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वाटिकन में जारी धर्मसभा के सत्र वाटिकन में जारी धर्मसभा के सत्र  (ANSA)

धर्मसभा ब्रीफिंग – आँठवा दिनः ख्रीस्तीय एकता के मार्ग पर

वाटिकन में इस समय जारी विश्वधर्माध्यक्षीय धर्मसभा के दौरान गुरुवार को ख्रीस्तीयों के बीच एकता के प्रश्न पर विशद विचार-विमर्श किया गया। धर्मसभा का यह आठवाँ दिन था जिसमें 342 धर्मसभा सदस्य उपस्थित थे।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में इस समय जारी विश्वधर्माध्यक्षीय धर्मसभा के दौरान गुरुवार को ख्रीस्तीयों के बीच एकता के प्रश्न पर विशद विचार-विमर्श किया गया। धर्मसभा का यह आठवाँ दिन था जिसमें 342 धर्मसभा सदस्य उपस्थित थे।

परमधर्मपीठीय प्रेस कार्यालय के उप निदेशक ने संचार विभाग के प्रीफेक्ट और धर्मसभा सूचना आयोग के अध्यक्ष पाओलो रूफिनी और आयोग की सचिव शीला पेरेस द्वारा प्रस्तुत ब्रीफिंग का संचालन किया। उन्होंने बताया कि गुरुवार के सत्रों में ख्रीस्तीयों के बीच एकता की स्थापना हेतु किये जा रहे प्रयासों का ब्यौरा दिया गया तथा आगे भी इसी पथ पर मज़बूती से चलने का संकल्प किया गया।

उपहारों का आदान-प्रदान

ख्रीस्तानुयायियों के बीच पूर्ण एकता की स्थापना हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल रॉबर्ट कॉख ने ख्रीस्तीयों के बीच एकता पर ध्यान केन्द्रित किया गया, जो धर्मसभा की सार्वभौमिकता के साथ अविभाज्य है। इस अवधारणा को कार्डिनल महोदय ने इन शब्दों में अभिव्यक्त किया: "धर्मसभा की यात्रा विश्वव्यापी है और  विश्वव्यापी यात्रा धर्मसभा के अलावा और कुछ नहीं हो सकती।"

कार्डिनल ने विश्वव्यापी आयाम को "इस धर्मसभा के सबसे प्रासंगिक पहलुओं में से एक" के रूप में परिभाषित करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि "उपहारों के आदान-प्रदान से हम एक-दूसरे से सीखते हैं और यह इस विश्वास को सुदृढ़ करता है कि कोई भी कलीसिया इतनी समृद्ध नहीं है कि उसे अन्य कलीसियाओं के योगदान की आवश्यकता न हो, साथ ही कोई भी कलीसिया इतनी अकिंचन या ग़रीब नहीं है कि उसके पास देने के लिए कुछ न हो।" उन्होंने कहा कि यह बात कलीसिया की सार्वभौमिकता और स्वयं धर्मसभा के लिए भी मौलिक है।

पवित्रता एकता का सबसे पक्का मार्ग 

कार्डिनल कॉख ने धर्मसभा के उक्त सत्र में उपस्थित अन्य कलीसियाओं के प्रतिनिधियों के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि एक साथ मिलकर हमारा प्रार्थना करना एकता को मार्ग पर आगे बढ़ने का एक सकारात्मक संकेत है। 11 अक्टूबर को तेज़े प्रार्थना समुदाय के संग आयोजित प्रार्थना सभा का भी उन्होंने ज़िक्र किया और बताया कि  सभा को प्रेरित करने वाली प्रार्थना द्वितीय वाटिकन महासभा के दो धर्मसैद्धान्तिक संविधानों से ली जाएगी, जो हैं, लूमेन जेन्सियुम तथा ख्रीस्तीय एकता पर जारी आदेश ऊनीतातिस रेइन्तेग्रात्सियो।   

कार्डिनल कॉख ने कहा कि इस प्रार्थना सभा के लिये चुना गया स्थल यानि वाटिकन स्थित पियात्सा देई प्रोटोमार्तीरी, संयोग नहीं है, क्योंकि "परंपरा के अनुसार सन्त पेत्रुस की शहादत इसी स्थल पर हुई थी। उन्होंने कहा कि यह हमें याद दिलाता है कि पवित्रता ही एकता का सबसे पक्का रास्ता है।"

संवाद से नींव बनती है, समझौता नहीं

पिसिदिया के धर्माधिपति तथा काथलिक कलीसिया और ऑरथॉडोक्स ख्रीस्तीय कलीसिया के बीच वार्ता के लिए गठित अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त आयोग के सह-अध्यक्ष महामहिम जॉब ने कहा कि प्राथमिकता, धर्मसभा, प्रेरिताई और समझौताकारक मुद्दों पर वार्ताएं, काथलिकों और ऑरथॉडोक्स ख्रीस्तीयों के बीच "20 वर्षों से प्रगति के साथ चल रही है। उन्होंने कहा कि इन वार्ताओं का उद्देश्य हमें न केवल करीब लाना और हमारे बीच सामंजस्य स्थापित करना है बल्कि प्रत्येक कलीसिया के आंतरिक जीवन को फलप्रद बनाना है।"

ख्रीस्तीयों के बीच एकता हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद द्वारा हाल में प्रकाशित दस्तावेज़ "द बिशप ऑफ रोम" की भी उन्होंने चर्चा की और कहा कि इसके प्रकाशन में जिस बात ने उन्हें प्रभावित किया, वह है “इन सभी संवादों का अभिसरण। यह दर्शाता है कि यह केवल कलीसियाओं के बीच किसी प्रकार का "समझौता" खोजने के बारे में नहीं है, बल्कि ख्रीस्तीय एकता के सामान्य जीवन की नींव रखने के बारे में है।"

सुरक्षित स्थल

"इंग्लिश-वेल्श एंग्लिकन-रोमन काथलिक समिति" के सह-अध्यक्ष, चिचेस्टर के एंग्लिकन ख्रीस्तीय धर्माध्यक्ष मार्टिन वार्नर ने संबंधपरक अनुभव के मूल्य पर ध्यान केंद्रित किया, जो इस धर्मसभा को चर्च ऑफ इंग्लैंड की धर्मसभाओं से अलग करता है। उन्होंने कहा कि चूंकि तत्कालीन एंग्लिकन प्राइमेट, माइकल रैमसे को सन्त पापा पॉल षष्टम से धर्माध्यक्षीय अँगूठी प्राप्त हुई थी, "हम एक-दूसरे को देख सकते हैं, अपने मतभेदों को पहचान सकते हैं और साथ ही अपने संबंधित अनुभवों में बढ़ने के लिए उपहारों के आदान-प्रदान के महत्व को भी पहचान सकते हैं।"

एंगलिकन धर्माध्यक्ष वॉर्नर ने कहा, एंग्लिकन धर्मसभा सत्रों के विपरीत, काथलिक धर्मसभा सत्रों की विशेषता प्रार्थना और मौन होती है, और, महत्वपूर्ण बात यह है कि, "वे विधायी नहीं होते हैं।" उन्होंने कहा कि इसीलिये काथलिक धर्मसभा एक विशिष्ट और सुरक्षित स्थल है जहाँ स्वतंत्र रूप से विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकता है। "एक संरक्षित स्थान, जिसमें एक-दूसरे के प्रति मन के द्वारों को खोला जा सकता है, आत्मा के साथ बातचीत की जा सकती है, तथा इस सदी की चुनौतियों को रचनात्मक और साहसी तरीके से देखा जा सकता है।"

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11 अक्तूबर 2024, 10:54
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