जलवायु शिखर सम्मेलन के बाद "अधिक महत्वाकांक्षा" को प्रोत्साहन
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
पोलैंड के केतोवाइस में 2-15 दिसम्बर 2018 तक, जलवायु परिवर्तन पर कोप 24 के संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा सम्मेलन के लिए करीब 200 देशों के वार्ताकार उपस्थित हुए थे। कई सभाओं के द्वारा वार्ताकारों ने 2015 में अपनाए गए पेरिस समझौते को लागू करने के लिए एक नियम पुस्तिका पर सहमति बनाने पर काम किया।
सम्मेलन के अंत में परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि द्वारा 19 दिसम्बर को अंतिम वक्तव्य जारी किया गया, जिसका शीर्षक था, "पृथ्वी और उसके लोगों के रोने का जवाब कब दिया जाएगा?" उन्होंने अपने वक्तव्य में सार्वजनिक भलाई हेतु आर्थिक अदूरदर्शीता को दूर करने के लिए राष्ट्रों की तत्परता की सराहना की।
अधिक महत्वाकांक्षा और अधिक तात्कालिकता
वार्ता के दौरान, कमजोर राष्ट्रों के पक्ष में चिंता व्यक्त की गई कि बातचीत का परिणाम "औसत" न हो जाए। इन्हीं चिंताओं को वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने प्रस्तुत किया। जिन्होंने जोर दिया कि मानवाधिकारों को कम करने तथा जलवायु परिवर्तन किस तरह सबसे कमजोर लोगों को प्रभावित करता है, नियम पुस्तिका द्वारा उसका प्रसार किया जाना चाहिए।
अंततः वाटिकन प्रतिनिधि ने सम्मेलन को स्मरण दिलाया कि वैश्विक तापमान सीमित करने का लक्ष्य 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है तथा इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए राष्ट्रों के तंत्र और योगदान, साथ ही व्यक्तिगत जीवनशैली में परिवर्तनों में भी एक और अधिक "महत्वाकांक्षा और तात्कालिकता" की मांग की जाती है।
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