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भारत के ख्रीस्तीय शांति मार्च में एक साथ 26.04.2019 भारत के ख्रीस्तीय शांति मार्च में एक साथ 26.04.2019  

भारत पर लगा अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा भड़काने का आरोप

अमेरिका की एक रिपोर्ट ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के ह्रास की एक गंभीर तस्वीर चित्रित की है और देश की सरकार पर ईसाई और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को भड़काने का आरोप लगाया है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

नई दिल्ली, शुक्रवार, 3 मई 2019 (ऊका समाचार.कॉम):  अमेरिका की एक रिपोर्ट ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के ह्रास की एक गंभीर तस्वीर चित्रित की है और देश की सरकार पर ईसाई और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को भड़काने का आरोप लगाया है।

धार्मिक स्वतंत्रता में गिरावट

रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता में गिरावट का रुख जारी रहा। भारत में हालांकि, धर्मनिरपेक्षता का एक लंबा इतिहास है, इसकी 1.2 अरब की आबादी का 80 प्रतिशत हिन्दू धर्मानुयायी है। हाल के वर्षों में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर क्रमबद्ध आक्रमण होते देखे गये हैं। सबसे गम्भीर तथ्य यह कि कभी-कभी ये हमले प्रशासन की जानकारी में होते हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत के 29 राज्यों में से कम से कम एक तिहाई राज्यों में धर्मान्तरण विरोधी कानून तथा गऊ-हत्या विरोधी कानून के तहत अल्पसंख्यकों एवं दलित पर हिंसा ढाई गई। रिपोर्ट में गऊ-सुरक्षा दलों पर, माँस एवं चमड़े के धन्धों में संलग्न, मुसलमानों एवं दलितों के विरुद्ध हिंसा का आरोप लगाया गया है।

धर्मान्तरण के झूठे आरोप और हिंसा

रिपोर्ट में कहा गया कि बलात धर्मान्तरण के झूठे आरोपों के तहत ईसाइयों के विरुद्ध भी हिंसा ढाई गई। गोहत्या या जबरन धर्म परिवर्तन के झूठे आरोपों के आधार पर किसी व्यक्ति पर सामुदायिक हिंसा और हत्या को प्रायः पुलिस जाँच के दौरान अनदेखा कर दिया जाता तथा अत्याचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

नई दिल्ली स्थित एक मानवाधिकार कार्यकर्ता परवीन मिश्रा ने कहा कि भारत सभी धर्मों के लोगों के लिए एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु राष्ट्र होने की अपनी छवि को उन्मत्त गति से खो रहा है। उन्होंने कहा कि अब वे दिन नहीं रहे जब ग़ैर-हिन्दू भारत में स्वतः को सुरक्षित महसूस करते थे।

रिपोर्ट में इस तथ्य पर भी ध्यान आकर्षित कराया गया कि जब से नरेन्द्र मोदी की सरकार सत्ता में आई है तब से धर्म पर आधारित नफ़रत के मामलों में हिज़ाफ़ा हुआ है।

आँकड़े

हेट क्राइम वॉच संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 2009 के बाद से 90 प्रतिशत धार्मिक घृणा से सम्बन्धित अपराध मोदी के नेतृत्व में सत्ता में आई भाजपा सरकार के अधीन हुए हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2014 से 2017 के बीच भारत में लगभग 3,000 सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, जिसमें 400 लोगों की जानें गई और लगभग 9,000 घायल हुए हैं।

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03 May 2019, 11:58