जयन्ती : हिल्टन फाउंडेशन ‘काथलिक धर्मबहनों की आवाज बुलंद करना’ चाहता है
वाटिकन न्यूज
“दुनिया में वास्तव में क्या हो रहा है, यह समझने के लिए उसकी कहानियों को सबके सामने लाना होगा, और ये धर्मबहनें दूसरों के प्रति अपने दिल और करुणा से ऐसा करती हैं।” हिल्टन फाउंडेशन के निदेशक मंडल की अध्यक्ष लिंडा हिल्टन ने दुनिया भर में काथलिक बहनों के काम के बारे में एक साक्षात्कार में इस दृढ़ विश्वास को साझा किया।
उन्होंने वाटिकन संचार विभाग द्वारा आयोजित "संचार के माध्यम से संचार को बुनना" नामक एक सम्मेलन के दौरान वाटिकन न्यूज़ से बात की।
इस कार्यक्रम में लगभग 80 काथलिक धर्मबहनें एकत्रित हुईं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे दूसरों की आवाज को बुलंद करने के लिए अपने काम को कैसे संप्रेषित कर सकती हैं। इसे कॉनराड एन. हिल्टन फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित किया गया था, जिसकी स्थापना 1944 में होटल उद्यमी ने की थी।
सुश्री हिल्टन ने बताया कि जब उन्होंने सिस्टर नोर्मा पिमेंटेल, एम.जे. के काम के बारे में सुना, जो टेक्सास में यूएस-मैक्सिको सीमा पर प्रवासियों के साथ काम करती हैं, तो वे और फाउंडेशन के बोर्ड के अन्य सदस्य भावुक हो गए।
सुश्री हिल्टन ने कहा, "उनके [वित्त पोषण के लिए] आवेदनों के माध्यम से वहां क्या हो रहा है, यह जानना मेरे लिए आंखें खोलनेवाला था।"
गुरुवार को सम्मेलन को सम्बोधित करनेवाली सिस्टर पिमेंटेल की तरह, हज़ारों अन्य धर्मबहनें हैं जो समाज के सभी पहलुओं के लोगों में ख्रीस्त की सेवा करती हैं, अक्सर चुपचाप लेकिन हमेशा प्यार से।
अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा कॉनराड एन. हिल्टन फाउंडेशन को देनेवाली अपनी वसीयत में, होटल उद्यमी ने मांग की कि फाउंडेशन के दान का कम से कम आधा हिस्सा काथलिक धर्मबहनों के काम का समर्थन करने के लिए जाना चाहिए।
उनकी पोती सुश्री हिल्टन ने कहा, "हमारे दृष्टिकोण में यह कहा गया है: एक दूसरे से प्यार करो, क्योंकि सारा नियम यही है।" "दुनिया के लोग प्यार और प्रोत्साहन के हकदार हैं, उन्हें कभी भी अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए, उन्हें गरीबी में अकेले भटकने नहीं देना चाहिए।" उन्होंने कहा कि हिल्टन फाउंडेशन का बोर्ड दुनिया की बदलती जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करता है।
फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित एक परियोजना संचार में धर्मबहनों के लिए निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करती है और संचार के लिए डिकास्टरी के सहयोग से संचालित की जाती है। हर साल, दर्जनों धर्मबहनें संचार में ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं, और कई गहन प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए रोम में वाटिकन संचार विभाग के कार्यालयों में प्रशिक्षु के रूप में तीन महीने बिताती हैं।
युवा धर्मबहनों को प्रशिक्षण देने के अलावा, हिल्टन फाउंडेशन ने 22 जनवरी को “द अन्ना ट्रस्ट फॉर एल्डरली काथलिक सिस्टर्स” भी लॉन्च किया।
इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सुपीरियर्स जनरल (यूआईएसजी) के सहयोग से बनाई गई यह पहल दुनियाभर की धर्मबहनों के लिए “स्वस्थ, सम्मानजनक रूप से उम्र में बढ़ने की प्रक्रिया” का समर्थन करेगी।
सुश्री हिल्टन और निदेशक मंडल ने बुधवार को वाटिकन में एक मुलाकात में पोप फ्राँसिस को अन्ना ट्रस्ट प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि निदेशक मंडल ने काथलिक धर्मबहनों का समर्थन करना महत्वपूर्ण समझा, जिन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया है।
2009 में एक रिपोर्ट से पता चला कि संयुक्त राज्य अमेरिका में धर्मबहनों की औसत आयु 69 वर्ष थी।
सुश्री हिल्टन ने कहा, "धर्मबहनें जो पैसा कमाती हैं, उसे अपने पास नहीं रखतीं, बल्कि गरीबी की शपथ के कारण अपनी सुपीरियर्स को दे देती हैं।" "इसलिए, जब उनके पास कुछ नहीं होता, तो उनके लिए आगे आना और उनकी देखभाल करना महत्वपूर्ण है।"
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