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टिड्डियों का आक्रमण, पाकिस्तान ने की आपातकाल की घोषणा

कीड़े कई प्रांतों में फसलों को नष्ट कर रहे हैं। सरकार ने संकट से निपटने के लिए 48 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आवंटन किया। स्थानीय कारितास को रोकथाम और प्रतिरूपण में देरी की शिकायत है। तबाही ने स्थानीय उत्पादकों और उपभोक्ताओं को प्रभावित किया है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

लाहौर, बुधवार,5 फरवरी 2020 (एशिया न्यूज) : पाकिस्तानी सरकार ने सिंध प्रांत में 22,000 एकड़ (8,900 हेक्टेयर) खेत को नष्ट करने के बाद, 31 जनवरी को पंजाब प्रांत में फसलों को नष्ट करने वाले रेगिस्तानी टिड्डों के आक्रमण का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की।

इतिहास में पहली बार, देश के उत्तर में  खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की ओर कीड़े आगे बढ़ रहे हैं। 1993 और 1997 के आक्रमणों ने केवल पंजाब और सिंध को प्रभावित किया था।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मंत्री मखदूम खुसरो बख्तियार के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण टिड्डियों का संक्रमण है।

संकट से निपटने के लिए, प्रधान मंत्री इमरान खान ने एक उच्च स्तरीय संघीय समिति का गठन किया है।

देश के चार प्रांतों के संघीय मंत्रियों और अधिकारियों ने 7.3 अरब रुपये (US $ 48 मिलियन) के राष्ट्रीय कार्य योजना को टिड्डियों के झुंड को खत्म करने की मंजूरी दी।

हैदराबाद में कारितास के कार्यकारी सचिव मंशाद असगर ने एशिया न्यूज को बताया कि स्थानीय मीडिया ने प्रभावित क्षेत्रों और लोगों के बारे में खबरें प्रकाशित नहीं की हैं क्योंकि वे लोगों में अनावश्यक भय नहीं लाना चाहते हैं। टिड्डियों ने उन जिलों पर हमला किया है, जहाँ पहले से ही पानी और भोजन की कमी है। 

2018 में, कारितास ने पशुधन प्रबंधन, भोजन और चारा संरक्षण, बीज भंडारण, फसल प्रबंधन, मिट्टी संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए नगरपारकर और थारपारकर जिलों में प्रशिक्षण दे चुकी है। मार्च 2019 में हुए प्रशिक्षण में पांच हजार लोगों ने हिस्सा लिया।

कारितास पाकिस्तान के निदेशक अमजद गुलज़ार ने पिछले सप्ताहांत बलूचिस्तान भिखारियेट के लोगों के साथ एक आपातकालीन बैठक की अध्यक्षता की, जहां टिड्डियां मई 2019 में पहली बार दिखाई दी थीं।

उन्होंने कहा, "हम आवश्यक निवारक उपायों को करने की योजना बना रहे हैं और गरीब किसानों के बीच जागरूकता बढ़ा रहे हैं।"

इस बीच, पाकिस्तान पहले से ही गंभीर गेहूं संकट का सामना कर रहा है। आटा और ब्रेड की कीमतें पिछले महीने बढ़ीं क्योंकि गेहूं दुकानों और थोक बाजारों से गायब हो गई। अपने उत्पादों को नियंत्रित कीमतों पर बेचने के सरकार के दबाव के विरोध में बेकर्स ने प्रतिक्रिया व्यक्त की।

पाकिस्तान में गेहूं मुख्य भोजन है, जो कृषि योग्य क्षेत्र के 60 प्रतिशत भूमि पर उगाया जाता है।

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05 February 2020, 16:26