कार्डिनल परोलिन ने जलवायु कार्रवाई के प्रति वाटिकन की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 7 नवंबर 2023 (रेई) : दुनिया के प्रमुख धार्मिक समुदायों और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करनेवाले लगभग तीस धार्मिक नेताओं ने एक अंतरधार्मिक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अपने समुदायों को संगठित करने की प्रतिबद्धता जताई है, और राजनीतिक नेताओं से अगले महीने के कोप28 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया है।
वाटिकन के राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने सोमवार शाम को अबू धाबी में हस्ताक्षर समारोह में भाग लिया।
यह हस्ताक्षर, वैश्विक आस्था सम्मेलन के पहले दिन के अंत में हुआ, जो एक अंतरधार्मिक सभा थी जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन संकट के जवाब में धार्मिक नेताओं और विश्वासियों की आवाज को बढ़ाना था।
समारोह के बाद, कार्डिनल परोलिन ने वाटिकन न्यूज़ से जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने में धार्मिक नेताओं की भूमिका के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में परमधर्मपीठ की अनूठी भूमिका के बारे में बात की।
प्रश्न: क्या आप हमें बता सकते हैं कि धार्मिक नेता क्या भूमिका निभा सकते हैं और किस चीज को कुछ लोग अधिक धर्मनिरपेक्ष मुद्दे के रूप में देखते हैं?
कार्डिनल पारोलिन: जी हाँ, मुझे लगता है कि जलवायु परिवर्तन एक धर्मनिरपेक्ष मुद्दा है। वास्तव में, इसे राजनेताओं और राजनीति की दुनिया, और वैज्ञानिकों, इत्यादि के द्वारा निपटाया जाता है।
लेकिन मुझे लगता है कि नेताओं का, धार्मिक नेताओं का निहितार्थ इस तथ्य के कारण है कि इसका एक नैतिक आयाम है, एक सदाचार पक्ष भी है, जिसे परमधर्मपीठ बहुत अधिक रेखांकित कर रहा है।
और फिर मुझे लगता है कि इस मुद्दे में धार्मिक नेताओं के पास कुछ कहने और इस मुद्दे से निपटने के लिए दुनिया की वर्तमान प्रतिबद्धता में प्रेरणा जोड़ने की आवाज है।
प्रश्न: विशेष रूप से परमधर्मपीठ के बारे में बात करते हुए, धर्मों के बीच परमधर्मपीठ की एक अनूठी भूमिका है क्योंकि इसका राजनयिक प्रतिनिधित्व है। यह पूरी दुनिया में मौजूद है। आप जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों के समाधान में पोप और परमधर्मपीठ की खास भूमिका को कैसे देखते हैं?
आप जानते हैं कि पोप को [जलवायु परिवर्तन के मुद्दे में] बहुत दिलचस्पी है, बहुत ज्यादा। और इसका प्रमाण उनके द्वारा तैयार किए गए दो दस्तावेज़ हैं, लौदातो सी, जो वास्तव में पेरिस के कोप के समय दुनिया के कई नेताओं और कई सरकारों के लिए एक संदर्भ बिंदु था, जब उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बारे में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे; और अब, लौदाते देयुम है जो लौदातो सी का अद्यतन करने का प्रयास है।
बेशक, परमधर्मपीठ समस्या के सभी पहलुओं में रुचि रखता है। वह गैस उत्सर्जन में कमी, समुद्र के बढ़ते जल स्तर की समस्या इत्यादि के बारे में बातें कर रहा है।
लेकिन हमारा ध्यान विशेष रूप से दो चीजों पर है, दो विशेष मुद्दों पर:
सबसे पहले है जीवनशैली
[समस्या पर] बहुत अधिक पैसा फेंकना काफी नहीं है। निस्संदेह, उन्हें शांति और अनुकूलन के लिए [अधिक संसाधन समर्पित करने] की आवश्यकता है। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि इस मुद्दे पर पैसा लगाना महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हमें वास्तव में अपने जीवन जीने के तरीके को बदलना होगा, ताकि सृष्टि को नुकसान न पहुंचे, प्रकृति को क्षति न पहुंचे, बल्कि हमें प्रबंधक बनना है, जैसा कि पोप ने कहा है, और यह वह कार्य है जो ईश्वर ने मानव को सौंपा था जब उन्होंने हमारी सृष्टि की।
और फिर शिक्षित करने के लिए
यह एक और बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है, नई पीढ़ी को इस दुनिया के संसाधनों को एक अलग तरीके से उपयोग करने सिखाना। यह परमधर्मपीठ की एक सार्वभौमिक, विश्वव्यापी प्रतिबद्धता है। हमने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करते समय भी इसे उठाया। यही वह बिंदु था जिस पर परमधर्मपीठ द्वारा बल दिया गया था।
क्योंकि हमारी प्रतिबद्धता का एक हिस्सा वाटिकन सिटी के संबंध में भी है और इस स्तर पर हम कुछ ठोस उपाय कर सकते हैं। लेकिन निःसंदेह, हमारा राष्ट्र बहुत छोटा है।
इस घटना पर हमारा कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं है, लेकिन हमें लगता है कि हम वास्तव में इस दुनिया के संसाधनों का उचित उपयोग करने के लिए नई पीढ़ियों की शिक्षा के पक्ष में एक बड़ा योगदान दे सकते हैं।
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