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ब्रसेल्स के किंग बॉडौइन स्टेडियम में आयोजित पवित्र मिस्सा समारोह में संत पापा फ्राँसिस ब्रसेल्स के किंग बॉडौइन स्टेडियम में आयोजित पवित्र मिस्सा समारोह में संत पापा फ्राँसिस   (ANSA) संपादकीय

दुर्व्यवहार और शर्मींदगी

हमारे संपादकीय निदेशक, अंद्रेया तोर्नेली, संत पापा फ्राँसिस द्वारा बेल्जियम की अपनी हाल ही में समाप्त हुई प्रेरितिक यात्रा के दौरान पुरोहितों द्वारा किए गए यौन शोषण की निंदा पर विचार करते हैं।

अंद्रेया तोर्नेली - संपादकीय निदेशक

वाटिकन सिटी, सोमवार 30 सितंबर, 2024 : अपनी प्रेरितिक यात्राओं के दौरान, संत पापा फ्राँसिस उस वास्तविकता और चुनौती से खुद को चोट पहुँचाने देते हैं जिसका वे सामना करते हैं; हर चीज़ पहले से तैयार नहीं की जा सकती। लक्ज़मबर्ग और बेल्जियम की उनकी यात्रा के दौरान भी यही स्थिति थी, जो रविवार, 29 सितंबर को समाप्त हुई।

बेल्जियम के राजा और प्रधान मंत्री के साथ बात करते हुए, जिन्होंने अलग-अलग लहजे में नाबालिगों के खिलाफ़ दुर्व्यवहार के मुद्दे को उठाया, जो देश की कलीसिया और उसके पदानुक्रमों के जीवन पर भारी पड़ा है और अभी भी भारी पड़ रहा है, रोम के धर्माध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक पुरोहित द्वारा एक बच्चे के साथ दुर्व्यवहार का एक भी मामला बहुत ज़्यादा है।

संत पापा ने अपने तैयार पाठ से हटकर, राजा हेरोद के पीड़ितों, “पवित्र मासूमों” का हवाला दिया, यह दिखाने के लिए कि यह आज भी होता है। यह पहली बार नहीं था जब संत पापा ने यह तुलना की। फरवरी 2019 में, वाटिकन में आयोजित दुर्व्यवहार पर शिखर सम्मेलन के समापन पर, उन्होंने हेरोद और शिशुओं के उसके नरसंहार का हवाला दिया और बिना किसी तैयारी के यह भी कहा कि नाबालिगों के साथ दुर्व्यवहार के पीछे “शैतान है।”

ब्रसेल्स के किंग बॉडौइन स्टेडियम में आयोजित पवित्र मिस्सा समारोह में संत पापा फ्राँसिस कुछ स्पष्ट और सशक्त पैराग्राफ जोड़ना चाहते थे। उन्होंने ऐसा दो दिन पहले कई दुर्व्यवहार पीड़ितों के साथ हुई बैठक से बहुत प्रभावित होने के बाद किया, जो ब्रसेल्स के प्रेरितिक राजदूतावास में दो घंटे से अधिक समय तक चली एक नाटकीय और मार्मिक बातचीत थी।

संत पापा ने “अपने मन और दिल से” उनकी कहानियों और उनकी पीड़ाओं को सुना और दोहराया कि कलीसिया के भीतर दुर्व्यवहार या दुर्व्यवहार को छिपाने के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि बुराई को “छिपाया नहीं जाना चाहिए” बल्कि उसे साहसपूर्वक प्रकाश में लाया जाना चाहिए, दुर्व्यवहार करने वाले को न्याय के कटघरे में लाना चाहिए, चाहे वह कोई भी हो - “लोकधर्मी, पुरोहित या धर्माध्यक्ष।”

संत पापा फ्राँसिस के शब्दों में ध्यान देने योग्य एक और महत्वपूर्ण पहलू है। बेल्जियम के शाही महल में और वापसी की उड़ान के दौरान पत्रकारों से बातचीत में, संत पापा ने आँकड़ों का हवाला दिया, जो दिखाते हैं कि दुर्व्यवहार के अधिकांश मामले परिवारों, स्कूलों और खेल की दुनिया में होते हैं।

ऐसा पहली बार नहीं था जब उन्होंने ऐसा किया। लेकिन इस बार, अभूतपूर्व स्पष्टता के साथ, उनका उद्देश्य उन लोगों द्वारा उन संख्याओं के दुरुपयोग के लिए किसी भी बहाने को खत्म करना था, जो दूसरों की ज़िम्मेदारियों को उजागर करके और मुद्दे को कम करके खुद का बचाव करना चाहते हैं।

यह सच है कि कलीसिया ने पिछली तिमाही सदी में एक ऐसा रास्ता अपनाया है, जिसके कारण दुर्व्यवहार के खिलाफ़ बहुत सख्त आपातकालीन कानून बने हैं। यह सच है कि दूसरों ने वही कदम नहीं उठाए हैं।

हालांकि, यह भी उतना ही सच है कि कलीसिया के भीतर दुर्व्यवहार एक भयानक चीज है, जो हमेशा सत्ता के दुरुपयोग और उन लोगों की अंतरात्मा के साथ छेड़छाड़ से शुरू होती है जो रक्षाहीन हैं। जिन परिवारों ने अपने बच्चों को विश्वास में शिक्षित करने के लिए कलीसिया को सौंप दिया था, उन्हें विश्वास था कि वे सुरक्षित हैं, उन्होंने उन्हें शरीर और आत्मा में घातक रूप से घायल होकर लौटते देखा है।

इस कारण से, आँकड़ों का कोई साधन नहीं हो सकता है, लगभग ऐसा लगता है जैसे किसी ऐसी चीज़ को कम करने की कोशिश की जा रही है जिसे किसी भी तरह से कम नहीं किया जा सकता है और न ही किया जाना चाहिए, लेकिन इसके खिलाफ़ लड़ना चाहिए और हर संभव दृढ़ संकल्प के साथ इसे मिटाना चाहिए। दुर्व्यवहार एक ऐसा अपराध है जो "आत्मा को मारता है", जैसा कि महाधर्माध्यक्ष चार्ल्स सिक्लुना ने एक बार कहा था।

पेत्रुस के उत्तराधिकारी ने अपने दो पूर्ववर्तियों के पदचिन्हों पर चलते हुए दुर्व्यवहार को रोकने के लिए बहुत सख्त नए कानून बनाए हैं और कहा है कि कलीसिया के भीतर नाबालिगों के खिलाफ़ दुर्व्यवहार का एक भी मामला बहुत ज़्यादा होगा।

उन्होंने पूरी कलीसिया को संकेत दिया कि सबसे उचित रवैया शर्म, अपमान और माफ़ी के लिए अनुरोध है। यह वही पश्चातापी रवैया है जिसे संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने प्रस्तावित किया था - हालाँकि उन्हें गलत समझा गया था - जब उन्होंने पुष्टि की कि कलीसिया के लिए सबसे बड़ा दुश्मन बाहर नहीं बल्कि उसके भीतर का पाप है।

अपमान और माफ़ी के लिए अनुरोध गहराई से ख्रीस्तीय दृष्टिकोण हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि कलीसिया समुदाय माफ़ किए गए पापियों से बना है और इसके भीतर होने वाले दुर्व्यवहार एक घाव हैं जो हम सभी को चिंतित करते हैं।

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30 सितंबर 2024, 16:21