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कोरिया के स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा को निहारते पुलिसकर्मी कोरिया के स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा को निहारते पुलिसकर्मी 

15 अगस्त को कोरिया के पुनर्मिलन के लिए ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना

15 अगस्त 1945 को कोरियाई प्रायद्वीप को 35 साल के क्रूर जापानी उपनिवेश के बाद मुक्त कराया गया था। यह दिन कोरिया के दो राष्ट्रों में विभाजन का भी प्रतीक है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कोरिया, शनिवार, 14 अगस्त 2021 (वीएनएस)- कलीसियाओं की विश्व परिषद (डब्ल्यू सीसी) अपने सदस्य कलीसियाओं और भली इच्छा रखनेवाले सभी लोगों को, 15 अगस्त को कोरियाई प्रायद्वीप के शांतिपूर्ण एकीकरण हेतु वार्षिक प्रार्थना रविवार में भाग लेने हेतु आमंत्रित करता है।   

देश की आजादी की 76वीं वर्षगाँठ पर उत्तरी कोरिया एवं दक्षिणी कोरिया में प्रार्थना की जायेगी। 15 अगस्त सन् 1945 में जापान की औपनिवेशिक दमन से कोरिया मुक्त हुआ था। संयोग से, उसी दिन उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच विभाजन हुआ था।

एक दुखद अतीत

प्रथम विश्व युद्ध के पहले और कोरिया पर जापान के कब्जा (1910-1945) के साथ पूरा कोरिया एक देश बन गया था और द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान द्वारा कब्जा हटाये जाने के साथ, अमेरिका और सोवियत संघ ने 38वें समानांतर के साथ कोरियाई प्रायद्वीप को अनंतिम रूप से विभाजित किया था। 1947 में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच असहमति के बाद दोनों प्रशासनों के एकीकरण के प्रयास विफल हो गए।

इस दौरान, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ते गये। 1950 में उत्तरी कोरिया ने दक्षिणी कोरिया पर हमला किया। 1950-1953 के बीच संघर्ष में करीब 4 मिलियन लोगों की मौत हो गई और कुल 10 मिलियन परिवार विभाजित हो गये। युद्ध का अंत 27 जुलाई 1953 को एक शांति संधि के साथ नहीं बल्कि युद्धविराम के साथ हुआ।

दक्षिणी कोरिया की कलीसिया में हर साल 15 अगस्त को शांति एवं दोनों कोरिया के एकीकरण हेतु विशेष प्रार्थना के साथ मनाया जाता है। कलीसियाओं की विश्व परिषद ने विश्वभर के अपने सदस्यों को प्रार्थना करने का निमंत्रण दिया है।

शांति, न्याय, सहअस्तित्व

प्रार्थना में ईश्वर से शांति और सहअस्तित्व के बीज बोने हेतु मदद की याचना की गई है। "हमें ख्रीस्त के प्रेम द्वारा विचारधारा के संघर्ष से ऊपर उठने में मदद दे।" हमें बुराई की शक्ति पर विजय पाना और शांति के रास्ते पर चलना लिखा।  

कोरिया की कलीसिया

कोरियाई युद्ध के बाद यद्यपि दक्षिण कोरिया में काथलिक कलीसिया समृद्ध हुआ है, उत्तर में इसकी उपस्थिति एक मुखौटा के समान है। परमधर्मपीठ उत्तर कोरिया को नहीं पहचानता है उत्तर में काथलिक धर्मप्रांत 1940 के दशक के अंत में ईसाई उत्पीड़न के बाद से खाली रह गए हैं। कोरिया के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन का दावा है कि देश में 3,000 काथलिक हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि उनकी संख्या लगभग 800 है।

 

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14 August 2021, 15:57