उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
दक्षिणी सूडान, मंगलवार, 5 नवम्बर 2019 (रेई)˸ सिस्टर ओरला ट्रेसी विश्व के ऐसे लोगों को सशक्त करने का प्रयास कर रही हैं जो सबसे कमजोर एवं दुर्बल हैं। उन्हें वॉशिंगटन के अंतरराष्ट्रीय साहसी महिला विभाग की ओर से पुरस्कार प्रदान करने के लिए चुना गया है। इस पुरस्कार द्वारा विश्व की ऐसी महिलाओं को सम्मानित किया जाता है जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए असाधारण साहस, शक्ति और नेतृत्व का प्रदर्शन करती हैं। जिन्हें कई बार व्यक्तिगत जोखिम और बलिदान का भी सामना करना पड़ता है।
आयरलैंड की सिस्टर ओरला, अक्टूबर माह में रोम आयी थीं और सरकार, नागरिक समाज और व्यक्ति किस तरह कमजोर समुदायों और क्षेत्रों के प्रति अधिक मददगार हो सकते हैं, इसपर अमरीका के राजदूतावास द्वारा आयोजित संगोष्ठी में भाग ली। जिसमें धर्मसमाजी महिलाएँ पहली पंक्ति पर कार्य कर रही हैं।
उन्होंने वाटिकन रेडियो को लड़कियों के लिए माध्यमिक बोर्डिंग स्कूल के बारे बतलाया जो दक्षिणी सूडान के एक जोखिम भरे स्थान पर स्थापित है।
विश्व के सबसे छोटे देश में युद्ध की शुरूआत, आजादी प्राप्ति के दो साल बाद ही 2011 में हुई थी। हिंसा में करीब 4,00,000 लोग मारे जा चुके हैं। लाखों लोग विस्थापित हैं तथा तेल के धनी देश की आर्थिक स्थिति बिखर चुकी है।
सिस्टर ओरला ने बतलाया कि वे जहाँ रहती हैं वह सीमावर्ती एवं दूरवर्ती क्षेत्र न केवल भौगोलिक रूप से बल्कि आंतरिक रूप से भी कमजोर है। धर्मबहनों के लिए यह भौतिक रूप से भी कमजोर और दुर्बल क्षेत्र है।
उन्होंने कहा, "दक्षिणी सूडान उन देशों में से एक है जो कमजोर और दुर्बल हैं और दुर्भाग्य से खतरनाक भी एवं कई लोगों के जीने के लिए अत्यन्त चुनौतीपूर्ण।" सिस्टर ओरला ने बतलाया कि वे दक्षिणी सूडान की लड़कियों के बहुत करीब हैं तथा "साहसी महिला" पुरस्कार को उन्होंने एक स्कूल के रूप में एक सामूहिक पुरस्कार कहा।
उन्होंने कहा, "हम अमेरिकी दूतावास द्वारा परमधर्मपीठ में नामांकन प्राप्त करने से बहुत सम्मानित और सौभाग्यशाली थे, दुनिया भर के 10 लोगों को पुरस्कार प्रदान किये गये। हमने वॉशिंगटन जाकर कई साहसी महिलाओं के नाम पर पुरस्कार प्राप्त किया, जिनके साथ मैंने काम किया है।"
रमबेक में स्कूल
सिस्टर ओरला ने बतलाया कि आयरलैंड की लोरेटो धर्म बहनों ने 2006 में एक ऐसे क्षेत्र में स्कूल खोलने का निमंत्रण प्राप्त किया जहाँ लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकती थीं। उन्होंने बतलाया, "जब हम 30,000 की आबादी वाला शहर पहुँचे तब वहाँ करीब 10 लड़कियाँ ही माध्यमिक स्कूल की पढ़ाई कर रही थी।" उसके बाद से स्कूल में विकास शुरू हुआ। 2008 में कुल 35 विद्यार्थी थे, पर आज 291 विद्यार्थी हैं और उनमें से 90 प्रतिशत लोग कॉलेज पढ़ने जाते हैं।