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गुवाहाटी में येसु की प्रतिमा की सफाई करता एक सफाई कर्मी (प्रतीकात्मक तस्वीर) गुवाहाटी में येसु की प्रतिमा की सफाई करता एक सफाई कर्मी (प्रतीकात्मक तस्वीर)  

आलोचनाओं के बीच 100 फुट की येसु प्रतिमा बनाने का लक्ष्य

बैंगलोर के काथलिक धर्मानुयायी महाधर्मप्रान्त की भूमि पर येसु मसीह की सर्वाधिक ऊँची प्रतिमा बनाने के लिये संकल्परत हैं किन्तु हिन्दु दलों ने इस योजना पर आपत्ति दर्शाई है। उनकी दलील है कि जिस पहाड़ी पर येसु की प्रतिमा बनाने की योजना है वह उनके भगवान का निवास स्थान है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

बैंगलोर, शुक्रवार, 10 जनवरी 2020 (रेई,वाटिकन रेडियो):  बैंगलोर के काथलिक धर्मानुयायी महाधर्मप्रान्त की भूमि पर येसु मसीह की सर्वाधिक ऊँची प्रतिमा बनाने के लिये संकल्परत हैं किन्तु हिन्दु दलों ने इस योजना पर आपत्ति दर्शाई है।

हिन्दू समूहों का विरोध

हिन्दू समूहों की दलील है कि जिस पहाड़ी पर येसु की प्रतिमा बनाने की योजना है वह उनके भगवान का निवास स्थान है। विगत सप्ताह बैंगलोर महाधर्मप्रान्त की 10 एकड़ ज़मीन पर 100 फुट ऊँची येसु की प्रतिमा के निर्माण का उदघाटन किया गया था। यदि निर्माण कार्य पूरा हुआ तो यह प्रतिमा पोलैण्ड में प्रतिस्थापित प्रभु येसु की 108 फुट ऊँची प्रतिमा के लगभग ऊँची होगी। पोलैण्ड स्थित प्रभु येसु की प्रतिमा विश्व की सर्वाधिक ऊँची प्रतिमा बताई जाती है।   

हिंदू समूहों ने यह कहते हुए इस परियोजना का विरोध किया है कि कपालबेट्टा पहाड़ी उनके देवता कपाली बेट्टा का निवास स्थान है। उनका कहना है कि ईसाई लोग वहां प्रतिमा स्थापित नहीं कर सकते।

मीडिया तूल दे रही मामले को

बैंगलोर महाधर्मप्रान्त के मीडिया आयोग के अध्यक्ष फादर सिरिल विक्टर जोसफ ने ऊका समाचार से कहा कि विवाद अनावश्यक और निराधार है जिसे मीडिया ने तूल दी है। उन्होंने कहा कि रामनगर ज़िले की उक्त भूमि दीर्घकाल से कलीसिया के अधीन रही है।  

उन्होंने कहा, "हम दशकों से इसी जमीन का इस्तेमाल करते रहे हैं तथा गुड फ्राइडे के दौरान यहीं पर पवित्र क्रूस के मुकामों का आयोजन करते आये हैं।" "यह भूमि हमें दान स्वरूप मिली है जिसपर एक क्रॉस पहले से ही था, और इसी पर अब हम प्रभु येसु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं।

एक सदी से पहाड़ी पर ईसाई प्रार्थना

फादर जोसफ ने बताया कि ख्रीस्तीय लोग उक्त क्षेत्र में सन् 1906 से निवास करते आये हैं जब से फ्राँस के मिशनरियों ने इस भूमि पर अपना कार्य शुरु किया था। उन्होंने कहा, कपालबेट्टा तलहटी में स्थित हैरोबेल क्षेत्र ईसाईयों का गढ़ है।  

उन्होंने बताया कि कपालबेट्टा पहाड़ी की भूमि दिसम्बर 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री तथा काँग्रेस पार्टी के नेता शिवकुमार द्वारा एक काथलिक न्यास को दान में दी गई थी।

बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष  पीटर मचादो ने जनवरी पाँच को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदुरप्पा से मुलाकात कर मामले में मदद की अपील की थी।

समाचार पत्र द हिंदू ने अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए प्रकाशित किया कि महाधर्मप्रान्तीय प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के समक्ष एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें कहा गया है कि विगत एक सदी से उक्त पहाड़ी का उपयोग ईसाई भक्त रोज़री माला विनती और पवित्र क्रूस के मुकामों पर चिन्तन के लिये करते रहे हैं।

फादर जोसफ के अनुसार राज्य सरकार हस्तक्षेप करने के लिए सहमत है तथा अधिकारियों से उसने इस मुद्दे का अध्ययन करने और उक्त भूमि पर स्वामित्व को स्पष्ट करने का आदेश दिया है।

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10 January 2020, 11:47