खोज

नई दिल्ली में डॉक्टरों की हड़ताल, 31.07.2019 नई दिल्ली में डॉक्टरों की हड़ताल, 31.07.2019 

नवीन स्वास्थ्य विधेयकः कलीसिया द्वारा परामर्श को समर्थन

काथलिक अस्पतालों सहित समस्त भारत के डॉक्टरों ने 31 जुलाई को एक नियोजित कानून के विरुद्ध एक दिन का काम बंद कर दिया। उनके अनुसार, नियोजित कानून में चतुराई को बढ़ावा मिलने का ख़तरा है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, शुक्रवार, 2 अगस्त 2019 (ऊका समाचार): काथलिक अस्पतालों सहित समस्त भारत के डॉक्टरों ने 31 जुलाई को एक नियोजित कानून के विरुद्ध एक दिन का काम बंद कर दिया। उनके अनुसार, नियोजित कानून में चतुराई को बढ़ावा मिलने का ख़तरा है।  

प्रस्तावित नवीन स्वास्थ्य विधेयक  

भारतीय संसद के निचले सदन ने 29 जुलाई को मेडिकल कॉलेजों की निगरानी और नियमन हेतु एक नये निकाय की स्थापना से सम्बन्धित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक पारित किया। कानून बनने के लिये इसे अपर सदन में पारित होना है। पारित हो जाने पर यह मौजूदा मेडिकल काऊन्सल को रद्द कर देगा।  

संघीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि कानून में निहित उपाय पूरे भारत में चिकित्सा शिक्षा को मानकीकृत और बेहतर बनाएंगे तथा भ्रष्टाचार को दूर करने में इससे मदद मिलेगी। साथ ही यह ग्रामीण स्तर पर चिकित्सा देखभाल में सुधार लायेंगे।

मुख्यधारा की चिकित्सा एवं वैकल्पिक उपचार

हालांकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े हड़ताली डॉक्टरों का कहना है कि परामर्श की कमी का मतलब है कि इस तरह के नए कानून से अयोग्य लोगों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं की पेशकश को वैधसंगत माना जायेगा जिसका परिणाम मेडिकल छात्रों और व्यावसायियों का उत्पीड़न होगा।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के चिकित्सा कार्यालय के अध्यक्ष, विशाखापट्टनम के महाधर्माध्यक्ष, प्रकाश माल्लावारापु उन लोगों में से हैं जो, संसद में पारित होने से पहले, प्रस्तावित कानून में और अधिक सलाह मशवरे की कामना करते हैं। उन्होंने, विशेष रूप से, मुख्य-धारा और वैकल्पिक दवाओं के किसी भी "मिश्रण" से संभावित खतरों पर चिंता व्यक्त की है।

ग़ैर-चिकित्सकों को लाइसेंस पर आपत्ति

काथलिक चिकित्सा कार्यालय के सचिव फादर मैथ्यू पेरूमपिल के अनुसार, 3,500 स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों तथा लगभग 10,000 डॉक्टरों सहित, भारत में, काथलिक कलीसिया, सरकार के बाद, दूसरी सबसे बड़ी स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता है।

बैंगलोर में काथलिक कलीसिया द्वारा संचालित सेन्ट जॉन्स मेडिकल कॉलेज में चिकित्सीय सेवाओं के प्रमुख डॉ. संजीव लेविन ने बताया कि डॉक्टरों का विरोध उन विशिष्ट मुद्दों पर है जिन्हें सम्बोधित करना सरकार का दायित्व है।

उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की भूमिका निभाने के लिए ग़ैर-चिकित्सकों को लाइसेंस देने की अवधारणा अदूरदर्शी है क्योंकि उनके पास पर्याप्त सुरक्षा उपायों का अभाव है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

02 August 2019, 11:59