कार्डिनल कूवाकाड: अंतरधार्मिक संवाद शांति का निर्माण कर सकता है
अंद्रेया तोर्नेली
वाटिकन सिटी, शुक्रवार 24 जनवरी 2025 (वाटिकन न्यूज) : "मैं कार्डिनल अयूसो जैसे बुद्धिमान और दयालु व्यक्ति तथा कार्डिनल तौरान जैसे अगाध आस्था वाले और अथक शांति निर्माता के उत्तराधिकारी की अपार जिम्मेदारी को लेकर आश्चर्य, खुशी और घबराहट महसूस कर रहा हूँ।" संत पापा फ्राँसिस द्वारा शुक्रवार को उन्हें अंतरधार्मिक संवाद के लिए गठित विभाग का प्रीफेक्ट नियुक्त करने के निर्णय की खबर मिलने पर संत पापा के प्रेरितिक दौरे के आयोजक, भारतीय मूल के कार्डिनल जॉर्ज जेकब कूवाकाड ने ये भावनाएँ व्यक्त कीं। विभाग उन धर्मों के सदस्यों और समूहों के साथ संबंधों को बढ़ावा देती है जो ख्रीस्तीय नाम के अंतर्गत नहीं आते हैं, यहूदी धर्म को छोड़कर, जो ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने के लिए विभाग के अंतर्गत आता है।
वाटिकन प्रेस कार्यालय ने शुक्रवार, 24 जनवरी को प्रीफेक्ट के रूप में उनकी नियुक्ति की घोषणा की, जिसमें कहा गया कि कार्डिनल कूवाकाड संत पापा के दौरे के आयोजक के रूप में अपनी वर्तमान भूमिका को बनाए रखेंगे।
निम्नलिखित साक्षात्कार में, कार्डिनल कूवाकड ने अपने पहले प्रभाव और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा देने में संत पापा के उदाहरणों के बारे में बात की।
प्रश्न: आपको यह नियुक्ति कैसे मिली?
कार्डिनल कूवाकाड: संत पापा फ्राँसिस के प्रति अपार आभार, जिन्होंने दो महीने से भी कम समय में अप्रत्याशित रूप से मुझे कार्डिनल मंडल में शामिल किया, मुझे महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किया, और अब मुझे एक ऐसे विभाग की जिम्मेदारी सौंपी है जिसका नेतृत्व हाल ही में कार्डिनल मिगुएल एंजेल अयूसो गुइसोट जैसे बुद्धिमान और अच्छे व्यक्ति ने किया था और उनसे पहले, कार्डिनल तौरान जैसे गहन आस्था वाले और अथक शांति निर्माता ने अपने जीवन के अंत तक किया था।
मैं स्वीकार करता हूँ कि यह विचार मुझे बहुत घबराहट और अपर्याप्तता की भावना से भर देता है। साथ ही, मैं उन सभी लोगों की प्रार्थनाओं पर बहुत अधिक निर्भर करता हूँ जो एक ऐसी दुनिया का सपना देखते रहते हैं जहाँ धार्मिक मतभेद न केवल शांतिपूर्ण ढंग से सह-अस्तित्व में हो बल्कि लोगों के बीच शांति स्थापित करने में आवश्यक तत्व बने।
मैं संत पापा के मार्गदर्शन और मेरे पूर्ववर्तियों द्वारा पहले से ही बुद्धिमानी से अपनाए गए मार्ग पर भरोसा करता हूँ। सबसे बढ़कर, मैं विभाग के सहयोगियों की मदद पर निर्भर हूँ, जिनसे मैं पिछले कुछ घंटों में मिला हूँ और जिन्होंने पहले ही मित्रता के साथ मेरा स्वागत किया है और मुझे घर जैसा महसूस कराया है।
प्रश्न: आपका जन्म 51 साल पहले केरल के चेथिपुझा में हुआ था। एक भारतीय के रूप में, भले ही आपने कई साल अपने देश से दूर बिताए हों, क्या आपको लगता है कि अंतरधार्मिक सह-अस्तित्व आपकी पहचान में गहराई से समाया हुआ है?
कार्डिनल कूवाकाड: हां, मेरा जन्म और पालन-पोषण एक बहुसांस्कृतिक और बहु-धार्मिक समाज में हुआ, जहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है और सद्भाव को बनाए रखा जाता है। विविधता एक समृद्धि है!
मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूँ कि भारत में अंतरधार्मिक संवाद पारंपरिक रूप से मठवाद से जुड़ा हुआ है। 1500 की शुरुआत में, जेसुइट फादर रॉबेर्टो डी नोबिली ने भारतीय भिक्षुओं के कपड़े और रीति-रिवाजों को अपनाया, स्थानीय भाषाएं सीखीं और इन परंपराओं में जो कुछ भी मूल्यवान हो सकता था, उसे आत्मसात करने की कोशिश की। हालांकि, इस तरह के प्रयास बिना जोखिम के नहीं हैं, जैसा कि संत पापा हमें सिखाते हैं, बाहर कदम रखना और आगे बढ़ना हमेशा जोखिम भरा होता है।
लेकिन मैं जिस चीज पर प्रकाश डालना चाहता हूँ, वह है खुलापन, सहानुभूति और अन्य परंपराओं के प्रति निकटता का मनोभाव। ख्रीस्तीय धर्म संस्कृतिकरण करने में सक्षम है: ख्रीस्तियों को सभी के लिए भाईचारे का बीज कहा जाता है। इसका मतलब अपनी पहचान को छोड़ना नहीं है, बल्कि यह जानना है कि पहचान कभी भी दीवारें खड़ी करने या दूसरों के साथ भेदभाव करने का कारण नहीं होनी चाहिए। इसके बजाय, इसे हमेशा पुल बनाने का अवसर होना चाहिए।
अंतरधार्मिक संवाद केवल धर्मों के बीच संवाद नहीं है, बल्कि उन विश्वासियों के बीच संवाद है जिन्हें ईश्वर में विश्वास करने और दान एवं सम्मान के साथ भाईचारे की सुंदरता के गवाह बनने के लिए बुलाया जाता है।
प्रश्न: आपके विभाग की जिम्मेदारियों में से एक इस्लामी दुनिया के साथ संबंध है। आप हमें इसके बारे में क्या बता सकते हैं?
