काथलिक संचारकों से पोप : आशा जगानेवाली कहानियाँ सुनायें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 जनवरी 2025 (रेई) : सप्ताह के अंत में जब काथलिक संचारक विश्व संचार की जयंती के लिए रोम में एकत्रित हुए, तो पोप फ्राँसिस ने उनसे साहस, निष्ठा और आशा पर दृढ़ ध्यान के साथ अपना काम करने का आग्रह किया, तथा "हृदय की आंतरिक शक्ति" को उन्मुक्त करने का आग्रह किया। पोप ने शनिवार को वाटिकन में विश्वभर से आए संचारकों का स्वागत करते हुए कहा, "अपनी कहानी आशा-जगानेवाली हो।"
पोप फ्राँसिस ने अपना संबोधन संत पॉल षष्ठम हॉल में उपस्थित दर्शकों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए शुरू किया, उन्होंने उन सभी पत्रकारों को धन्यवाद दिया जो सच्चाई को उजागर करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं, खासकर संघर्ष क्षेत्रों में।
पिछले साल अपनी जान गंवानेवाले या “सिर्फ़ अपने पेशे के प्रति वफ़ादार रहने की वजह से” जेल में बंद लोगों को सम्मानित करते हुए पोप फ्राँसिस ने कहा कि “पत्रकारों की आजादी हम सबकी आजादी को बढ़ाती है”। इसलिए उन्होंने जोर देकर कहा कि “स्वतंत्र, जिम्मेदार और सटीक जानकारी ज्ञान, अनुभव और सद्गुण का खजाना है जिसे सुरक्षित किया जाना और बढ़ावा दिया जाना चाहिए।”
इसके बिना, हम सच और झूठ में अंतर नहीं कर पाते; इसके बिना, हम खुद को बढ़ते पूर्वाग्रहों और ध्रुवीकरण के सामने खोलते हैं जो नागरिक सह-अस्तित्व के बंधन को नष्ट करता और हमें भाईचारे के पुनर्निर्माण से रोकते हैं।"
एक पेशा और एक मिशन
पत्रकारिता को एक पेशा और एक मिशन बताते हुए पोप ने टिप्पणी की कि संचारकों के पास एक “अद्वितीय” जिम्मेदारी होती है जो तथ्यों की रिपोर्टिंग से कहीं आगे तक फैली होती है। सूचना कैसे दी जाती है, यह बहुत मायने रखता है और “ऐसे संचार के बीच अंतर पैदा करता है जो आशा को फिर से जगाता है, पुल बनाता है, दरवाजे खोलता है, और ऐसा संचार जो विभाजन, ध्रुवीकरण और वास्तविकता के सरलीकरण को बढ़ाता है।”
उन्होंने कहा, "एक अच्छे संचार के लिए अध्ययन और चिंतन, देखने और सुनने की क्षमता, हाशिए पर पड़े लोगों, अनदेखे और अनसुने लोगों के साथ खड़े होने और जो लोग आपको पढ़ते, सुनते या देखते हैं उनके दिलों में अच्छाई और बुराई की भावना एवं आपके द्वारा बताई गई तथा गवाही दी गई अच्छाई के लिए लालसा को फिर से जगाने की आवश्यकता होती है।"
साहस
पोप फ्राँसिस के चिंतन का केंद्रबिंदु सत्य की खोज और सकारात्मक परिवर्तन में साहस था। शब्द "दिल का होना" की लैटिन व्युत्पत्ति को याद करते हुए, उन्होंने इस वर्ष के साथ-साथ अन्य वर्षों में विश्व संचार दिवसों के लिए अपने संदेशों में संचारकों को संबोधित किए गए आह्वान को दोहराया, "दिल से सुनना, दिल से बोलना, दिल की बुद्धि की रक्षा करना और दिल की आशा को साझा करना।"
सोशल मीडिया के कारण होनेवाली "दिमाग की सड़न" से निपटने के लिए आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देना
इसलिए पोप फ्राँसिस ने दर्शकों से इस जयंती वर्ष को "दिल को उस चीज से मुक्त करने" के अवसर के रूप में लेने का आग्रह किया, जो इसे भ्रष्ट करती है, संचार का प्रयोग करके अच्छाई और सकारात्मक बदलाव को प्रेरित करें। सोशल मीडिया की लत जैसी आधुनिक चुनौतियों पर जोर देते हुए उन्होंने सूचना के सतही उपभोग से निपटने के लिए मीडिया साक्षरता और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने की बात कही। पोप ने संचार को आम भलाई के लिए सुनिश्चित करने हेतु मीडिया पेशेवरों, शिक्षकों और नवप्रवर्तकों से सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान किया।
कहानी सुनाना और आशा जगाना
संत पौलुस के मन-परिवर्तन के उदाहरण का हवाला देते हुए, उन्होंने काथलिक संचारकों को सच्ची कहानी सुनाने के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने की उनकी शक्ति की याद दिलाई। उन्होंने कहा, "कहानियाँ हमें एक जीवंत ताने-बाने का हिस्सा होने का एहसास कराती हैं, आपस में जुड़े धागे जो हमें एक-दूसरे से जोड़ते हैं।"
"सभी कहानियाँ अच्छी नहीं होतीं, फिर भी उन्हें बताया जाना चाहिए। बुराई को दूर करने के लिए उसे दिखना चाहिए, लेकिन उसे अच्छे से बताया जाना चाहिए, ताकि सह-अस्तित्व के नाज़ुक धागे कमजोर न पड़ें।"
अपने संबोधन के अंत में, पोप फ्राँसिस ने काथोलिक संचारकों को “जीवन को पोषण देनेवाली आशा की कहानियाँ बताने” के लिए प्रोत्साहित किया: “आशा बताने का मतलब है,” उन्होंने कहा “लोगों को आशा के विपरीत उम्मीद करने देना (...) और एक ऐसी नजर रखना जो चीजों को बदल दे, उन्हें वह बना दे जो वे हो सकते हैं और होना चाहिए।”
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here