सिनॉड : सिनॉडालिटी कोई पुरानी बात नहीं बल्कि दैनिक अनुभव
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 17 अक्तूबर 2023 (रेई) : सोमवार, 16 अक्टूबर के वाटिकन प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का सही अर्थ, विविधता की समृद्धि, कलीसिया के भीतर बपतिस्मा लेनेवालों की भूमिका, मिशनरी गतिविधि, ख्रीस्तीय एकता और अंतरधार्मिक संवाद, महिलाओं के उपयाजक अभिषेक के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की भूमिका और डिजिटल विकास; दुनिया के गरीब देशों के युवाओं को भूले बिना, जो सबसे आधुनिक तकनीकी के उपयोग से पूरी तरह से कटे हुए हैं: ये कुछ ऐसे विषय हैं जिनपर वाटिकन में चल रहे धर्मसभा कार्य के दौरान सोमवार सुबह को चर्चा हुई, आदि विषयों को प्रस्तुत किया गया।
पहले रिपोर्ट की जाँच
संचार विभाग के प्रीफेक्ट और सूचना आयोग के अध्यक्ष पाओलो रूफिनी ने बताया कि "छोटे कार्य दल की पहली रिपोर्ट की भी जांच की गई।"
डॉ. रूफिनी ने गौर किया कि सत्र की शुरुआत "सदस्यों द्वारा पोप को उनके प्रेरितिक प्रबोधन चेस्त ला कॉनफिएंस (यह विश्वास है) बालक येसु की संत तेरेसा एवं पवित्र चेहरे को समर्पित के लिए धन्यवाद देने के साथ हुई, जिसे रविवार को प्रकाशित किया गया। प्रीफेक्ट ने यह भी गौर किया कि सिनॉड प्रतिभागियों ने संत पापा जॉन पौल द्वितीय के पोप चुनाव एवं पुरोहिताभिषेक के वर्षगाँठ की याद की और तालियाँ बजायी।
इसके अलावा, डॉ. रूफिनी ने पत्रकारों के साथ पिछले शुक्रवार को धर्मसभा की साधारण समिति की बैठक की खबरें साझा कीं, जिसमें "अब तक अपनाए गए रास्ते और सुनने की गुणवत्ता एवं सुंदरता" का आकलन किया गया।
सिनॉडालिटी कोई घिसी-पिटी बात नहीं
प्रेस ब्रीफिंग में श्रीलंका के ईशशास्त्री फादर विमल तिरिमान्ना भी थे। उन्होंने कहा कि “सिनॉडालिटी (एक साथ) तब होता है जब आप इसे करते हैं।” फादर विमल ने कहा कि “यह कोई घिसी-पिटी बात नहीं है। लेकिन, उन्होंने आगे कहा, "प्रार्थना के महान माहौल के लिए धन्यवाद, जो आध्यात्मिक बातचीत की पद्धति से काफी हद तक जुड़ी हुई है, हम देखते हैं कि कैसे धर्मसभा प्रक्रिया, या जीवन जीने का सिनॉडल तरीका, पहले से ही जीया जा रहा है।"
फादर तिरिमाना ने जोर दिया कि किस तरह टेबल सजाने पर भी चिंतन किया गया, जिसमें कार्डिनल, धर्माध्यक्षों और लोकधर्मियों विशेषकर, महिलाओं के अनुभव पर प्रकाश डाला गया, लुमेन जेंसियुम की कलीसियाशास्त्र, एक "संकेंद्रित कलीसिया" में एक-दूसरे के साथ पिरामिडनुमा नहीं... "कंधे से कंधा मिलाना", को भी महसूस किया गया। सिनॉडल पद्धति से धर्मसभा की संस्कृति को अनुभव किया गया। चुनौती है कि इसे धर्मसभा हॉल के बाहर कैसे ले जाना जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि सिनॉडल प्रक्रिया "पोप फ्रांसिस का निजी एजेंडा नहीं है", बल्कि "वाटिकन द्वितीय महासभा की निरंतरता" है।
प्रार्थना एवं तैयारी