कार्डिनल कूवाकाड: द्वितीय वाटिकन परिषद ने इस्लाम सहित अन्य धर्मों के साथ संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की। मुझे संत पापा पॉल षष्टम के भविष्यसूचक शब्द और संकेत याद हैं, जिन्होंने 1969 में युगांडा में एक तीर्थयात्री के रूप में, स्थानीय आदिवासी राजाओं के अधीन पीड़ित मुस्लिम विश्वासियों को शामिल करते हुए एक समानांतर रेखा खींचकर पहले अफ्रीकी ख्रीस्तीय शहीदों को सम्मानित किया।
फिर 1985 में मोरक्को के कासाब्लांका में मुस्लिम युवाओं को संत पापा जॉन पॉल द्विताय के शब्द हैं, जब उन्होंने कहा, "हम एक ही ईश्वर, एक ईश्वर, जीवित ईश्वर, उस ईश्वर में विश्वास करते हैं जो दुनिया बनाते हैं और अपने प्राणियों को पूर्णता तक पहुंचाते हैं।" सोलह साल बाद, वही संत पापा सीरिया की अपनी यात्रा के दौरान दमिश्क में उमय्यद मस्जिद की दहलीज पार करते हुए पहली बार एक मस्जिद में दाखिल हुए।
2006 में इस्तांबुल की ब्लू मस्जिद में संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें द्वारा मौन प्रार्थना करने की याद आज भी ताजा है। और हम संत पापा फ्राँसिस द्वारा उठाए गए कई कदमों का उल्लेख कैसे न करें, जैसे कि 4 फरवरी, 2019 को अबू धाबी में अल-अजहर के ग्रैंड इमाम अहमद अल-तैयब के साथ मानव बंधुत्व दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करना, जिसके एक साल बाद विश्वपत्र फ्रातेली तुत्ती जारी किया गया।
प्रश्न: आपने जिन घटनाओं का उल्लेख किया है, वे लगभग सभी परमाध्यक्षों की प्रेरितिक यात्राओं से जुड़ी हैं, जो मुझे संत पापा फ्राँसिस की यात्राओं के आयोजन में आपकी भूमिका से जोड़ती हैं।
कार्डिनल कूवाकाड: वास्तव में, यह सच है: संत पापा की यात्राओं में लगभग हमेशा अंतरधार्मिक आयाम, अन्य धर्मों के अधिकारियों के साथ मुलाकातें और भाईचारे के कुछ पल होते हैं। मैं पिछले सितंबर में एशिया और ओशिनिया की अपनी यात्रा के बारे में सोचता हूँ, जब संत पापा फ्राँसिस ने इंडोनेशिया के जकार्ता में मस्जिद और गिरजाघर को जोड़ने वाली "मैत्री सुरंग" को आशीर्वाद दिया था। ग्रैंड इमाम नसरुद्दीन उमर की मित्रता के भावों से मैं अभिभूत हो गया।
प्रेरितिक राजदूतावास और सचिवालय के यात्रा कार्यालय के सहयोगियों के साथ - जिन्हें मैं उनके काम के लिए धन्यवाद देता हूँ - हमने जलवायु परिवर्तन पर कोप 28 के लिए दिसंबर 2023 की शुरुआत में योजनाबद्ध दुबई यात्रा के लिए मुस्लिम अधिकारियों के साथ बातचीत में व्यापक रूप से तैयारी की थी, जिसे संत पापा के स्वास्थ्य लाभ के कारण प्रस्थान से कुछ दिन पहले रद्द कर दिया गया था।
मैं मंगोलिया में कुछ महीने पहले हुए खूबसूरत अनुभव का भी ज़िक्र करना चाहूँगा, जहाँ सिर्फ़ 1.3% आबादी ख्रीस्तीय है, साथ ही कज़ाकिस्तान और बहरीन की प्रेरितिक यात्राओं का भी ज़िक्र करना चाहूँगा। अंतरधार्मिक संवाद के लिए गठित विभाग का संदर्भ मेरे लिए बिल्कुल नया है, लेकिन मेरा मानना है कि मैंने जो अनुभव प्राप्त किया है और यात्रा कार्यालय में प्राप्त करना जारी रखूँगा, वह मूल्यवान रहा है और रहेगा।
इसी तरह, मुझे उम्मीद है कि अल्जीरिया, दक्षिण कोरिया और ईरान के प्रेरितिक राजदूतावास में मेरी सेवा मददगार होगी। मुझे अभी भी 2021 में इराक की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान नजफ़ में ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद अली अल-सिस्तानी के साथ संत पापा की बातचीत की तस्वीरें स्पष्ट रूप से याद हैं, भले ही उस समय मैं संत पापा की यात्राओं में शामिल नहीं था।
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