सामान्य और पूर्ण निरस्त्रीकरण की दिशा में, महाधर्माध्यक्ष औजा
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
न्यूयॉर्क, शनिवार 26 अक्टूबर 2019 (रेई) : संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत एवं स्थायी पर्यवेक्षक और महाधर्माध्यक्ष बेर्नारदितो औजा ने शुक्रवार, 25 अक्टूबर को न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में चल रहे 74वें महासभा को संबोधित किया।
परमधर्मपीठ संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों के तहत शांति की स्थापना और विकास को देखते हुए, छोटे और हल्के हथियारों के अवैध व्यापार को कम करने और खत्म करने के सभी पहलुओं का सम्मान करता है। 2018 में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने आने वाले भविश्य को सुरक्षित रखने की बात कही थी। "उच्च स्तर के हथियार और गोला-बारूद का प्रचलन असुरक्षा में योगदान देता है, जिससे आम नागरिकों का नुकसान होता है, मानवाधिकारों के उल्लंघन की सुविधा मिलती है और मानवीय पहुंच बाधित होती है।”
अंतरराष्ट्रीय अनुरेखण और कार्रवाई का कार्यक्रम, शांति की संस्कृति को बढ़ावा देने के माध्यम से जीवन और मानव व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाते हैं।
यह स्पष्ट है कि गंभीर रूप से प्रतिबंधित करने के लिए अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सहायता की आवश्यकता होगी और अंत में छोटे और हल्के हथियारों में अवैध व्यापार को खत्म करना होगा।
शांति एवं विकास
विकास के लिए और गरीबी के खिलाफ लड़ाई के लिए एक सुरक्षित दुनिया आवश्यक है। संत पापा पॉल छठे ने 1967 में कहा था, “शांति का नया नाम विकास है।” यह सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के लक्ष्यों की परस्पर संबद्धता की पुष्टि करता है, जिसमें कहा गया है: "शांति के बिना कोई स्थायी विकास नहीं हो सकता है और न ही सतत विकास के बिना शांति।”
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
महाधर्माध्यक्ष औजा ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि हमें कई युवाओं की चुनौती का जवाब देना है जो सशस्त्र समूहों में भर्ती होने के लिए शिकार हो रहे हैं। हिंसक संघर्ष की स्थितियों में, वे खुद को हिंसा के चक्रव्यूह में फंसा हुआ पाते हैं। दुःख की बात है कि वर्तमान में यह जीवन का एक तरीका बन गया है। यहां तक कि छोटे बच्चों को किताबों और कलमों से दूर रखकर उनके हाथों में विनाश के साधनों को पकड़ाया जाता है। इन युवाओं को जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है, जो एक स्थायी, न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण कर सकें।
समाज के सभी स्तरों पर और सभी उम्र के लोगों के लिए हथियारों का अनुचित उपयोग रोकने के लिए शिक्षा भी महत्वपूर्ण है। जिस तरह हमें छोटे शस्त्रों और हल्के हथियारों में अवैध व्यापार से निपटने के लिए हर प्रयास करना चाहिए, उसी तरह, हमें इन हथियारों की मांग का विरोध करना चाहिए।
जीवन की संस्कृति
शांति और जीवन की संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शैक्षिक और जागरूकता गतिविधियों का कार्यान्वयन आवश्यक है। ऐसा दृष्टिकोण हिंसा की संस्कृति को दूर करने का प्रयास करता है। इस क्षेत्र में हमें एकजुट करने का अंतिम लक्ष्य प्रत्येक मानव व्यक्ति के जीवन और प्रतिष्ठा की सुरक्षा है।
हाल ही में, संत पापा फ्राँसिस ने हथियारों के प्रचलन से जुड़े होने की ओर इशारा किया है, खासकर जब उनकी उपलब्धता और विकासशील दुनिया में घातक संघर्षों के फैलाव को उकसाती है, जहां "कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लाभ हेतु देश अपने सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक और मानव संसाधनों की निकासी जारी रखते हैं।" उन्होंने कहा, युद्ध, (हो सकता है) "केवल (सीधे) दुनिया के कुछ क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, लेकिन युद्ध के हथियार अन्य क्षेत्रों में उत्पादित और बेचे जाते हैं जो संघर्षों के कारण बने शरणार्थियों को अपने देश में लेने के लिए तैयार नहीं हैं। हमेशा छोटे, गरीब और सबसे कमजोर लोग ही इसकी कीमत चुकाते हैं। सभी सबूतों से पता चलता है कि हथियारों का प्रसार संघर्ष की स्थितियों और अकल्पनीय मानवीय पीड़ा और भौतिक लागतों को बढ़ाता है।
यह इन सभी कारणों से परमधर्मपीठ, अपनी प्रकृति और मिशन के माध्यम से, छोटे शस्त्र और हल्के हथियारों में अवैध व्यापार के खिलाफ लड़ाई में सभी प्रयासों का पूरा समर्थन करती है। यह न्यूयॉर्क में पिछले साल आयोजित तीसरे समीक्षा सम्मेलन में हुई प्रगति का स्वागत करती है और सभी राज्यों से अगले साल के जून में होने वाली राष्ट्रों की सातवीं द्विवार्षिक बैठक में इस विषय को और आगे बढ़ाने का आग्रह करती है।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here