जाते थे। यूसुफ़ दाऊद के घराने और वंश का था, इसलिए वह गलीलिया के नाज़रेत से यहूदिया में दाऊद के नगर बेथलेहेम गया, जिससे वह अपनी गर्भवती पत्नी मरियम के साथ नाम लिखवाये। वे वहीं थे जब मरियम के गर्भ के दिन पूरे हो गये, और उसने अपने पहलौठे पुत्र को जन्म दिया और उसे कपड़ों में लपेट कर चरनी में लिटा दिया, क्योंकि उनके लिए सराय में जगह नहीं थी।"

ईशपुत्र होने के बावजूद प्रभु येसु ने एक निर्धन गोशाले को अपना जन्म स्थल चुना जिससे मनुष्यों के बीच इस सत्य की प्रकाशना हुई कि येसु ईश्वर के एकलौते पुत्र होने के साथ साथ सभी मायनों में एक साधारण मानव व्यक्ति थे। एफेसियों को प्रेषित पत्र में सन्त पौल लिखते हैं:

 "वे वास्तव में ईश्वर थे और उनको पूरा अधिकार था कि वे ईश्वर की बराबरी करें, फिर भी उन्होंने दास का रूप धारण कर तथा मनुष्यों के समान बनकर अपने को दीन हीन बना लिया।"

ख्रीस्त जन्म की सच्चाई

ख्रीस्तीयों के लिये यह बड़े गौरव एवं सुयश का विषय है कि एक सर्वसाधारण व्यक्ति द्वारा उनपर ईश राज्य की प्रकाशना की गई। उस व्यक्ति द्वारा जिसने अपार धन सम्पत्ति की अपेक्षा सुयश को श्रेष्ठ समझा तथा चाँदी और सोना संचित करने के बजाय दीनता और विनम्रता धारण कर मनुष्यों के बीच प्रेम का कोष खाली कर दिया। प्रभु येसु के जन्म का सन्देश सर्वप्रथम निर्धन एवं समाज के उपेक्षित चरवाहों को मिला जिन्होंने स्वर्गदूतों के एक विशाल समूह को यह कहते सुनाः "सर्वोच्च स्वर्ग में ईश्वर की महिमा प्रकट हो और पृथ्वी पर उसके कृपा पात्रों को शान्ति मिले।"

श्रोताओ, मनुष्य को पाप से मुक्ति दिलाने के लिये ईश्वर के एकलौते पुत्र प्रभु येसु ख्रीस्त ने इस धरती पर देहधारण किया तथा अपने जीवन एवं कार्यों से संसार को ईश्वर एवं पड़ोसी से प्रेम का पाठ सिखाया। कोविद महामारी के कभी न ख़त्म होनेवाले अँधेरे के बीच ख्रीस्त जन्म की सच्चाई को संजोकर रखना ही हमारे लिये हितकर होगा। हालांकि, कम तनावपूर्ण समय में, यह कल्पना करना आसान था कि येसु ख्रीस्त का जन्म मानव मुक्ति का सन्देश लेकर आई और हमारी दुनिया इससे बेहतर हो गई। इसीलिये ख्रीस्त की जयन्ती के अवसर पर हम आनंद मनाते और न्याय एवं शांति की सर्वत्र कामना करते हैं।

कोविद महामारी के कारण घोर निराशा और गहन चिन्ता के बीच आज हम क्रिसमस महापर्व मना रहे हैं। स्वास्थ्य पर बने ख़तरों के अलावा आज विश्व के तमाम देश और लोग आर्थिक दबावों का सामना करते हुए भविष्य के प्रति चिन्तित हैं। यह एक गम्भीर तथ्य है। येसु ख्रीस्त के जन्म पर चिन्तन भी एक गम्भीर तथ्य है, जो आज के स्थिति में और अधिक प्रासंगिक हो उठा है। सुसमाचार में निहित ख्रीस्त जन्म की कहानी हमें ईश्वर की खोज हेतु प्रेरित करती है। प्रश्न है, ईश्वर को कहाँ खोजें? श्रोताओ, यदि ख्रीस्त जन्म की घटनाओं पर ग़ौर करें तो हम देखते हैं कि ईश्वर ने साधारण मानवीय वास्तविकताओं में ग़रीब चरवाहों के बीच देहधारण किया। अस्तु, ईश्वर की खोज के लिये हमें बहुत दूर नहीं जाना है, ईश्वर उन लोगों में मिलेंगे जिनकी कोई परवाह नहीं करता, अनजान और भटके हुए लोगों में, उन लोगों में जो, निरंकुश शासकों से भयभीत हो अपने घरों एवं अपने मुल्कों का पलायन करने के लिये बाध्य हैं तथा अन्यत्र शरण खोज रहे हैं। उन लोगों में जो अनिश्चित भविष्य की सोच से ही परेशान हैं। ये तनावपूर्ण स्थितियाँ मानव जीवन की गहरी वास्तविकताओं को संबोधित कर मनुष्य की भंगुरता को उजागर करती हैं।   

मेलमिलाप, आपसी सम्मान, सहिष्णुता और एकात्मता का पर्व

श्रोताओ, क्रिसमस, वास्तव में, प्रभु की स्तुति तथा अपने भाई और पड़ोसी के प्रति प्रेम एवं एकात्मता प्रदर्शित करने का सुअवसर है। यह अपने अन्तःकरण की जाँच कर अपने मार्गों को सीधा करने तथा मनपरिवर्तन का महापर्व है। यह ऐसा महापर्व है जो मनुष्यों को नये सिरे से अपनी ज़िन्दगी आरम्भ करने का स्वर्णिम मौका प्रदान करता है। येसु मसीह इस दुनिया में आये, उन्होंने मानव का रूप धारण करना स्वीकार किया ताकि मानवजाति पाप से मुक्त होकर अनन्त जीवन प्राप्त कर सके।

श्रोताओ, येसु मसीह की जयन्ती आनन्द मनाने की शुभ अवसर है। यह सद्भावना और सदइच्छा के साथ उल्लसित हो औरों को आनन्द प्रदान करने का अवसर है इसलिये कि ईश्वर ने स्वयं अपने पुत्र को इस धरा पर हम सबके उद्धार हेतु प्रेषित किया है। हमारे प्रति ईश्वर का अगाध प्रेम ही हमारे असीम आनन्द का कारण है। चरनी में लेटा दिव्य बालक न्याय, शान्ति एवं धार्मिकता की स्थापना हेतु विश्व के राष्ट्रों का आह्वान करता है। वह मेलमिलाप, आपसी सम्मान, सहिष्णुता और एकात्मता की गुहार लगा रहा है। धर्मान्धता, आतंकवाद, हिंसा, युद्ध, दमनचक्र और घृणा के परित्याग की वह पुकार लगा रहा है, यदि हमने इस पुकार के प्रति अपने मन के द्वार खुले रखे तो अवश्य ही हम प्रभु के प्रेम का मर्म समझ सकेंगे तथा सर्वत्र प्रेम की ज्योति जगाने में सफल हो सकेंगे।

 

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23 December 2021, 11:23