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संयुक्त राष्ट्र में परमधर्मपीठ के पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष बालेसत्रेरो संयुक्त राष्ट्र में परमधर्मपीठ के पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष बालेसत्रेरो  

विश्व के एक तिहाई हिस्से में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन

जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालय में परमधर्मंपीठ के पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष बालेसत्रेरो ने धर्म पालन की स्वतंत्रता सहित मानवाधिकारों के उल्लंघनों को संबोधित करने के लिए नए सिरे से अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का आग्रह किया।

वाटिकन सिटी

जिनिवा, शुक्रवार, 1 मार्च 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालय में परमधर्मंपीठ के पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष बालेसत्रेरो ने धर्म पालन की स्वतंत्रता सहित मानवाधिकारों के उल्लंघनों को संबोधित करने के लिए नए सिरे से अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का आग्रह किया।

संयुक्त राष्ट्र संघीय मानवाधिकार परिषद के 55वें सत्र को संबोधित करते हुए वाटिकन के वरिष्ठ धर्माधिकारी महाधर्माध्यक्ष एत्त्तोर बालेसत्रेरो ने राष्ट्रों के प्रतिनिधियों से बुधवार को कहा कि विचार, विवेक और अन्तःकरण एवं धर्म पालन की स्वतंत्रता के खिलाफ दुनिया भर में ख़तरनाक पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी है।

भेदभाव में वृद्धि

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि विश्व के कई हिस्सों में धर्म और विश्वास के कारण भेदभाव एवं उत्पीड़न का सिलसिला जारी है। "एड टू द चर्च इन नीड" परमधर्मपीठीय न्यास के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि विश्व के लगभग एक तिहाई देशों में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हुआ है, जिससे लगभग 4.9 अरब लोग प्रभावित हुए हैं।

डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में राजदूत रह चुके महाधर्माध्यक्ष बालेसत्रेरो ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि कुछ पश्चिमी देशों में, "सहिष्णुता और समावेशन' की आड़ में धार्मिक भेदभाव और सेंसरशिप को बढ़ावा दिया जा रहा है।"

उन्होंने कहा, "क़ानून का उद्देश्य मूल रूप से 'घृणास्पद भाषण' का मुकाबला करना था, जिसका दुरुपयोग प्रायः विचार, विवेक और धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार को चुनौती देने के लिए किया जाता तथा सेंसर व्यवस्था और 'मजबूर भाषण' को बढ़ावा मिलता है।"

मानव प्रतिष्ठा का सम्मान अनिवार्य

इस बात पर उन्होंने बल दिया कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का परम लक्ष्य मानव व्यक्ति की गरिमा की रक्षा होना चाहिये। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि बहुध्रुवीय विश्व में वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिये मानव व्यक्ति की गरिमा को सुनिश्चित्त किया जाना नितान्त आवश्यक है। उन्होंने कहा मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा का सम्मान ही  शांति का आधार है, जैसा कि सन् 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा में कहा गया था।।

महाधर्माध्यक्ष महोदय ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा हो इसके लिये "हमारे अंतर्निहित स्वभाव की साझा दृष्टि का पुनर्निर्माण" आवश्यक है। उन्होंने कहा, "जो अच्छा है उसे हम उससे अलग नहीं कर सकते जो सत्य है और जो हमारे मानव स्वभाव में गहराई से अन्तर्निहित है।"

महाधर्माध्यक्ष बालेसत्रेरो ने कहा, "हमारे समाज को सार्वभौमिक भाईचारे की सही समझ और प्रत्येक मानव जीवन, प्रत्येक पुरुष और प्रत्येक महिला, गरीबों, बुजुर्गों, बच्चों, अशक्तों, बेरोजगार, परित्यक्त और अजन्मे लोगों की पवित्रता के प्रति सम्मान की नींव पर आगे बढ़ना जारी रखना चाहिए।" उन्होंने कहा कि ये फेंकदेनेवाली वस्तु नहीं हैं जिन्हें केवल आंकड़ों का हिस्सा माना जाये।

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01 March 2024, 11:48