जागरण प्रार्थना ख्रीस्तीय एकता की राह पर और एक कदम
वाटिकन न्यूज
शनिवार शाम को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में आयोजित ख्रीस्तीय एकता जागरण प्रार्थना में कलीसियाओं की विश्व परिषद के कार्यवाहक महासचिव माननीय लोअन सौका भी भाग ले रहे हैं।
उन्होंने वाटिकन रेडियो को बतलाया कि उनका मानना है कि काथलिक धर्माध्यक्षों की धर्मसभा शुरू होने से ठीक पहले प्रार्थना सभा का बहुत महत्व है।
माननीय सौका कहते हैं कि सबसे बढ़कर, यह प्रार्थना से शुरू हो रही, लेकिन न केवल धर्मसभा के कार्यों पर पवित्र आत्मा का आह्वान करके, बल्कि कुस्तुनतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष और कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष एवं अन्य ख्रीस्तीयों को एक साथ रहने के लिए आमंत्रित करते हुए ताकि वे भी पोप के साथ, धर्मसभा के कार्यों पर पवित्र आत्मा का आह्वान कर सके।
दूसरा, तथ्य यह है कि इस तरह की सभा करने का विचार तेजे समुदाय से आया था, एक ऐसा समुदाय जो युवा लोगों की सेवा और युवा लोगों के विचारों एवं आकांक्षाओं से बहुत जुड़ा हुआ है, इसका तात्पर्य यह है कि यह एक नया दृष्टिकोण है।
उन्होंने जोर देकर कहा, "युवा लोग ख्रीस्तीय एकता की खोज में ईसाइयों को एक साथ लाना चाहते हैं और तेजे से आये इस विचार को पोप फ्राँसिस ने अपनाया है।"
यह उल्लेखनीय है कि माननीय सौका आगे कहते हैं, कि इस विचार ने इस बैठक को जीवन प्रदान किया है, जिसमें तेजे को वाटिकन के विभागों और रोम के भिखारियेट द्वारा भी शामिल किया गया है, जो इस तरह की सभा आयोजित करने के लिए एक साथ आए हैं।
“मैं मानता हूँ कि इसका एक महान महत्व है।”
सभा की सामग्री पर विचार करते हुए, डब्ल्यूसीसी महासचिव कहते हैं कि "ख्रीस्तीयों के मेल-मिलाप के लिए, ईसाई एकता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है" क्योंकि काथलिक कलीसिया "प्रधानता और सिनॉडालिटी या सौहार्दपूर्णता" संबंधों पर चर्चा करेगा।”
वे कहते हैं, "इस पर सदियों से चर्चा होती रही है, विशेष रूप से, ऑर्थोडॉक्स कलीसियाओं के साथ, बल्कि एंग्लिकन और अन्य लोगों के साथ भी।"
अंत में, माननीय सौका ने कहा, "यह तथ्य कि काथलिक स्वयं प्रधानता और सिनॉडालिटी (संगठनात्मता) के बीच संबंधों के बारे में बात करने के विचार के साथ आए, जो बहुत महत्वपूर्ण है और ख्रीस्तीयों को एक साथ लाने का एक महान अवसर है।”
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