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विश्व मत्स्य पालन दिवस, हैदराबाद में,  तस्वीरः 2022 विश्व मत्स्य पालन दिवस, हैदराबाद में, तस्वीरः 2022  (AFP or licensors)

विश्व मत्स्य पालन दिवस: परमधर्मपीठ का संदेश

रोम स्थित खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मंगलवार को मनाये गये विश्व मत्स्य पालन दिवस के उपलक्ष्य में वाटिकन ने, पर्यावरण की दृष्टि से, धारणीय मत्स्य-ग्रहण और मत्स्य श्रमिकों की मानवीय गरिमा के बीच घनिष्ठ संबंध पर ज़ोर दिया गया।

वाटिकन सिटी

रोम, बुधवार, 22 नवम्बर 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): रोम स्थित खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मंगलवार को मनाये गये विश्व मत्स्य पालन दिवस के उपलक्ष्य में वाटिकन ने, पर्यावरण की दृष्टि से, धारणीय मत्स्य-ग्रहण और मत्स्य श्रमिकों की मानवीय गरिमा के बीच घनिष्ठ संबंध पर ज़ोर दिया गया।

वाटिकन स्थित अखण्ड मानव विकास सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद तथा संयुक्त राष्ट्र संघीय खाद्य एवं कृषि संगठन में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक ने अपने सम्बोधन में कहा कि मछली पकड़ने की सामाजिक स्थिरता इसकी पर्यावरणीय स्थिरता के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है।

विश्व मत्स्य पालन दिवस

प्रतिवर्ष 21 नवंबर को मनाया जानेवाला विश्व मत्स्य पालन दिवस एक ओर, समस्त विश्व के लाखों लोगों के लिए भोजन के स्रोत रूप में समुद्र की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने और दूसरी ओर, मत्स्य पालन से संलग्न  कठिनाइयों को स्वीकार करने का अवसर प्रदान करता है।

विगत कई वर्षों से, परमधर्मपीठ और खाद्य एवं कृषि संगठन एफएओ मिलकर मत्स्य पालन क्षेत्र में कामकाजी परिस्थितियों को संबोधित करते रहे हैं। रोम में एफएओ मुख्यालय में आयोजित इस वर्ष का कार्यक्रम बंदरगाहों की भूमिका पर केन्द्रित रहा। विशेषकर, इस तथ्य पर कि मछली पकड़ने के क्षेत्र की सामाजिक स्थिरता को सुरक्षित रखने में बंदरगाह कैसे योगदान दे सकते हैं।

अखण्ड मानव विकास सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल माईकिल क्रेन्ज़ी ने विश्व मत्स्य पालन दिवस के उपलक्ष्य में अपने सन्देश में कहा कि यह देखते हुए कि "विश्व के कई हिस्सों में मछली पकड़ने वाले समुदाय पीड़ित हैं, विश्व मत्स्य पालन दिवस "अभिन्न पारिस्थितिकी" के लिए सन्त पापा फ्रांसिस की अपील को अपनाने का एक अच्छा अवसर है।

कार्डिनल महोदय ने मानव गरिमा और ग्रह की देखभाल के लिए काम करने वालों के साथ खड़े होने की काथलिक कलीसिया की निरंतर प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की।

परमधर्मपीठ की ओर से वाटिकन परिषद की उपसचिव सि. आलेस्सान्द्रा स्मेरिल्ली ने इस महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्र में सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों के बीच घनिष्ठ संबंध पर प्रकाश डाला गया।

गहन औद्योगिक मत्स्य-ग्रहण 'एक ख़तरा'

सन्त पापा फ्राँसिस के हालिया प्रेरितिक उद्बोधन  "लाऊदाते देउम" को याद करते हुए जिसमें सन्त पापा ने एक बार फिर टीका की है कि तकनीकी प्रगति "कई जीवित प्राणियों के जीवन और हमारे स्वयं के अस्तित्व को ख़तरे में डालने में भी सक्षम है", वाटिकन सचिव ने कहा कि गहन औद्योगिक मत्स्य-ग्रहण अर्थात् मछली पकड़ना भी ख़तरे से खाली नहीं है, जिसके साथ छोटे मछुआरों की भविष्य की आजीविका का प्रश्न भी जुड़ा हुआ है।

उन्होंने कहा, "समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में विनाशकारी मत्स्य-ग्रहण से मछुआरों के काम का शोषण होता है, जो भली प्रकार जानते हैं कि समुद्र की देखभाल उनकी आजीविका के भविष्य के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।" अस्तु, उन्होंने कहा, "बलशालियों के अहंकार' का मुकाबला करने की ज़रूरत है जो ईमानदार लोगों के काम के साथ-साथ हमारे ग्रह की समुद्री जैव विविधता को भी ख़तरे में डालते हैं।" उन्होंने कहा कि मछुआरों की आवाज़ को सुनने की ज़रूरत है।

बंदरगाही श्रमिकों के पक्ष में

इसी बीच, खाद्य एवं कृषि संगठन में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक मान्यवर फेरनान्दो आरेलानो ने स्मरण दिलाया कि परमधर्मपीठ और काथलिक कलीसिया हमेशा मछुआरों के पक्ष में रही है, "विशेष रूप से कम भाग्यशाली मछुआरों के साथ ताकि हर समुद्री श्रमिक को सभ्य और सम्मानजनक काम करने तथा स्वस्थ, स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण का मौलिक अधिकार मिले"।

उन्होंने कहा "ऐसी नैतिकता जो लोगों का सम्मान करती है, वह हमें बंदरगाहों पर काम करने वाले लोगों की भलाई हेतु सुधार करने और उनकी वास्तविक जरूरतों को पूरा करने की अनुमति भी देगी और यह तब ही हो सकता है जब मानवता को एक ही परिवार के रूप में देखा जाए, जिसमें हम सभी भाई-बहन और एक दूसरे प्रति ज़िम्मेदार रहें।"

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22 November 2023, 11:17