सिस्टर पत्रिसिया मुरे, आईबीवीएम, परमाधिकारिणियों के अंतरराष्ट्रीय संघ (यूआईएसजी) के महासचिव ने कहा, “वे यह देखकर प्रसन्न हैं कि धर्मसभा अधिकाधिक वास्तविक बनती जा रही है।” उन्होंने पत्रकारों को बतलाया कि धर्मसमाज के सदस्य के रूप में, वे महसूस करती हूँ कि “हम सिनॉडालिटी को 20 सालों से भी पहले से अभ्यास कर रही हैं ... खासकर, निर्णय लेने और उन चीजों के बारे निष्कर्ष निकालने के लिए कि हमारे जीवन में क्या मायने रखती हैं, और येसु एवं पवित्र आत्मा को अपने जीवन के केंद्र में रखना तथा धर्मसमाज में हरेक की आवाज सुनना, यह समझने के लिए कि ईश्वर इस समय धर्मसमाज को या व्यक्ति को कहाँ बुला रहे हैं, कई धर्मसमाजों की प्रथा रही है।”
उन्होंने कहा, “इसलिए यह मेरे लिए एक अतिरिक्त खुशी की बात है कि मैं इसे विश्वव्यापी कलीसिया में फैलते देख रही हूँ, कि सहभागिता, समन्वय और मिशन एक रास्ता है जिसपर हम जीना एवं एक साथ रहना चाहते हैं।
प्रकाश जो अंधकार दूर करता
प्राग्वे के सहायक धर्माध्यक्ष जदेनेक वासेरबौर ने कहा कि वे लिस्यू की संत तेरेसा के प्रेरितिक प्रबोधन से प्रेरित हुए, जिन्होंने इस दस्तावेज में पूरे सिनॉड का दिशा सूचक यंत्र देखा। उन्होंने पत्रकारों को बतलाते हुए कहा, “इस काम के दौरान, "मैंने बहुत स्पष्ट रूप से महसूस किया कि 'मिशन' शब्द हमारे लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु है। और लिस्यू की संत तेरेसा मिशन की सह-संरक्षिका हैं।
उन्होंने दो कारण बतलाये कि क्यों प्रबोधन को एक मार्गदर्शक या प्रकाश स्तम्भ की तरह देखा जाना चाहिए। “पहला इस तथ्य से संबंधित है कि जब संत ने कार्मेल धर्मसमाज में प्रवेश किया, तो उनमें आत्माओं को बचाने की इच्छा थी। मुझे एहसास हुआ कि यहाँ सभी 400 सदस्य हर दिन दूसरों की भलाई, उनकी मुक्ति की तलाश में मिलते हैं। दूसरा कारण उस अंधेरी रात को संदर्भित करता है जिसे लिस्यू की संत तेरेसा ने 1856 में अपनी आत्मा में महसूस किया था। कुछ लोग कहते हैं कि आज भी, तीसरी शताब्दी की कलीसिया अंधेरे से गुजर रही है: यहाँ, धर्मसभा एक प्रकाश है जो अंधेरे को रोशन कर रही है।”
पीड़ा पर ध्यान
एलजीबीटीक्यू प्लस के दर्द पर विचार किया गया अथवा नहीं पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सिस्टर मुर्रे ने कहा, “मैं सोचता हूँ कि सभी टेबलों पर नहीं फिर भी कई टेबलों पर व्यक्तिगत अथवा सामूहिक चोट एवं घाव के सवाल पर चर्चा हुई है और उसे सुना गया है।”
उन्होंने कहा कि इस बात पर चर्चा हुई है कि कलीसिया "उस चोट को कैसे प्रस्तुत कर सकती है", इस सवाल का समाधान करते हुए कि कलीसिया कैसे दिखा सकती है कि वह "जो चोट पहुंचाई गई है" उसके लिए माफी मांग रही है। जबकि चर्चा चल रही है कि उनकी दर्द और पीड़ा के बारे में गहरी जागरूकता है।"
एक अन्य पत्रकार ने पूछा कि क्या समलैंगिक जोड़ों के लिए आशीष (विवाह आशीष) के मुद्दे पर ध्यान दिया गया है। डॉ. रूफिनी ने बताया कि यह मुद्दा "केंद्रीय नहीं है" और कि प्रशिक्षण, पुरोहित अभिषेक, गरीबों के लिए बेहतर विकल्प और उपनिवेशवाद के बारे में अधिक चर्चा हुई है। रूफिनी ने कहा, काथलिक शिक्षा, धर्मसभा में किए जा रहे सभी कार्यों के केंद्र में है।
चीन के धर्माध्यक्षगण
इसके अलावा, इस खबर की पुष्टि करते हुए कि धर्मसभा में मौजूद चीन के धर्माध्यक्ष कल काम छोड़ देंगे, डॉ. रूफिनी ने बताया कि वे ऐसा "प्रेरितिक कारणों से कर रहे हैं जिसके लिए उन्हें अपने धर्मप्रांतों में वापस जाना पड़ रहा है।"
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